साइक्लोथायमिया (साइक्लोथायमिक डिसऑर्डर) एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है इसमें बाइपोलर II डिसऑर्डर जैसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं। साइक्लोथायमिया और बायपोलर डिसऑर्डर के शिकार लोगों को हल्के अवसादग्रस्तता के लक्षणों के साथ-साथ हाइपोमेनिया की समस्याओं का भी अनुभव हो सकता है। आमतौर पर साइक्लोथायमिया और बाइपोलर 2 डिसऑर्डर को एक जैसा ही मान लिया जाता है, लेकिन दोनों में अंतर है। दोनों मूड स्विंग से संबंधित विकार जरूर हैं, लेकिन इनकी तीव्रता में अंतर होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर की तुलना में साइक्लोथायमिया वाले लोगों में होने वाला मूड स्विंग बहुत तीव्र नहीं होता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में उन्माद और अवसाद के तीव्र लक्षण देखने को मिलते हैं, जबकि जिन लोगों को साइक्लोथायमिया की शिकायत होती है उनमें इन समस्याओं में उतार-चढ़ाव होता रहता है। साइक्लोथायमिया का यदि समय पर निदान न हो पाए और इसे अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए तो इससे शिकार लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर होने का खातरा बढ़ जाता है।

साइक्लोथायमिया की समस्या आमतौर पर किशोरावस्था में विकसित होती है। इस बीमारी वाले लोग अक्सर सामान्य रूप से कार्य करते हैं, लेकिन दूसरे लोगों की तुलना में वह काफी हद तक 'मूडी' और अजीब व्यवहार कर सकते हैं।

इस लेख में हम साइक्लोथायमिया के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

साइक्लोथायमिया के लक्षण - Cyclothymia Symptoms in Hindi

साइक्लोथायमिया वाले लोगों को आमतौर पर कई हफ्तों तक निम्न-स्तर के अवसाद का अनुभव हो सकता है। इसके बाद उनमें कुछ दिनों के लिए उन्माद की भी समस्या देखने को मिल सकती है।

साइक्लोथायमिया से जुड़े अवसादग्रस्तता के निम्न लक्षण हो सकते हैं।

साइक्लोथायमिया से जुड़े उन्माद लक्षण

  • बहुत अधिक बात करना या जल्दी-जल्दी बोलना। कभी-कभी इतनी तेजी से बोलना जो दूसरों को समझ ही न आए
  • विचारोंं में तेज बदलाव
  • ध्यान केंद्रित न कर पाना
  • बेचैनी और अति सक्रियता
  • बहुत ज्यादा चिंता करना
  • बहुत दिनों तक नींद ही न आना
  • अतिकामुकता वाला व्यवहार
  • आवेगी व्यवहार

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साइक्लोथायमिया (साइक्लोथायमिक डिसऑर्डर) का कारण - Cyclothymia Causes in Hindi?

कई विशेषज्ञों का मानना है कि साइक्लोथायमिया, बाइपोलर डिसऑर्डर का हल्का रूप हो सकता है। हालांकि, साइक्लोथायमिया या बाइपोलर डिसऑर्डर किन कारणोंं से होता है यह स्पष्ट नहीं है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों विकारों के विकास में आनुवंशिकता को विशेष कारण माना जा सकता है। साइक्लोथायमिया से पीड़ित लोगों के परिवार में कोई बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित हो सकता है या इसका उल्टा भी हो सकता है। इसके अलावा मस्तिष्क के न्यूरोबायोलॉजी में परिवर्तन और लंबे समय तक तनाव का अनुभव करने वाले लोगों में साइक्लोथायमिया की समस्या विकसित हो सकती है। 

जिन लोगों को साइक्लोथायमिया की शिकायत होती है उनमें कई प्रकार के जोखिमों का खतरा बढ़ जाता है।

  • इसका इलाज न होने पर कई प्रकार की भावनात्मक समस्याएं विकसित हो सकती हैं जो जीवन के स्तर को प्रभावित करती हैं
  • साइक्लोथायमिया वाले लोगों को बाद में बाइपोलर I डिसऑर्डर या बाइपोलर II डिसऑर्डर होने का खतरा रहता है
  • ऐसे लोगों को चिंता विकार भी हो सकता है
  • ऐसे लोगों में आत्मघाती विचारों और आत्महत्या का ख्याल आना स्वाभाविक है

साइक्लोथायमिया का निदान - Diagnosis of Cyclothymia in Hindi

साइक्लोथायमिया के निदान के लिए डॉक्टर किसी व्यक्ति में निम्नलिखित नैदानिक मानदंडों की समीक्षा करते हैं।

  • कम से कम दो साल तक हाइपोमेनिया और अवसाद का अनुभव होना
  • ऐसे लक्षणों का अनुभव होना जो किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित करते हों।

सबसे पहले डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं कि आपको किन कारणों से लक्षणों का अनुभव हो रहा है? जैसे क्या आपको साइक्लोथायमिया ही है या फिर अन्य विकार जैसे बाइपोलर I डिसऑर्डर या बाइपोलर II डिसऑर्डर या अवसाद जैसी समस्या तो नहीं है। इसके लिए निम्न प्रकार के परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।

  • शारीरिक परीक्षण: शारीरिक परीक्षण और लैब टेस्ट के माध्यम से यह जानने की ​कोशिश की जाती है कि आखिर किन चिकित्सकीय कारणों के चलते इस प्रकार के लक्षणों का अनुभव हो रहा है?
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन: रोगी से बात करके उसके विचारों, भावनाओं और व्यवहार के पैटर्न के बारे में जानने की ​कोशिश की जाती है।
  • मूड चार्टिंग: डॉक्टर, रोगी से नियमित रूप से मूड, नींद के पैटर्न या अन्य कारकों के रिकॉर्ड रखने को कह सकते हैं। इसके माध्यम से बीमारी का पता लगाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।

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साइक्लोथायमिया का इलाज - Cyclothymia Treatment in Hindi

साइक्लोथायमिया में रोगी को आजीवन उपचार की आवश्यकता होती है। यहां तक कि जब आप बेहतर महसूस करते हैं, तब भी उपचार को जारी रखा जाता है। इलाज के लिए मुख्य रूप से निम्न उपायों को प्रयोग में लाया जाता है।

दवाइयां: खाद्य और औषधि प्रशासन द्वारा साइक्लोथायमिया के इलाज के लिए किसी भी दवाई को मंजूरी नहीं मिली है। हालांकि, आवश्यकतानुसार डॉक्टर, बाइपोलर डिसऑर्डर में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं को लिख सकते हैं। ये दवाएं साइक्लोथायमिया के लक्षणों को नियंत्रित करने और हाइपोमेनिक और अवसादग्रस्तता के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।

मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सा को मनोवैज्ञानिक परामर्श या टॉक थेरेपी भी कहा जाता है। यह साइक्लोथायमिया के उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। इसमें निम्न प्रकार की थेरपी को प्रयोग में लाया जा सकता है।

कॉग्नेटिव बिहैवियरल थेरेपी (सीबीटी): साइक्लोथायमिया के उपचार में सीबीटी को काफी उपयोगी माना जाता है। इस थेरपी के माध्यम से नकारात्मक भावनाओं और व्यवहारों की पहचान कर उन्हें सकारात्मकता में बदलने की कोशिश की जाती है।

इंटरपर्सनल एंड सोशल रिदमिक थेरपी (आईपीएसआरटी): आईपीएसआरटी के माध्यम से दैनिक कार्यों जैसे समय पर और पर्याप्त नींद आना, जागने और भोजन करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। दिनचर्या को नियमित करके मूड को अच्छा रखने में मदद मिलती है।

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