मनोचिकित्सा आपकी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, भावनात्मक परिवर्तनों और कुछ मानसिक रोग के इलाज का एक तरीका है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि मनोचिकित्सा क्या होती हैं, मनोचिकित्सा के प्रकार क्या हैं और मनोचिकित्सा कैसे की जाती है। इस लेख में यह भी बताया गया है कि मनोचिकित्सा के क्या लाभ होते हैं।

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  1. मनोचिकित्सा कैसे होती है - Psychotherapy kaise hoti hai in hindi
  2. मनोचिकित्सा क्या है, उद्देश्य व लक्ष्य - Psychotherapy kya hai in hindi
  3. मनोचिकित्सा के प्रकार - Types of psychotherapy in hindi
  4. मनोचिकित्सा के लाभ - Psychotherapy benefits in hindi
मनोचिकित्सा क्या है, प्रकार, कैसे होती है, लाभ के डॉक्टर

मनोचिकित्सा व्यक्तिगत, परिवार, जीवन साथी अथवा समूह में की जा सकती है और इससे बच्चों और बड़ों दोनों को मदद मिल सकती है। मनोचिकित्सा से उपचार के लिए निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं -

  • अधिकांश सत्र 30 से 50 मिनट के होते हैं। क्लाइंट और थेरेपिस्ट दोनों को सक्रिय रूप से मनोचिकत्सा में शामिल होना पड़ता है।
  • मनोचिकित्सा से फायदे और एक साथ काम करने के लिए क्लाइंट और थेरेपिस्ट के बीच भरोसे का संबंध होना आवश्यक है।
  • मनोचिकित्सा तत्काल मुद्दों को हल करने के लिए लघु अवधि (केवल कुछ सत्र) की अथवा लंबे और जटिल मुद्दों को हल करने के लिए दीर्घावधि (कई महीने या साल) की हो सकती है।
  • क्लाइंट को कितने सत्रों में और कितने समय के लिए थेरेपिस्ट से मिलना होगा, यह क्लाइंट और थेरेपिस्ट दोनों आपस में बैठ कर निर्धारित करते हैं।
  • गोपनीयता मनोचिकित्सा की सबसे बुनियादी शर्त है। और, यद्यपि, क्लाइंट्स अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और विचारों को व्यक्त करते हैं किन्तु एक थेरेपिस्ट के साथ गहरे संबंध न तो सही है और न ही उपयोगी।

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मनोचिकित्सा, थेरेपी का एक प्रकार है जिसका उपयोग भावनात्मक परेशानियों और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है।

मनोचिकित्सा का उद्देश्य मदद के लिए आने वाले व्यक्ति को उसकी अपनी भावनाएं समझने के काबिल बनाना और उसके सकारात्मक, बेचैन या अवसाद में होने के क्या कारण हैं, इसका पता लगाना है। इससे उन्हें मुश्किल स्थितियों का सामना करने में आसानी होती है।

थेरेपी का पूरा कोर्स लगभग एक वर्ष तक चल सकता है। ऐसा देखा गया है कि जो लोग बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए पूरी कोशिश करते हैं उन्हें इस थेरेपी से लाभ होता है।

मनोचिकित्सा कई सारी समस्याओं में मदद कर सकती है जैसे - अवसाद, किसी तरह की लत या परिवार में टकराव। जो कोई अपनी ऐसी समस्याओं को दूर करना चाहता है और सहयोग करने के लिए तैयार है उसे मनोचिकत्सा से लाभ हो सकता है।

अगर मनोचिकत्सा के साथ दवाईयाँ भी उपयोग की जाए तो इससे बाइपोलर डिसऑर्डर और स्किज़ोफ्रेनिया के इलाज में भी मदद मिलती है।

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मनोचिकित्सा के कई प्रकार और दृष्टिकोण होते हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं -

1. व्यवहार चिकित्सा (Behavioural Therapy)
व्यवहार चिकित्सा व्यक्ति को ये समझने में मदद करती है कि उसके व्यवहार में बदलाव किस तरह से उसके अहसास या भावनाओं में बदलाव लाता है। यह थेरेपी व्यक्ति को सकारात्मक और सामाजिक रूप से जोड़ने वाली गतिविधियों में शामिल करने पर ध्यान देती है।

इस दृष्टिकोण के अनुसार थेरेपिस्ट पहले यह पता लगाता है कि क्लाइंट क्या कर रहा है और उसी आधार पर सकारात्मक अनुभवों के होने की संभावना को बढ़ाता है। व्यवहार चिकित्सा उन लोगों के लिए उपयोगी होती है जिनको भावनात्मक परेशानी उनके व्यवहार के कारण होती है।

2. संज्ञानात्मक चिकित्सा (Cognitive therapy)
संज्ञानात्मक चिकित्सा के अनुसार हम कैसा महसूस करते हैं यह हमारी सोच पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, लोग ऐसे किसी भी विश्वास के चलते अवसाद से ग्रस्त हो सकते हैं जिसका कोई आधार ही न हो, जैसे कि “मैं किसी काम का नहीं हूँ” या “मेरी वजह से सब गलत हो जाता है” इत्यादि। इस तरह के आधारहीन विश्वास बदलने से व्यक्ति का घटनाओं को देखने का नज़रिया बदलता है और इससे उसकी मानसिक स्थिति सही होती है।

संज्ञानात्मक चिकित्सा हमारी वर्तमान सोच और बातचीत के ढंग को देखती है। थेरेपिस्ट किसी घटना को देखने के अलग नज़रिये के प्रति प्रेरित करते हुए अपने क्लाइंट के फालतू विचारों को दूर करने की कोशिश करता है। संज्ञानात्मक चिकित्सा "पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर" (PTSD) जैसी बिमारियों को ठीक कर सकती है। संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा में विचारों और व्यवहार दोनों को बदलने के लिए संज्ञानात्मक चिकित्सा और व्यवहार चिकित्सा दोनों का मिश्रण किया जाता है।

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3. अंतर्वैयक्‍तिक चिकित्सा (Interpersonal therapy)
यह दृष्टिकोण अंतर्वैयक्‍तिक संबंधों पर ध्यान देता है। उदाहरण के लिए, अवसाद का कारण लोगों के आपस के संबंध भी हो सकते हैं। बातचीत के ढंग में सुधार करने की कला सिखा कर अवसाद को नियंत्रित किया जा सकता है। सबसे पहले थेरेपिस्ट संबंधित भावनाओं और ये कहां से उत्त्पन हो रही हैं इसका पता लगाने में क्लाइंट की मदद करते हैं। इसके बाद वे क्लाइंट को अपनी भावनाओं को सही तरीके से ज़ाहिर करना सिखाते हैं।

उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति यदि नजरअंदाज किये जाने से गुस्से में आ जाता है तो इससे उसके प्रिय लोगों में नकारात्मक संकेत जाते हैं। चिंता और पीड़ा को शांति से सहन करना सीखने से सामने वाले द्वारा सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के संयोग बढ़ जाते हैं। इस थेरेपी से क्लाइंट अंतर्वैयक्तिक परेशानियों के प्रति अपने दृष्टिकोण को सुधारना और समझना सिख जाता है और उनका अच्छी तरह से प्रबंधन कर सकता है।

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4. परिवार चिकित्सा (Family therapy)
एक परिवार थेरेपिस्ट लक्षणों को आपके परिवार के संदर्भ में देखता है। कई परिस्थितियों में पूरे परिवार की मनोचिकित्सा की जरुरत होती है, जैसे अगर क्लाइंट को अपने शादीशुदा जीवन में परेशानी के कारण अवसाद की समस्या हो। मानसिक या व्यावहारिक परेशानी के पारिवारिक कारण का पता लगाने से परिवार के लोगों में नकारात्मक आदतों और उनके रवैये को बदलने में मदद मिलती है।

परिवार चिकित्सा परिवार के अंदर संपर्क को सुधारने का काम करती है। इस थेरेपी में शामिल होने वाले परिवार के सदस्य यह सीखते हैं कि किस प्रकार सही तरीके से सुनें और सवाल करें तथा खुले मन से कैसे सवाल का जवाब दें। परिवार चिकित्सा में सामान्य रूप से परिवार के सदस्यों और क्लाइंट के बीच, समूह में, अपने साथी के साथ या एक-एक करके चर्चा और समस्या हल करने के सत्र होते हैं।

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5. समूह चिकित्सा (Group Therapy)
समूह चिकित्सा में सामान्य रूप से 6-12 क्लाइंट्स और एक थेरेपिस्ट होता है। समूह में उन लोगों को शामिल किया जाता है जिनकी परेशानियां एक जैसी होती हैं। वे लोग थेरेपिस्ट और समूह में एक-दूसरे के सुझाव और दूसरे अपनी परेशानी को कैसे हल करते हैं, यह देखकर सीखते हैं।

एक जैसी परेशानी के लिए किसी दूसरे व्यक्ति से सुझाव लेने से एक नया दृष्टिकोण सामने आता है, जो बदलाव में मदद कर सकता है। समूह में शामिल होने से लोगों का अकेलापन दूर होता है और उन्हें यह भी लगता है कि यह उनकी अकेले की परेशानी नहीं है। इस तरह का सहारा मिलने से काफी मदद मिलती है और समूह में शामिल होने वाले कई लोगों को यह अनुभव लाभदायक लगता है।

6. साइकोडाइनॅमिक थेरेपी (Psychodynamic therapy)
साइकोडाइनॅमिक थेरेपी या अंतर्दृष्टि उन्मुख चिकित्सा, आपके मन की गहराई में स्थापित व्यवहार से जुड़े कारणों पर ध्यान देती है। उदहारण के लिए, किसी व्यक्ति के व्यवहार के कारण उसके बचपन से जुड़े हो सकते हैं जो आज भी उसके व्यवहार को प्रभावित कर रहे हों। मुख्य उद्देश्य यही है कि व्यक्ति अपने व्यवहार के प्रति जागरूक हो और यह जान सके कि किस तरह हमारे बचपन की घटनायें हमारे आज के व्यवहार को प्रभावित कर रही हैं।

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शोध यह बताते हैं कि अधिकांश लोग जो मनोचिकित्सा करवाते हैं, उन्हें परेशानियों से राहत मिलती है और वो लोग सही जीवन जी पाते हैं। लगभग 75 प्रतिशत लोग जो यह उपचार करवाते हैं वो कुछ न कुछ लाभ महसूस करते हैं।

  • मनोचिकित्सा से भावनाओं और व्यवहार में सुधार दिखता है और दिमाग और शरीर में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।
  • इससे बीमारी के दिन कम करने, अक्षमता कम करने में और काम में संतुष्टि बढ़ाने में भी लाभ मिलता है।
  • मनोचिकित्सा से दिमाग में होने वाले परिवर्तनों को ब्रेन इमेजिंग तकनीक से जाँच कर शोधकर्ता यह साबित कर चुके हैं कि इससे दिमाग में बदलाव होता है। कई मामलों में दिमाग में मनोचिकित्सा से होने वाले परिवर्तन दवाइयों से होने वाले परिवर्तनों के समान थे।

मनोचिकित्सा से अधिकतम लाभ लेने के लिए अपने थेरेपिस्ट के साथ ईमानदार रहें और खुलकर बात करें। जो भी योजना बनायी गयी है उसका पालन करें।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

Dr. Kirti Anurag

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संदर्भ

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