इरेक्टाइल डिसफंक्शन को नपुंसकता भी कहा जाता है. इस समस्या के चलते पुरुष सेक्स के समय लंबे समय तक इरेक्शन को प्राप्त करने या उसे बनाए रखने में सक्षम नहीं होता है. स्तंभन दोष (ईडी) के कई कारण हैं, जो शारीरिक व मनोवैज्ञानिक या दोनों हो सकते हैं. इसी तरह से ईडी के सबसे आम कारणों में से एक है डायबिटीज. खासकर टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त लोग ईडी का ज्यादा शिकार होते हैं. यह स्टडी से भी स्पष्ट होता है कि डायबिटीज से ग्रस्त 35-75% पुरुषों को ईडी की समस्या होती है. साथ ही ऐसे पुरुष सामान्य पुरुषों के मुकाबले 10-15 वर्ष पहले ही ईडी का शिकार हो सकते हैं.

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आज इस लेख में आप विस्तार से जान पाएंगे कि टाइप 2 डायबिटीज और इरेक्टाइल डिसफंक्शन के बीच क्या संबंध है -

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  1. क्या कहती है रिसर्च?
  2. टाइप 2 डायबिटीज से ईडी होने का कारण?
  3. स्तंभन दोष व डायबिटीज के लिए जोखिम कारक
  4. डायबिटीज के कारण ईडी का इलाज
  5. बेहतर लाइफस्टाइल से इलाज
  6. सारांश
क्या टाइप 2 डायबिटीज से ईडी हो सकता है? के डॉक्टर

बोस्टन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की रिपोर्ट है कि टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त पुरुषों में करीब 50% को डायबिटीज का पता चलते ही 5 से 10 वर्ष के भीतर ईडी की समस्या हो जाती है. वहीं, जिन पुरुषों को हृदय रोग भी होता है, तो उन्हें ईडी होने की आशंका और भी बढ़ जाती है.

इसके अलावा, 2014 की रिसर्च से निकले परिणाम बताते हैं कि अगर डायबिटीज से ग्रस्त पुरुष स्वस्थ जीवनशैली को अपनाता है, तो इससे डायबिटीज के लक्षण कम हो सकते हैं और यौन रोग होने का अंदेशा भी कम हो सकता है.

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जब कोई पुरुष यौन रूप से उत्तेजित होता है, तो उसके ब्लड स्ट्रीम में नाइट्रिक ऑक्साइड नामक केमिकल रिलीज होने लगता है. यह केमिकल पेनिस की आर्टरी और मांसपेशियों को रिलैक्स करता है, जिससे पेनिस में रक्त का प्रवाह बेहतर तरीके से होता है. इससे पुरुष के लिए इरेक्शन पाना और उसे बनाए रखना आसान होता है.

वहीं, डायबिटीज से ग्रस्त पुरुष अपने ब्लड ग्लूकोज के स्तर में उतार-चढ़ाव से परेशान रहता है. इसलिए, जब ब्लड ग्लूकोज का स्तर ज्यादा हो जाता है, तो नाइट्रिक ऑक्साइड का निर्माण कम होता है. इसके चलते पुरुष के पेनिस में रक्त का प्रवाह बेहतर तरीके से नहीं होता, जिस कारण इरेक्शन पाना या उसे बनाए रखना मुश्किल हो जाता है. स्टडी के अनुसार, डायबिटीज से ग्रस्त पुरुष में नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर कम पाया जाता है.

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ऐसे कई जोखिम कारक हैं, जो मधुमेह व इरेक्टाइल डिसफंक्शन की जटिलता को बढ़ा सकते हैं -

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स्तंभन दोष का इलाज करने के कई तरीके हैं. यह डॉक्टर ही बेहतर बता सकता है कि मरीज की स्थिति के अनुसार कौन-सा इलाज बेहतर है. इसके बार में हम नीचे बता रहे हैं -

ओरल मेडिसिन

स्तंभन दोष की दवाओं में सिल्डेनाफिल (वियाग्रा), टाडालाफिल (सियालिस, एडसीर्का), वर्डेनफिल या अवानाफिल (सेंटेंद्र) शामिल हैं. ये गोलियां पेनिस में रक्त के प्रवाह को बेहतर करने में मदद कर सकती हैं, जिससे इरेक्शन प्राप्त करना और बनाए रखना आसान हो जाता है. इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के कभी न लें.

(और पढ़ें - टेम्परेरी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का इलाज)

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इंजेक्शन

अगर किसी को गोलियों से फायदा नहीं होता है, तो डॉक्टर इंजेक्शन के जरिए मेडिसिन लेने की सलाह दे सकते हैं. इसे पेनिस के ऊपरी हिस्से या बगल में इंजेक्ट किया जाता है. गोलियों की तरह इंजेक्शन भी रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे इरेक्शन प्राप्त करने और बनाए रखने में मदद मिलती है.

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वैक्यूम-इरेक्शन डिवाइस

इसे पेनिस पंप या वैक्यूम पंप भी कहा जाता है. यह डिवाइस एक ट्यूब होती है, जिसे पेनिस के ऊपर लगाया जाता है. यह इरेक्शन को बनाने के लिए पेनिस में ब्लड को खींचने के लिए एक पंप की तरह काम करती है. फिर ट्यूब को हटाने के बाद इरेक्शन को बनाए रखने के लिए पेनिस के बेस पर एक बैंड लगाया जाता है. हाथ या बैटरी से चलने वाला यह उपकरण उपयोग में आसान और कम जोखिम वाला होता है.

(और पढ़ें - सडन इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज)

पेनाइल इंप्लांट

अगर गोलियों, इंजेक्शन या पेनिस पंप से फायदा नहीं होता, तो डॉक्टर सर्जिकल इम्प्लांट के बारे में विचार कर सकते हैं. स्तंभन दोष वाले कई पुरुषों के लिए पेनाइल इम्प्लांट सुरक्षित और प्रभावी विकल्प साबित हो सकता है.

(और पढ़ें - इरेक्टाइल डिसफंक्शन की होम्योपैथिक दवा)

संपूर्ण स्वास्थ्य और ईडी व डायबिटीज की समस्या को कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल में ये बदलाव जरूर लाएं -

स्मोकिंग बंद करें

धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पाद रक्त वाहिकाओं को संकरा कर देता है. इसके चलते पेनिस में भी ब्लड फ्लो कम हो जाता है. इसके अलावा, धूम्रपान शरीर के नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को भी कम करता है. कम नाइट्रिक ऑक्साइड का अर्थ है कम रक्त प्रवाह. कम रक्त प्रवाह स्तंभन दोष का कारण बन सकता है.

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अच्छी डाइट

डायबिटीज के मरीज को अपनी डाइट पर खासतौर से ध्यान देना चाहिए. इसके लिए, आहार विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए कि डाइट में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं. अच्छी डाइट लेने से संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है. इससे न सिर्फ डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि ईडी की समस्या में भी सुधार हो सकता है.

शुक्राणु की कमी का इलाज कैसे किया जाता है, इस बारे में जानने के लिए कृपया यहां दिए लिंक पर क्लिक करें.

संतुलित वजन

अधिक वजन होने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन और डायबिटीज दोनों ही समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए, हर किसी को चाहिए कि वो अपना वजन संतुिलत रखे. इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम व योग करने की जरूरत है.

(और पढ़ें - कम उम्र में स्तंभन दोष का कारण)

शराब से दूरी

शराब स्तंभन दोष की समस्या को ट्रिगर कर सकती है. इसलिए, जितना संभव हो सके शराब से दूरी बनाकर रखें. शराब पीने से डायबिटीज की समस्या भी हो सकती है. पुरुष चाहे किसी भी उम्र का हो, उसे शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.

(और पढ़ें - क्या इरेक्टाइल डिसफंक्शन हृदय रोग का संकेत है)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas T-Boost Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शुक्राणु की कमी, मांसपेशियों की कमजोरी व टेस्टोस्टेरोन की कमी जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

इस लेख से यह तो स्पष्ट होता है कि डायबिटीज से ग्रस्त पुरुष को ईडी होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है. इसलिए, डायबिटीज के मरीज को अपना खास ध्यान रखने की जरूरत है. हालांकि, डायबिटीज को जड़ से खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे मैनेज करके ईडी जैसी समस्या से बचा जा सकता है. अगर फिर भी ईडी की समस्या होती है, तो डॉक्टर की सलाह पर उचित इलाज करवाना चाहिए और साथ ही हेल्दी लाइफ को फॉलो करने की जरूरत है.

(और पढ़ें - स्तंभन दोष में क्या खाएं)

Dr. Anurag Kumar

Dr. Anurag Kumar

पुरुष चिकित्सा
19 वर्षों का अनुभव

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