हृदय रोग से ग्रस्त लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसमें एरिथमिया भी शामिल है. जब किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन सही नहीं चल रही होती है, तो उसे एरिथमिया हो सकता है. एरिथमिया के विभिन्न प्रकार के होते हैं और सभी के अलग-अलग नाम होते हैं. एरिथमिया के नाम समस्या के कारण पर निर्भर करते हैं. इसी तरह सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया को भी एरिथमिया एक प्रकार माना गया है. इसे एसवीटी के रूप में भी जाना जाता है. यह समस्या हृदय के ऊपरी चैंबर को प्रभावित करती है. इसमें दिल की धड़कन बहुत तेज हो जाती है. आराम करते समय भी व्यक्ति की एक मिनट में 100 से अधिक हार्ट बीट हो सकती है.

आज इस लेख में आप सुप्रवेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)

  1. सुप्रवेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया के लक्षण
  2. सुप्रवेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया के कारण
  3. सुप्रवेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का इलाज
  4. सारांश
सुप्रवेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

सुप्रवेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया में दिल तेजी से धड़क रहा होता है. दिल के धड़कने की गति इतनी तेज होती है कि उसमें खून नहीं भर पाता है. इससे शरीर को पर्याप्त रक्त मिलना मुश्किल हो जाता है. एक रिसर्च के अनुसार प्रत्येक 1,000 लोगों में से 2.25 लोगों में एसवीटी विकसित हो सकता है. आपको बता दें कि प्रति मिनट 100 से अधिक हार्ट बीट होना सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का सबसे आम लक्षण हो सकता है. इसके अन्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं -

सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया के गंभीर मामलों में लोग बेहोश हो सकते हैं या फिर कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.

(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Hridyas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
BP Tablet
₹699  ₹999  30% छूट
खरीदें

अधिकतर मामलों में सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है. वहीं, कुछ मामलों में दिल के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स और सर्किटरी में किसी तरह की कोई समस्या होना, सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का कारण बन सकता है. इसके अलावा, कुछ अन्य कारण सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया को ट्रिगर कर सकते हैं. इसमें शामिल हैं - 

इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया होने का जोखिम अधिक होता है. थायराइड, फेफड़े और हृदय रोग भी सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का कारण बन सकते हैं. यह समस्या किशोरावस्था में अधिक देखने को मिल सकती है.

(और पढ़ें - हृदय वाल्व रोग का इलाज)

सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया के अधिकतर मामलों में इलाज की जरूरत नहीं होती है. हां, अगर किसी व्यक्ति को यह समस्या लंबे समय से है, तो निम्न प्रकार के इलाज किए जा सकते हैं -

कैरोटिड साइनस मसाज

इसके तहत डॉक्टर गर्दन पर हल्का दबाव डालता है, जहां कैरोटिड आर्टरी दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है. इस प्रकार की मालिश के दौरान, शरीर ऐसे केमिकल छोड़ता है, जो हार्ट रेट को धीमा कर देते हैं. ध्यान रहे कि कैरोटिड साइनस की मालिश कभी भी खुद से न करें.

(और पढ़ें - दिल में छेद का इलाज)

वागल मेनुवर

खांसने या चेहरे पर आइस पैक लगाने जैसी सरल, लेकिन खास क्रियाएं हृदय गति को धीमा करने में मदद कर सकती हैं. डॉक्टर इन क्रियाओं को एसवीटी का अनुभव होने पर करने के लिए कह सकते हैं. ये क्रियाएं वेगस नर्व को प्रभावित करती हैं, जो दिल की धड़कन को नियंत्रित करने में मदद करती है.

(और पढ़ें - रूमैटिक हार्ट डिजीज का इलाज)

Spirulina Capsules
₹539  ₹599  10% छूट
खरीदें

दवाइयां

कुछ दवाइयां सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का इलाज करने में असरदार साबित हो सकती हैं. ये दवाइयां हार्ट बीट को सामान्य करके सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का इलाज कर सकती हैं. सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया का उपचार करने वाली दवाइयों में शामिल हैं-

  • एडिनोसिन
  • एट्रोपिन
  • बीटा ब्लॉकर्स
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स
  • डिजिटलिस (डिजॉक्सिन)
  • पोटेशियम चैनल ब्लॉकर्स

इन दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह पर किया जा सकता है.

(और पढ़ें - हृदय रोग में क्या खाएं)

हार्ट को सही रखने के लिए आप Myupchar Ayurveda Hridyas सप्लीमेंट ले सकते हैं, जिसे 100% प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनाया गया है -

कार्डियोवर्शन

छाती पर पैडल या पैच का उपयोग हृदय को इलेक्ट्रिकल शॉक देने और हृदय की रिदम को रीसेट करने में मदद की जाती है. आमतौर पर कार्डियोवर्शन का उपयोग तब किया जाता है, जब वागल मेनुवर और दवाएं काम नहीं करती हैं.

(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए प्राणायाम)

कैथेटर एब्लेशन

इस प्रक्रिया में आमतौर पर डॉक्टर कमर में नसों या धमनियों के माध्यम से पतली ट्यूबों यानी कैथेटर को डालते हैं. कैथेटर की नोक पर सेंसर लगा होता है. यह सेंसर हीट और कोल्ड एनर्जी का इस्तेमाल करके हार्ट में छोटे निशाना बनाता है. इससे अनियमित इलेक्ट्रिकल सिग्नल पर रोक लगती है और हार्ट बीट रीस्टोर हो जाती है.

(और पढ़ें - हृदय के कौन-कौन से टेस्ट होते हैं)

पेसमेकर

कुछ गंभीर मामलों में दिल की धड़कने को सही रखने के लिए पेसमेकर नामक छोटा-सा उपकरण लगाया जाता है. पेसमेकर को मामूली सर्जिकल प्रक्रिया के जरिए स्किन के नीचे कॉलरबोन के पास प्रत्यारोपित किया जाता है. इस डिवाइस को एक तार के जरिए दिल से जोड़ा जाता है.

(और पढ़ें - महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण)

Ashwagandha Tablet
₹359  ₹399  10% छूट
खरीदें

सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया में हृदय की गति तेज हो सकती है. यह दिल की धड़कन की गति या रिदम की एक समस्या है. इस स्थिति में सीने में दर्द, चक्कर आना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. कुछ मामलों में यह समस्या गंभीर हो सकती है और कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है. इसलिए, इसके लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअदांज नहीं करना चाहिए. इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और दिल की धड़कन को सामान्य करने के लिए दवा लेनी चाहिए.

(और पढ़ें - हार्ट पल्पिटेशन का इलाज)

Dr. Farhan Shikoh

Dr. Farhan Shikoh

कार्डियोलॉजी
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Amit Singh

Dr. Amit Singh

कार्डियोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Shekar M G

Dr. Shekar M G

कार्डियोलॉजी
18 वर्षों का अनुभव

Dr. Janardhana Reddy D

Dr. Janardhana Reddy D

कार्डियोलॉजी
20 वर्षों का अनुभव

सम्बंधित लेख

दिल की धड़कन कम कैसे करें?

Dr. Ayush Pandey
MBBS,PG Diploma
7 वर्षों का अनुभव
ऐप पर पढ़ें