वैरीकोसेल पुरुषों के टेस्टिकल और स्क्रोटम की नसों से जुड़ी मेडिकल समस्या है. इस स्थिति में नसों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से भयानक दर्द होता है. यह पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण भी बन जाता है. इस समस्या का दवाइयों और सर्जरी से बेहतर इलाज योग से हो सकता है. कुछ विशेष योगासन करने से इस समस्या से जल्दी और पूरी तरह से छुटकारा मिल सकता है.

आइए, जानते हैं कि वैरीकोसेल के लिए कौन से योगासन फायदेमंद हो सकते हैं -

(और पढ़ें - वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवा)

  1. वैरीकोसेल के लिए फायदेमंद योगासन
  2. सारांश
वैरीकोसेल के लिए योग के डॉक्टर

आमतौर पर वैरीकोसेल की समस्या 15 वर्ष से 35 वर्ष की आयु के बीच देखी जाती है. टेस्टिकल की नसों में वॉल्व होते हैं, जो रक्त को टेस्टिकल्स और स्क्रोटम से हृदय की ओर ले जाते हैं. जब ये वॉल्व काम नहीं करते, तब खून एक ही जगह जमा हो जाता है. इससे टेस्टिकल के आसपास की नसें फूल जाती हैं और वैरीकोसेल की समस्या पैदा हो जाती है.

वैरीकोसेल की समस्या को दवाइयों व इंजेक्शन के मुकबाले योग से सही करने की सलाह दी जाती है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि वैरीकोसेल में कौन-कौन से योगासन फायदेमंद हैं -

प्राणायाम

प्राणायाम पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद करता है. वैरीकोसेल भी ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ी बीमारी है, इसलिए कपालभातिअनुलोम-विलोम जैसी प्रणायाम शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ा कर इस दर्द से राहत दिला सकते हैं. इन दोनों प्रकार के प्राणायाम को करने की प्रक्रिया नीचे बताई गई है -

कपालभाती की प्रक्रिया:

  • सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं.
  • इसके बाद दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर चित्त मुद्रा बनाएं.
  • गहरी सांस अंदर की ओर लें और झटके से नाक से सांस को छोड़ें. ऐसा करते समय पेट अंदर की ओर जाएगा.
  • ऐसा कुछ मिनट तक लगातार करते रहें. एक बार में इसे 35 से लेकर 100 बार तक कर सकते हैं.
  • ध्यान रहे कि इस दौरान मुंह को नहीं खोलना है.

अनुलोम-विलोम की प्रक्रिया:

  • सबसे पहले शरीर को एकदम सीधा करके बैठ जायें. रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें और आंखें बंद कर लें.
  • अब सीधे हाथ के अंगूठे से दाईं तरफ की नासिका को बंद करें और उल्टे हाथ की नासिका से सांस लें. 
  • अब दाईं नासिका से अंगूठा उठाते हुए दो उंगलियों से बाईं नासिका को बंद करें और दाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें.
  • इसके बाद दाईं नासिका से सांस लेकर फिर अंगूठे से बंद करें और फिर बाईं नासिका से उंगलियों को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें.
  • इस प्रकार एक च्रक पूरा हो जाएगा. ऐसे आप एक बार में 5-6 चक्र कर सकते हैं.

(और पढ़ें - वैरीकोसेल का ऑपरेशन)

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धनुरासन

धनुरासन में शरीर एक धनुष की तरह दिखता है. यह आसन वैरीकोसेल के लक्षणों को कम करता है और स्क्रोटम में मौजूद टेस्टिकल के आस-पास की नसों में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ाता है.

आसन की प्रक्रिया:

  • पहले समतल जगह पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं और हाथों को अपने शरीर के बगल में रखें.
  • इसके बाद घुटनों को मोड़ते हुए पैरों को हिप्स के पास ले आएं.
  • फिर दोनों हाथों से एड़ियों को पकड़ लें और सांस लेते हुए शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करें.
  • फिर जितना संभव हो सके पीछे देखने का प्रयास करें.
  • कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं और कुछ देर आराम करके फिर से करें.

मत्स्यासन

मत्स्यासन से शरीर मछ्ली जैसे आकार में आ जाता है. इस आसान से शरीर में खिंचाव पैदा होता है, जिससे नसों और मांसपेशियों में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ता है. इसलिए, इस आसन से वैरीकोसेल की वजह से टेस्टिकल के आस-पास की नसों में आई सूजन से राहत मिलती है. इस योगासन को करने के कई तरीके हैं, लेकिन यहां हम इसे करने का सबसे आसान तरीका बता रहे हैं.

आसन की प्रक्रिया:

  • योग मैट पर पद्मासन में बैठ जाएं.
  • अब धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पीठ के बल लेट जाएं.
  • इसके बाद बाएं पैर को दाएं हाथ से और दाएं पैर को बाएं हाथ से पकड़ लें.
  • इस दौरान कोहनियां और घुटने जमीन के साथ सटे रहेंगे.
  • इसके बाद सांस लेते हुए सिर को पीछे की तरफ मोड़ने का प्रयास करें.
  • अब कुछ देर इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पहली वाली अवस्था में लौट आएं.
  • कुछ देर आराम करने के बाद इसे फिर से करें.

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वज्रासन

वज्रासन करने से वैरीकोसेल की समस्या से आराम मिलता है. वैरीकोसेल के मरीज को 10 से 20 मिनट तक इस आसन में बैठना चाहिए. यह सबसे आसान और लाभदायक योगासन है. यही ऐसा योगासन है, जिसे खाना खाने के तुरंत बाद किया जा सकता है.

आसन की प्रक्रिया:

  • घुटनों के बल खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिला लें.
  • अब एड़ियों के बीच दूरी बनाते हुए उस पर बैठ जाएं. 
  • इस अवस्था में शरीर का सारा वजन पैरों पर होना चाहिए और दोनों हाथ जांघों पर रखें. 
  • कमर व उससे ऊपर का हिस्सा बिल्कुल सीधा होना चाहिए.

पद्मासन

कमल आसन के नाम से जाने जाना वाला यह आसन, पूरे शरीर को शक्ति देता है. इस आसन को रोज करने से शरीर का तनाव कम होता है और मांसपेशियों के साथ-साथ नसों में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ता है. इससे टेस्टिकल की नसों की सूजन कम होती है, जिससे दर्द से राहत मिलती है.

आसन की प्रक्रिया:

  • पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं और रीड़ की हड्डी को सीधा रखें.
  • बाएं घुटने को मोड़ते हुए पैर को दाईं जांघ पर रख दें. ध्यान रहे की एड़ी पेट के पास हो और पांव का तलवा ऊपर की ओर हो.
  • अब यही चीज दूसरे पैर के साथ दोहराएं.
  • हाथों को मुद्रा स्थिति में घुटनों पर रखें.
  • इसी स्थिति में बने रहकर गहरी सांस लेते रहें.

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सलंब भुजंगासन

यह आसन भुजंगासन का एक रूप है. इस आसन को करने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और शरीर को तनाव से राहत मिलती है. ऐसा करने से टेस्टिकल के आसपास की नसों के वाल्व खुलते हैं, जिससे सूजन कम होती है और दर्द में कमी आती है.

आसन की प्रक्रिया:

  • पेट के बल लेट जाएं, पैरों के पंजों को फर्श तथा माथे को जमीन पर पर रखें.
  • पंजों और एड़ियों को एक दूसरे के पास रखते हुए पैरों को एक साथ रखें.
  • हाथों को सिर के पास रखें और हथेलियां जमीन के साथ स्पर्श करती हुई होनी चाहिए.
  • अब गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सिर, छाती व पेट को उठाएं, जबकि नाभि फर्श से लगी रहनी चाहिए.
  • हाथों की मदद से शरीर को जमीन से दूर पीछे की ओर खींचें.
  • कुछ देर इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे की ओर आएं और कुछ देर आराम करें.

आनंद बालासन

आनंद बालासन रिलैक्सिंग होता है और तनाव कम करने में मदद करता है. इस आसन में पीठ के बल लेट कर दोनों पैरों को ऊपर उठाकर हाथ से पकड़ना होता है जैसा एक छोटा बच्चा करता है. इस आसन को करने से शरीर की स्ट्रेचिंग होती है, जिससे मांसपेशियों और नसों पर दबाव पड़ता है. इसके कारण टेस्टिकल के आसपास की नसों के वॉल्व खुलते हैं और उनमें ब्लड का बहाव बढ़ता है.

आसन की प्रक्रिया:

  • पीठ के बल लेट जाएं और एक लंबी गहरी सांस लें.
  • अब सांस छोड़ते हुए घुटनों को छाती की तरफ मोड़ें.
  • पैर छत की तरफ होने चाहिए.
  • हिप्स को जमीन से लगे रहने दें.
  • दोनों हाथों से दोनों पैरों को अंदर या बाहर की ओर से पकड़ें.
  • धीरे-धीरे घुटनों को फैलाते हुए उन्हें आर्मपिट की ओर ले जाएं.
  • पैरों को आगे-पीछे करें और धीरे-धीरे शरीर को एक साइड घुमाएं और फिर दूसरी साइड घुमाएं.
  • कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहें और फिर धीरे-धीरे पहली वाली स्थिति में आ जाएं.

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शवासन

शवासन सबसे आसान योगासन है. इस आसान से पूरे शरीर को आराम मिलता है. साथ ही मानसिक तनाव भी दूर होता है और शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है. इससे वैरीकोसेल की वजह से पुरुषों के टेस्टिकल की नसों में आई सूजन कम होती है और दर्द से राहत मिलती है.

आसन की प्रक्रिया:

  • बिना तकिये या किसी भी चीज का सहारा लिए पीठ के बल योग मैट पर लेट जाएं और आंखें बंद कर लें.
  • पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें और हाथों को भी शरीर से थोड़ा-सा दूर रखें.
  • हथेलियां की दिशा आसमान की ओर होनी चाहिए.
  • पूरे शरीर को विश्राम दें.
  • धीमी व गहरी सांसें लें और अपना पूरा ध्यान सांस पर रखें.
  • ध्यान दे कि यह आसन करते हुए सो न जाएं.
  • 10-20 मिनट के बाद जब शरीर पूरी तरह से आराम की स्थिति में आ जाए, तो आंखें बंद रखते हुए दाहिनी ओर करवट लें. उस स्थिति में 1 मिनट तक रहें. दाहिने हाथ का सहारा लेते हुए उठ कर बैठ जाएं. 
  • आंखों को बंद रखते हुए कुछ लंबी गहरी सांसें लें और आंखें धीरे-धीरे से आंखें खोलें.

वैरीकोसेल की समस्या को कई बार आम दर्द मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन ऐसा करना गलत है. इस पर ध्यान न दिए जाने पर यह बड़ी समस्या बन सकती है. वैरीकोसेल को लंबे समय तक बिना किसी इलाज के छोड़ देने पर यह पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है. इसके कारण पुरुषों में स्पर्म बनने की शक्ति पर भी असर पड़ सकता है. ऐसे में इस दर्द से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा उपाय योगासन है.

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Dr. Smriti Sharma

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