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भूमिका

खतना एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें लिंग के अगले हिस्से की चमड़ी को हटा दिया जाता। खतना आमतौर पर नवजात व छोटे बच्चों का किया जाता है। कुछ स्थितियों में यह बाद में भी करवाया जा सकता है। खतना ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसे सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं धर्म संबंधी उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है। हालांकि, यदि बच्चा समय से पहले पैदा हो गया है या फिर उसे लिंग संबंधी कोई दोष या विकार है, तो इस सर्जिकल प्रक्रिया को टाला जा सकता है।

सर्जरी से पहले डॉक्टर आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी लेते हैं और आपका शारीरिक परीक्षण करते हैं। खतना को आमतौर पर गहरी नींद लाने वाली या सुन्न करने वाली दवा की मदद से ही किया जाता है। बड़े बच्चों और वयस्कों में इस प्रक्रिया को तीन और नवजात शिशुओं में चार अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। खतना के बाद सर्जरी वाली जगह को सूखा व साफ रखने की सलाह दी जाती है और मरीज को शारीरिक आराम देने के लिए भी कहा जाता है। खतना होने के बाद कुछ दिनों तक कोई मेहनत वाली शारीरिक गतिविधि न करने की सलाह दी जाती है। सर्जरी होने के चार से छ: हफ्तों के लिए डॉक्टर यौन संबंध बनाने से परहेज रखने की सलाह भी देते हैं।

खतना होने के एक हफ्ते बाद डॉक्टर फिर से बुलाते हैं, ताकि किसी प्रकार की बदलाव की जांच की जा सके। इसके अलावा यदि आपको पहले ही कोई लक्षण महसूस होने लगता है, जैसे बुखार या पेशाब करने से संबंधी समस्या होना आदि तो ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर लें।

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  1. खतना क्या है - Khatna kya hai
  2. खतना क्यों की जाती है - Khatna kyu jaruri hai
  3. खतना से पहले - Khatna se pahle
  4. खतना के दौरान - Khatna ke dauran
  5. खतना के बाद देखभाल - Khatna ke baad dekhbhal
  6. खतना के फायदे व नुकसान - Khatna ke fayde aur nuksan
खतना के डॉक्टर

खतना को अंग्रेजी भाषा में सर्कमसीजन कहा जाता है। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसकी मदद से लिंग के अगले हिस्से पर मौजूद चमड़ी को हटा दिया जाता है। इसे दुनिया की सबसे पुरानी सर्जिकल प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है और यह दुनियाभर के लगभग एक चौथाई पुरुषों को की जाती है। खतना आमतौर पर नवजात शिशुओं या छोटे बच्चों का ही किया जाता है, हालांकि, किशोरों और वयस्क लोगों का खतना भी किया जा सकता है।

यदि खतना को बचपन में ही किया जाए, तो इससे फायदे अधिक और जोखिम कम होते हैं। पुरुषों में खतना को कई धर्मों में सांस्कृतिक उद्देश्यों से किया जाता है। हालांकि, खतना को कुछ चिकित्सीय उद्देश्यों से भी किया जा सकता है।

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खतना को कई अलग-अलग कारणों से किया जा सकता है, जिनमें धार्मिक, सामाजिक और मेडिकल संबंधी कारण मुख्य हैं। इसके अलावा कुछ मेडिकल स्थितियों में भी खतना किया जा सकता है -

  • बैलेनाइटिस (लिंग की सूजन)
  • फिमोसिस (इस स्थिति में लिंग के बाहरी हिस्से की चमड़ी पीछे नहीं हट पाती है)
  • पोस्थाइटिस (शिश्नमुंड की चमड़ी में सूजन होना)
  • पैराफिमोसिस (इस स्थिति में लिंग के अगले हिस्से की चमड़ी पीछे हट जाती है और आगे नहीं आ पाती है।
  • बैलेनोपोस्थाइटिस (लिंग के अगले हिस्से और उसकी ऊपरी चमड़ी में सूजन आ जाना)
  • लिंग की चमड़ी पर मस्सेदार घाव बनना
  • लिंग की चमड़ी पर कैंसर से संबंधी घाव बनना

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सर्जरी से पहले निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

डॉक्टर सबसे पहले मरीज के स्वास्थ्य संबंधी सारी जानकारी लेते हैं और शारीरिक परीक्षण करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि आप सर्जरी करवाने के लिए स्वस्थ हैं या नहीं।

डॉक्टर आपको एचआईवी टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।

यदि आप किसी भी प्रकार की कोई दवा, सप्लीमेंट या अन्य कोई हर्बल उत्पाद ले रहे हैं, तो आपको डॉक्टर से इस बारे में बता देना चाहिए। यदि आपको किसी दवा से एलर्जी है या फिर अन्य कोई समस्या है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। डॉक्टर आपको खून पतला करने वाली दवाएं न लेने या उनकी खुराक कम करने की सलाह दे सकते हैं, जैसे एस्पिरिन, वार्फेरिन और ईबुप्रोफेन आदि।

डॉक्टर आपको सर्जरी शुरू करने से कुछ हफ्ते पहले से ही धूम्रपान न करने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि धूम्रपान करने वाले लोगों में सर्जरी के बाद समस्याएं होने का खतरा अधिक रहता है।

खतना करने के लिए आमतौर पर मरीज को एनेस्थीसिया दी जाती है, इसलिए आपको सर्जरी वाले दिन आपको कुछ भी खाने या पीने से मना किया जा सकता है।

डॉक्टर आपको एक सहमति पत्र देंगे जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हस्ताक्षर करने से पहले एक बार पत्र को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ लें।

आपको सर्जरी से पहले जननांगों के बालों को अच्छे से साफ करने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी को ठीक तरीके से किया जा सके और सर्जरी के बाद पट्टी बांधने में आसानी हो।

सर्जरी वाले दिन सुबह अपने जननांगों को साबुन व हल्के गर्म पानी से अच्छे से धो लें। लिंग के अगले हिस्से की चमड़ी के नीचे वाले हिस्से को धोने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें।

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खतना की प्रक्रिया के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, जो व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करते हैं। वयस्कों में खतना को निम्न प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है -

  • खतना करने के लिए व्यक्ति को या तो गहरी नींद लाने वाली दवा दी जाती है, या फिर सर्जरी वाले स्थान को पूरी तरह से सुन्न कर दिया जाता है। डॉक्टर सर्जरी शुरू करने से एक घंटा पहले और सर्जरी होने के छह घंटे बाद पैरासीटामोल या अन्य कोई दर्दनिवारक दवा दे सकते हैं।
  • सर्जरी के दौरान सबसे पहले लिंग की चमड़ी को पीछे की तरफ हटाया जाता है और यदि उसका कोई हिस्सा शिश्नमुंड से चिपका हुआ है, तो उसे भी अलग कर दिया जाता है।
  • चिपका हुआ हिस्सा अलग करने के बाद चमड़ी को फिर से आगे लगाया जाता है और खतना के लिए निशान लगाए जाते हैं।

खतना करने के लिए सर्जन आमतौर पर निम्न में से किसी एक सर्जिकल प्रक्रिया का उपयोग करते हैं -

फॉरसेप्स गाइडेड मेथड

खतना करने के लिए फॉरसेप्स गाइडेड विधि को निम्न तरीके से किया जाता है -

  • सर्जन लिंग की चमड़ी की बाहरी और भीतरी सतह को विशेष उपकरणों (फॉरसेप्स) की मदद से पकड़ते हैं और उन्हें शिश्नमुंड के विपरीत दिशा में खींचते हैं।
  • जब चमड़ी शिश्नमुंड से दूर हो जाती है, तो स्कैलपल की मदद से उसमें कट लगाते हैं। फॉरसेप्स का इस्तेमाल शिश्नमुंड को कट लगने से बचाने के लिए किया जाता है।
  • कट लगने के बाद स्किन को बाहर की तरफ धीरे-धीरे खींच कर लिंग से अलग कर दिया जाता है। उसके बाद यदि कोई रक्त वाहिका खुली है, तो टांके लगाकर उन्हें बंद कर दिया जाता है और फिर पट्टी कर दी जाती है।

डॉर्सल स्लिट मेथड

इस प्रक्रिया का इस्तेमाल आमतौर पर फिमोसिस से ग्रस्त लोगों के लिए की जाती है, जो इस प्रकार है -

  • चमड़ी के शिश्नमुंड से चिपके हुए हिस्से को अलग करके, सर्जन फॉरसेप्स की मदद से चमड़ी को पकड़ते हैं।
  • दो अतिरिक्त फॉरसेप्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि चमड़ी को ऊपर की तरफ पकड़ के रखा जाए।
  • उसके बाद फॉरसेप्स के बीच से निशान लगाकर कट लगा दिया जाता है।
  • शिश्नमुंड को बचाते हुऐ निशान के अनुसार कट लगाकर चमड़ी को अलग कर दिया जाता है और बाकी के बचे हुऐ भाग को बाद में अलग कर दिया जाता है।
  • चमड़ी को अलग करने के बाद सर्जन टांके लगाकर रक्त वाहिकाओं को बंद कर देते हैं और फिर उसके ऊपर पट्टी लगा देते हैं।

स्लीव रिसेक्शन मेथड

इसे निम्न प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है -

  • सर्जन चमड़ी के ऊपरी हिस्से पर V की आकृति का निशान लगाते हैं, जिसका चोटी वाला हिस्सा शिश्नमुंड की तरफ होता है। उसके बाद लिंग के अंदरूनी तरफ भी चमड़ी निशान लगाया जाता है।
  • सर्जन निशान के अनुसार कट लगाते हैं और कट पूरा होते ही सर्जन के सहायक नम रुई के साथ चमड़ी को पीछे की तरफ खींचते हैं।
  • कट पूरा होने के बाद चमड़ी स्लीव की तरह लिंग से चिपकी रह जाएगी, जिससे डॉक्टर विशेष कैंची से कट लगाकर अलग कर देते हैं।
  • अंत में रक्त वाहिकाओं को बंद करने के लिए टांके लगा दिए जाते हैं और पट्टी कर दी जाती है।
  • इसमें लगाए जाने वाले टांके आमतौर पर कुछ समय बाद त्वचा में ही अवशोषित हो जाते हैं, इसलिए इन्हें निकालने की आवश्यकता नहीं  पड़ती है। 
  • सर्जरी के दो दिन तक डॉक्टर आपको अच्छी फिटिंग वाले अंडरवियर पहनने की सलाह देते हैं, ताकि टांके अपनी जगह पर सुरक्षित रहें। पट्टी हटाने के बाद आपको खुली फिटिंग वाले अंडरवियर पहनने को कहा जाएगा।

शिशुओं और कम उम्र के लड़कों का खतना करने के लिए निम्न सर्जिकल प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है -

  • सबसे पहले आयोडीन-पोविडोन सोलूशन के साथ बच्चे के लिंग व आस-पास के भाग को साफ किया जाता है।
  • उसके बाद बच्चे के ऊपर से एक विशेष कपड़े से ढक दिया जाता है, जिसमें एक छेद होता है। इस छेद में से लिंग को बाहर निकाल लिया जाता है।
  • बच्चे को एनेस्थीसिया दी जाती है, जिससे उसका लिंग व आस-पास का हिस्सा पूरी तरह से सुन्न हो जाता है।
  • यदि चमड़ी टाइट है व पीछे नहीं जा रही है, तो सर्जन उपकरणों की मदद से उसे चौड़ी करते हैं और फिर उसे पीछे हटाते हैं। चमड़ी को पीछे हटाने के बाद उसके शिश्नमुंड से चिपके हुऐ हिस्से को अलग किया जाता है।
  • खतना करने के लिए जहां से चमड़ी को हटाना है, वहां पर निशान लगाए जाते हैं।

बच्चों में खतना करने की प्रक्रिया को निम्न के अनुसार किया जाता है -

डॉर्सल स्लिट मेथड

इस प्रक्रिया को ठीक उसी तरह से किया जाता है, जिस तरह से वयस्कों में यह प्रक्रिया की जाती है।

प्लास्टीबेल मेथड

प्लास्टीबेल एक प्लास्टिक से बनी घंटी की आकृति वाला उपकरण है, जिसके पीछे एक नली नुमा खांचा बना होता है। इसके निम्न स्टेप हैं -

  • सबसे पहले उचित आकार की प्लास्टीबेल को चुना जाता है।
  • लिंग के अगले हिस्से से चमड़ी को पीछे हटाया जाता है और प्लास्टीबेल को लगाया जाता है। चारों तरफ से हल्के दबाव के साथ बांध दिया जाता है।
  • इसके बाद चमड़ी को प्लास्टीबेल के ऊपर से चढ़ा दिया जाता है और चमड़ी के अगले हिस्से को प्लास्टीबेल के खांचे से बांध दिया जाता है।
  • इससे से चमड़ी में रक्त की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो जाती है और चमड़ी उखड़ जाती है। इसमें चमड़ी को लिंग से अलग होने में सात से दस दिन का समय लगता है।
  • प्लास्टीबेल भी पांच से सात दिनों के भीतर अपने आप ही अलग होकर गिर जाती है। यदि यह अपने आप नहीं गिरती है, तो खतना होने के 36 से 48 घंटों के बाद प्लास्टीबेल को हटा दिया जाता है।

मोजेन क्लैम्प मेथड

मोजेन क्लैम्प धातु से बना एक कब्जा (हिन्ज) नुमा उपकरण है। इस सर्जिकल प्रक्रिया को निम्न के अनुसार किया जाता है -

  • सर्जन सावधानीपूर्वक शिश्नमुंड से चिपकी हुई चमड़ी को हटाते हैं, ताकि बिना कोई क्षति हुऐ चमड़ी को पीछे हटाया जा सके।
  • इसके बाद स्लिट लैंप को लगाकर चमड़ी को फिर से आगे की तरफ खींचा जाता है।
  • सर्जन यह सुनिश्चित करते है कि कहीं शिश्नमुंड का कोई हिस्सा तो क्लैंप के नीचे नहीं है और इसके बाद क्लैंप को बंद कर देते हैं। इसे उपकरण को तीन से पांच मिनट के लिए बंद करके छोड़ दिया जाता है।
  • इसके बाद क्लैंप के बाहरी चमड़ी को दबाएंगे और क्लैंप को खोल कर हटा देंगे।
  • उसके बाद शिश्नमुंड को सामान्य स्थिति में लाया जाता है, ताकि ठीक होने की गति सामान्य हो सके।
  • नवजात शिशुओं में टांके नहीं लगाए जाते हैं, हालांकि, दो महीने से ऊपर के बच्चों के लिए कुछ दुर्लभ मामलों में टांके लगाने पड़ सकते हैं।

गोमको क्लैंप मेथड

गोमको क्लैंप चार भागों से मिलकर बना होता है, जिन्हें बेस प्लेट, रॉकर आर्म, नट और बेल के नाम से जाना जाता है। सर्जरी से पहले इन सभी भागों को एक दूसरे से जोड़ कर तैयार कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को निम्न तरीकों से किया जाता है -

  • सबसे पहले उचित साइज के गोमको क्लैंप को चुना जाता है
  • सर्जन चमड़ी के ऊपरी हिस्से में एक कट लगाते हैं, चमड़ी को पीछे हटाया जाता है शिश्नमुंड से चिपके हुऐ हिस्से को अलग कर दिया जाता है।
  • इसके बाद शिश्नमुंड पर क्लैंप की बेल को लगाया जाता है और चमड़ी को बेल के ऊपर चढ़ा दिया जाता है।
  • चमड़ी को बेल के ऊपर समान रूप से खींचा जाएगा और इसके चारों तरफ क्लैंप लगाकर टाइट कर दिया जाता है।
  • इसके बाद गोमको क्लैंप की बेस प्लेट को बेल पर लगा देते हैं। क्लैंप की रॉकर आर्म को अपनी पॉजिशन पर लगाया जाता है और क्लैंप को तब तक टाइट किया जाता है जब तक चमड़ी भींच न जाए। उसके बाद सर्जन चमड़ी को गोलाई में काट देते हैं।
  • क्लैंप को पांच मिनट के लिए ही लिंग पर लगाया जाता है और फिर उसे हटा दिया जाता है।

दो महीनें से अधिक उम्र वाले बच्चों को सर्जरी के बाद टांके भी लगाने पड़ सकते हैं।

सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कम से कम आधे घंटे के लिए निगरानी में रखते हैं, ताकि कोई समस्या विकसित होने पर तुरंत उसका निवारण किया जा सके। नर्स आधे घंटे में कई बार आपके बीपी व अन्य शारीरिक गतिविधियों को जांच करेगी।

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सर्जरी के बाद आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -

खतना होने के बाद डॉक्टर आपको पहले तीन दिन घर पर आराम करने की सलाह देते हैं। आपको कमर के बल लेटने को कहा जाता है, ताकि लिंग पर कोई दबाव न पड़े। हालांकि, आप घर में ही थोड़ा बहुत चल भी सकते हैं।

खतना होने के बाद आपको अपना लिंग व अन्य जननांगों को साफ रखने की सलाह भी दी जाती है।

खतना होने के दो दिन बाद आप पट्टी उतार सकते हैं, हालांकि, एक बार इस बारे में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। यदि रक्तस्राव नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर आपको पट्टी उतारने की अनुमति दे सकते हैं। क्योंकि रक्तस्राव रुकने के बाद आपको पट्टी की आवश्यकता नहीं होती है।

सर्जरी के अगले दिन ही डॉक्टर आपको नहाने की अनुमति दे सकते हैं, लेकिन आपको नहाते समय पट्टी को गीला होने से बचाना होता है।

पट्टी उतरने के बाद गुप्तांगों को हल्की साबुन और गुनगुने पानी के साथ रोजाना धोएं और दिन में दो बार शॉवर लें।

खतना होने के कम से कम छह हफ्तों तक कोई भी ऐसी शारीरिक गतिविधि न करें, ताकि घाव को पूरी तरह से ठीक होने का समय मिल सके।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर को दिखा लें -

  • बुखार
  • लालिमा बढ़ जाना
  • लगातार रक्तस्राव होना
  • खतना के 12 घंटो के बाद भी ठीक से पेशाब न आना
  • पस से भरे फफोले रहना
  • सूजन लगातार गंभीर होती रहना
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खतना से निम्न फायदे हो सकते हैं -

खतना से होने वाले नुकसान

खतना से होने वाली सामान्य जटिलताओं में निम्न शामिल है -

  • संक्रमण
  • रक्तस्राव होना
  • सर्जरी के दौरान कम या ज्यादा चमड़ी उतर जाना
  • चमड़ी और शिश्नमुंड के बीच की त्वचा क्षतिग्रस्त होना
  • सर्जरी वाला घाव ठीक न हो पाना
  • यूरेथ्रा का छिद्र संकुचित होना
  • लिंग के छिद्र में सूजन व लालिमा होना
  • हाइपोस्पैडिया
  • पट्टी के कारण पेशाब ठीक से न कर पाना
  • एपिस्पैडिया
  • सर्जरी के दौरान गलती से शिश्नमुंड का कुछ हिस्सा कट जाना (बहुत ही दुर्लभ मामलों में)

(और पढ़ें - पेशाब कम आने का इलाज)

Dr. Piyush Jain

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Dr. Prity Kumari

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संदर्भ

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