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एंजियोप्लास्टी और हार्ट बाईपास सर्जरी ऐसी चिकित्सा प्रक्रियाएं हैं जिनका उपयोग बंद या अवरुद्ध धमनियों के उपचार के लिए किया जाता है। धमनियां वो रक्त वाहिकाएं होती हैं जो हमारे शरीर में मस्तिष्क से पैर की उंगलियों तक ऑक्सीजन से युक्‍त खून ले जाती हैं। समय के साथ, उनकी आंतरिक दीवारों पर प्लाक नामक पदार्थ के निर्माण के कारण, धमनियां अवरुद्ध हो सकती हैं। नतीजतन, शरीर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और कुछ मामलों में पूरी तरह से रूक जाता है। इससे स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

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एंजियोप्लास्टी क्या है?

एंजियोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक सिरे पर गुब्बारा लगी कैथेटर को कमर या बांह में एक छोटे से चीरे के जरिए धमनी की रुकावट वाली जगह पर डाला जाता है। इसके बाद इस गुब्बारे को संकरी धमनी को चौड़ा करने के लिए फुलाया जाता है। अक्सर, डॉक्टर धमनी को फिर से अवरुद्ध होने से रोकने के लिए स्टेंट (एक छोटी धातु या प्लास्टिक की ट्यूब) लगा देते हैं।

 बाईपास सर्जरी क्या है?

बाईपास सर्जरी के दौरान, सर्जन या तो मरीज़ की छाती के अंदर या पैर के निचले हिस्‍से से एक स्वस्थ रक्त वाहिका लेते हैं। रक्त प्रवाह को ठीक करने के लिए इस स्‍वस्‍थ रक्‍त वाहिका को अवरूद्ध धमनी के ऊपर और नीचे जोड़ दिया जाता है। नतीजतन, खून रक्त वाहिका के अवरुद्ध भाग की बजाय इस नई जोड़ी गई वाहिका से हृदय में प्रवाहित होता है।

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एंजियोप्लास्टी और हार्ट बाईपास सर्जरी के बीच का अंतर

एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया में डॉक्टरों को कोई बड़ी सर्जरी करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि पैर, बांह या कलाई में एक छोटा सा चीरा लगाकर भी इसे किया जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक घंटा लगता है और इसमें घाव छोटा होता है जिससे मरीज़ जल्दी ठीक हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में, प्रक्रिया से पहले जनरल एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है और रोगी कुछ दिनों के भीतर ही सामान्य जीवन शुरू कर सकता है।

दूसरी ओर, बाईपास सर्जरी एक बड़ी सर्जरी है जो तीन से छह घंटे तक चलती है। सर्जन दिल तक पहुंचने और सर्जरी करने के लिए छाती में आठ से दस इंच का चीरा लगाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को दर्द मुक्त बनाने के लिए रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। बाईपास सर्जरी के बाद मरीज़ को ठीक होने में 12 सप्ताह तक का समय लग सकता है, जिसमें से एक या दो दिन उसे आईसीयू में भी रखा जाता  है।

हालांकि, दोनों प्रक्रियाएं मरीज़ की समस्‍या का लंबे समय तक निदान कर पाने में असक्षत हैं। एंजियोप्लास्टी बाईपास सर्जरी की तुलना में कम चलती है क्योंकि इससे धमनी में रुकावट का अंतर्निहित कारण ठीक नहीं हो पाता है।

भारत में हुए एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि 15-20% रोगियों जिनकी एंजियोप्लास्टी हुई है उन्हें कुछ वर्षों में ही संकुचित धमनियों का जोखिम दोबारा हो सकता है और अंततः उन्हें बाईपास सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। दोनों ही मामलों में, मरीज को अपने आहार में बदलाव लाने और अतिरिक्त वसा या कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय दिनचर्या का पालन करना जरूरी है।

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आपके लिए क्या सही है

मरीज़ की स्थिति के आधार पर डॉक्‍टर उसके लिए सर्जरी का चयन करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर कोरोनरी धमनी रोग की गंभीरता और उसके बढ़ने, लक्षण (जैसे सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ), हृदय की क्रिया, रोगी का स्वास्थ्य, रोगी का इतिहास, अन्य बीमारियों (जैसे मधुमेह या पहले हुआ स्ट्रोक या दिल का दौरा) की जानकारी लेने के बाद ही मरीज़ के लिए एंजियोप्‍लास्‍टी या बाईपास सर्जरी में से किसी एक को चुनते हैं। मरीज़ से भी पूछा जाता है कि उन्‍हें बाईपास सर्जरी करवानी है या एंजियोप्‍लास्टी। 

बाईपास सर्जरी को आमतौर पर उन मामलों में बेहतर विकल्प माना जाता है जिनमें रोगी की धमनियां कई जगहों पर अवरुद्ध हो जाती हैं या जहां उनकी बाईं मुख्य कोरोनरी धमनी संकुचित हो जाती है। हालांकि, अधिक बुजुर्ग कमजोर रोगियों की बाईपास सर्जरी करना सही नहीं रहता है क्योंकि इस प्रक्रिया से उनके शरीर पर अत्‍यधिक दबाव पड़ सकता है।

दूसरी ओर, एंजियोप्लास्टी की सलाह उन मामलों में दी जाती है जहां मरीज़ की धमनियों में ज्‍यादा ब्‍लॉकेज ना हो और वो किसी अन्‍य बीमारी या स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या ग्रस्‍त ना हो। इसके अलावा अगर मरीज़ को दवा और जीवनशैली में बदलाव करने से भी कोई फायदा नहीं मिलता है तो उसकी एंजियोप्‍लास्‍टी की जाती  है। कभी-कभी मरीज़ जल्‍दी काम शुरु करने के लिए कम इनवेसिव (छोटे चीरे वाली) एंजियोप्लास्टी करने के लिए कहते हैं।

आपके लिए एंजियोप्‍लास्‍टी सही है या बाईपास सर्जरी, ये जानने के लिए एक अच्छे प्रशिक्षित हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना जरूरी है।

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