विटामिन ई क्‍या है?
विटामिन ई वसा में घुलनशील विटामिन है और इसमें शक्‍तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट मौजूद होते हैं जो त्‍वचा को क्षतिग्रस्‍त होने से बचाते हैं। कई खाद्य पदार्थों में विटामिन ई प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और जरूरत पड़ने तक शरीर इसे संग्रहीत कर के रखता है। विटामिन में आठ विभिन्‍न यौगिक मौजूद होते हैं जिनमें से सबसे सक्रिय रूप अल्‍फा-टोकोफेरोल है।

ये त्‍वचा के लचीलेपन को बनाए रखता है जिससे समय से पहले एजिंग, त्‍वचा फटने या झुर्रियों की समस्‍या से सुरक्षा मिलती है। ये समस्‍याएं फ्री रेडिकल्‍स के कारण हो सकती हैं। विटामिन ई को त्‍वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।

(और पढ़ें - चमकदार त्वचा के उपाय)

आइए जानते हैं कि किन कारणों की वजह से त्‍वचा फटने लगती है।

क्‍या हैं फ्री रेडिकल्‍स?  
फ्री रेडिकल्‍स का तात्‍पर्य एकल या समरूप कोशिकाओं से है जो युग (जोड़) बनाने के लिए अत्‍यधिक सक्रिय रहती हैं। इनमे आक्रामक प्रतिक्रिया देकर त्‍वचा और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है। इस प्रतिक्रिया के कारण कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाली ऑक्सीडेटिव तनाव (फ्री रेडिकल्‍स और एंटीऑक्‍सीडेंट के उत्‍पादन के बीच असंतुलन) की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

त्‍वचा को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचाने के अलावा फ्री रेडिकल्‍स का असर शरीर के अन्‍य ऊतकों और अंग प्रणाली जैसे कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, कार्डियोवस्‍कुलर प्रणाली, प्रतिरक्षा तंत्र आदि पर पड़ता है। इन कोशिकाओं के अनियंत्रित कार्य की वजह से निम्‍न विकार हो सकते हैं:

शरीर में क्‍यों बनने लगते हैं फ्री रेडिकल्‍स?
फ्री रेडिकल्‍स प्राकृतिक रूप से बनते हैं। हालांकि, जीवनशैली से संबंधित कुछ कारणों जैसे कि धूम्रपान, अत्‍यधिक शराब पीने या तला या जंक फूड खाने की शरीर में फ्री रेडिकल्‍स का उत्‍पादन होने लगता है। इसके अलावा पर्यावरणीय कारणों जैसे कि पर्यावरणीय प्रदूषकों, रसायनों, कीटनाशकों या अन्‍य तत्‍वों के संपर्क में आने की वजह से शरीर के तंत्र में बदलाव आने लगता है। इसके कारण शरीर में फ्री रेडिकल्‍स का उत्‍पादन होने लगता है।

फ्री रेडिकल्‍स से लड़ने में विटामिन ई कैसे मदद करता है?
विटामिन ई में एंटीऑक्‍सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और ये एंटीऑक्‍सीडेंट्स अन्य अणुओं के ऑक्सीकरण को रोकने में मदद करते हैं। इनमें फ्री रेडिकल्‍स की प्रतिक्रिया को धीमा करने की क्षमता होती है। इससे फ्री रेडिकल्‍स को अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन देकर बेअसर कर दिया जाता है। इस प्रकार फी रेडिकल्‍स की गतिविधि (कार्य) और रसायनिक अस्थिरता में कमी आती है। 

(और पढ़ें - विटामिन ई तेल)

  1. विटामिन ई के स्रोत - Vitmain E Sources in Hindi
  2. विटामिन ई के फायदे - Vitamin E benefits in Hindi
  3. एक दिन में कितना विटामिन ई लेना चाहिए? - Vitamin E Daily Requirement in Hindi
  4. अधिक मात्रा में लेने से विटामिन ई के नुकसान - Vitamin E Overdose in Hindi
  5. विटामिन ई की कमी से नुकसान - Vitamin E Deficiency in Hindi
  6. सारांश

विटामिन E के मुख्य स्रोतों में आहार स्रोत और सप्लीमेंट्स शामिल हैं। यहां कुछ प्रमुख स्रोतों का वर्णन किया गया है:

1. आहार स्रोत

विटामिन E विभिन्न खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। प्रमुख आहार स्रोतों में शामिल हैं:

  • वनस्पति तेल (जैसे कि गेहूं के बीज का तेल, सूरजमुखी का तेल, और जैतून का तेल)
  • नट्स और बीज (जैसे कि बादाम, सूरजमुखी के बीज, और पाइन नट्स)
  • हरी पत्तेदार सब्जियाँ (जैसे कि पालक और ब्रोकोली)
  • फल (जैसे कि आम और किवी)
  • गढ़ी हुई खाद्य पदार्थ (जैसे कि गढ़ी हुई अनाज और जूस)

2. सप्लीमेंट्स

यदि प्राकृतिक स्रोतों से पर्याप्त विटामिन E प्राप्त नहीं हो पा रहा है, तो सप्लीमेंट्स एक प्रभावी विकल्प हो सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन E सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है जो विटामिन E की कमी का सामना कर रहे हैं या जिनकी आहार संबंधी आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पा रही हैं।

Vitamin E Capsules
₹446  ₹499  10% छूट
खरीदें

विटामिन ई प्रत्येक नुकसान से मानव कोशिकाओं की रक्षा करता है| स्वास्थ्य समस्याओं की कई क़िस्मों को कम करने में सहायता करता है जिसमें कैंसर, दिल की बीमारी और भूलने की बीमारी जैसी कई बीमारियाँ है| विटामिन ई के कई अन्य फ़ायदे हैं| सेल संरक्षण के अलावा, विटामिन ई प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है। विटामिन ई नेत्रों की लंबी अवधि तक रक्षा करता है - एक अनुसंधान के अनुसार विटामिन ई खाने वालों में मोतियाबिंद कम पाया जाता है|

यह हार्मोन की तरह एक पदार्थ के उत्पादन में काम आता है जिसे कहतें है - प्रोस्टॅग्लॅनडिन्स - यह रक्तचाप, प्रजनन और मांसपेशियों में संकुचन सहित शरीर की कई प्रक्रियाओं को नियमित करता है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया है की विटामिन ई मांसपेशियों की मरम्मत में भी मदद करता है|

क्रॅन रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, या जिगर से पित्त को पाचन तंत्र में स्रावित करने में असमर्थता होने पर विटामिन ई को पानी में घुलनशील रूप में लेने की सलाह दी जाती है - इससे पाचन समस्याओं से बचा जा सकता है|

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में विटामिन E की दैनिक मात्रा के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। विटामिन E एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है, जिससे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान नहीं होता । 

विटामिन E का महत्व
विटामिन E वसा-घुलनशील विटामिन है जो कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हुए फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है । यह त्वचा, आंखों और इम्यून सिस्टम के लिए भी महत्वपूर्ण है। विटामिन E की कमी से त्वचा की समस्याएं, दृष्टि में कमी, और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

FSSAI की अनुशंसाएँ

FSSAI की नई रिपोर्ट में विभिन्न आयु समूहों और विशेष परिस्थितियों के लिए विटामिन E की अनुशंसित दैनिक मात्रा को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

1. शिशु (0-12 महीने)

शिशुओं के विकास और उनके इम्यून सिस्टम के सही कामकाज के लिए विटामिन E महत्वपूर्ण है। 0-12 महीने की आयु के शिशुओं के लिए रोजाना 3 mg (मिलीग्राम) विटामिन E की मात्रा बताई गई है।

2. बच्चे (1-9 वर्ष)

बच्चों के विकास और स्वास्थ्य के लिए विटामिन E आवश्यक है। FSSAI ने 1-3 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए रोजाना 6 mg और 4-9 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए रोजाना 7 mg विटामिन E की अनुशंसा की है।

3. किशोर (10-18 वर्ष)

किशोरावस्था में शरीर का तेजी से विकास होता है, इसलिए इस आयु वर्ग के लिए विटामिन E की आवश्यकता अधिक होती है। 10-18 वर्ष के किशोरों को रोजाना 11 mg विटामिन E लेना चाहिए ।

4. वयस्क (19 वर्ष और उससे अधिक)

वयस्कों के लिए विटामिन E की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि कोशिकाओं की सुरक्षा और मजबूत इम्यून सिस्टम बना रहे । FSSAI के अनुसार, 19 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों के लिए रोजाना 10 mg विटामिन E लेना चाहिए। 

5. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने और अपने शिशु के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त विटामिन E लेना चाहिए जिस की मात्रा रोजाना 10 mg और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए रोजाना 11 mg है।

Multivitamin Capsules
₹512  ₹995  48% छूट
खरीदें

विटामिन प्राकृतिक हैं और स्वास्थ के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इसके खाने पर भी दवाओं के जैसे ही ध्यान देना चाहिए। यह वसा में घुलनशील विटामिन है और अधिक मात्रा में लेने पर शरीर में जमा हो जाता है। विटामिन ई को मूत्र पथ के माध्यम से शरीर से धोया नहीं जा सकता। इसलिए यह धीरे धीरे विषाक्त स्तर तक जमा हो सकता है|

खाद्य पदार्थों से विटामिन ई लेना खतरनाक नहीं है। मुसीबत शुरू होती है जब पूरक आहार के माध्यम से डॉक्टर द्वारा बताई गई खुराक से अधिक लिया जाता है। विटामिन ई के अधिक मात्रा में होने से अत्यधिक रक्तस्राव और थकान सहित कई अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं| इससे खून पतला भी होता है इसलिए किसी सर्जरी या ऑपरेशन से पहले इसकी खुराक नहीं लेनी चाहिए| 

  • रक्त का पतला होना और खून बहने का खतरा
  • मतली और पेट दर्द
  • कमजोरी और थकान

(और पढ़ें – थकान कम करने के घरेलू उपाय)

विटामिन ई की कमी बहुत कम लोगों में होती है| इसकी कमी होने पर शरीर पूरी तरह से कुछ आहार को वसा में अवशोषित करने से रोकता है| एनीमिया, कंकाल मायोपथी, गतिभंग, परिधीय न्यूरोपैथी, रेटिनोपैथी, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और तंत्रिका क्षति के संकेत विटामिन ई की कमी दिखलाता है। 

विटामिन E की कमी से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:

  • त्वचा की समस्याएं, जैसे कि सूखापन और जलन
  • दृष्टि में कमी
  • प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी
  • मांसपेशियों की कमजोरी और समन्वय की कमी

(और पढ़ें - एनीमिया के लक्षण)

Multivitamin With Probiotic Capsules
₹446  ₹799  44% छूट
खरीदें

विटामिन E हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसकी पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। FSSAI की नई रिपोर्ट ने विभिन्न आयु समूहों और विशेष परिस्थितियों के लिए विटामिन E की दैनिक अनुशंसित मात्रा को स्पष्ट किया है। शिशुओं, बच्चों, किशोरों, वयस्कों, और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अनुशंसित विटामिन E की मात्रा उनकी विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है। आहार स्रोतों और सप्लीमेंट्स के माध्यम से विटामिन E की पर्याप्त मात्रा को सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे कोशिकाओं की सुरक्षा, त्वचा और दृष्टि के स्वास्थ्य, और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें विटामिन ई है

संदर्भ

  1. National Institutes of Health; Office of Dietary Supplements. [Internet]. U.S. Department of Health & Human Services; Vitamin E.
  2. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Vitamin E
  3. Hahn HJ et al. Instrumental evaluation of anti-aging effects of cosmetic formulations containing palmitoyl peptides, Silybum marianum seed oil, vitamin E and other functional ingredients on aged human skin. Exp Ther Med. 2016 Aug;12(2):1171-1176. Epub 2016 Jun 9. PMID: 27446338
  4. Moriguchi S, Muraga M. Vitamin E and immunity. Vitam Horm. 2000;59:305-36. PMID: 10714244
  5. Chung S. Yang, Nanjoo Suh, Ah-Ng Tony Kong. Does Vitamin E Prevent or Promote Cancer?. May 2012 Volume 5, Issue 5. American Association for Cancer Research. [Internet]
  6. Breana Cervantes, Lynn M. Ulatowski. Vitamin E and Alzheimer’s Disease—Is It Time for Personalized Medicine?. Antioxidants (Basel). 2017 Sep; 6(3): 45. PMID: 28672782
  7. Evans JR, Lawrenson JG. Antioxidant vitamin and mineral supplements for slowing the progression of age-related macular degeneration.. Cochrane Database Syst Rev. 2017 Jul 31;7:CD000254. PMID: 28756618
  8. Huwait EA. Combination of vitamin E and L-carnitine is superior in protection against Isoproterenol-induced cardiac affection: a histopathological evidence. Folia Morphol (Warsz). 2018 Aug 14. PMID: 30106462
ऐप पर पढ़ें