बिलीरुबिन एक भूरे-पीले रंग का द्रव्य होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है। यह पदार्थ लिवर में पाया जाता है और आमतौर पर पाचन के दौरान शरीर से बाहर निकल जाता है। जब नई कोशिकाएं बनती हैं तब पुरानी लाल रक्त कोशिका नष्ट हो जाती हैं, इसका मतलब हर किसी के शरीर में बिलीरुबिन होता है।

बिलीरुबिन केवल तब खतरनाक हो जाता है जब वह खून में जमा होने लगता है। बिलीरुबिन का उच्च स्तर होने से पीलिया हो सकता है, जो एक मेडिकल समस्या की स्थिति है। पीलिया में त्वचा पीले रंग की दिखाई देने लगती है, यह बच्चों और वयस्कों में लिवर की बीमारी का संकेत हो सकता है।

  1. बिलीरुबिन टेस्ट क्या होता है? - What is Bilirubin test in Hindi?
  2. बिलीरुबिन टेस्ट क्यों किया जाता है? - Purpose of Bilirubin test in Hindi
  3. बिलीरुबिन टेस्ट से पहले - How do you prepare for Bilirubin test in Hindi
  4. बिलीरुबिन टेस्ट के दौरान - During Bilirubin test in Hindi
  5. बिलीरुबिन टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं? - What are the risks of Bilirubin test in Hindi
  6. बिलीरुबिन टेस्ट का परिणाम और नॉर्मल रेंज - Normal range and results of Bilirubin test in Hindi

शिशुओं में बिलीरुबिन टेस्ट:

नवजात शिशुओं में अक्सर पीलिया हो जाता है। क्योंकि शिशुओं का लिवर शरीर से बिलीरुबिन को हटाने में अधिक कुशल नहीं होता हैं। यदि बच्चों में पीलिया का इलाज नहीं किया जाता है, तो बिलीरूबिन का बढ़ना, पीलिया के रूप में शिशुओं के लिए खतरनाक हो सकता है।

शिशुओं के टेस्ट के दौरान, माता-पिता के लिए मूत्र के माध्यम से बिलीरूबिन का परीक्षण करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेबोरेटरी बच्चे के डायपर में फिट होने योग्य मूत्र संग्रह बैग (Urine Collection Bags) प्रदान कर करती है। जिसे बैग को बच्चे के गुप्तांग पर रखकर डायपर पहना दिया जाता है।

बिलीरुबिन के स्तर उम्र और समग्र स्वास्थ्य से प्रभावित होते हैं। शिशुओं के लिए, बिलीरुबिन 20 से 25 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक होने पर, न्यूरोलॉजिकल क्षति हो सकती है। यही कारण है कि उनके बिलीरुबिन स्तरों की जांच करना महत्वपूर्ण है। मूत्र परीक्षण और रक्त परीक्षण आपके शरीर में बिलीरुबिन को मापने के तरीके हैं।

शिशु में पीलिया

एक शिशु में उच्च (आमतौर पर अप्रत्यक्ष) बिलीरुबिन और पीलिया बहुत खतरनाक हो सकता है और जिसके कई कारण हो सकते हैं। ये तीन सामान्य प्रकार के होते हैं:

  1. फिजियोलोजिकल पीलिया: यह जन्म के 2-4 दिनों बाद, लिवर के कार्यों में थोड़ी देर के कारण हो जाता है, आमतौर पर यह अधिक गंभीर नहीं होता है।
  2. स्तनपान पीलिया: यह जन्म के पहले हफ्ते के दौरान, बच्चे द्वारा अच्छे से स्तनपान ना करने की वजह से होता है।
  3. स्तन दूध पीलिया: जन्म के 2-3 सप्ताह के बाद, स्तन के दूध में कुछ पदार्थों की प्रोसेसिंग के कारण होता है। 

(और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं)

उपरोक्त सभी का आसानी से इलाज किया जा सकता है और आमतौर पर ये सब हानिरहित होते हैं। शिशु में उच्च बिलीरुबिन और पीलिया के कारण बनने वाली कुछ गंभीर स्थितियां निम्नलिखित हैं -

  1. असामान्य रक्त कोशिका आकार, जैसे कि सिकल सेल एनीमिया
  2. शिशु और मां के 'ब्लड टाइप' में मेल ना होना, जिससे शिशु की लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना, इसे इरिथोबोलाइसिस फिरालिस (Erythroblastosis Fetalis) कहा जाता है।
  3. आनुवांशिक दोषों के कारण कुछ महत्वपूर्ण प्रोटीन की कमी। (और पढ़ें - प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग)
  4. डिलीवरी में कठिनाई होने के कारण शिशु को चोट लगना। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्या)
  5. छोटा आकार होने के कारण रक्त कोशिकाओं का उच्च स्तर (Prematurity)।
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यदि बिलीरुबिन लिवर में ग्लूकोज से निकलने वाले एसिड (conjugated) से नहीं जुड़ा है या खून से पर्याप्त रूप से नहीं हट रहा है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि लिवर नुकसान हुआ है। इसलिए खून में बिलीरूबिन की जांच करना, लिवर क्षति की जांच करने का एक अच्छा तरीका है।

नवजात शिशुओं में हल्का पीलिया, बिलीरूबिन के चयापचय में सामान्य परिवर्तन के कारण हो सकता है या यह एक मेडिकल संबंधी समस्या का पहला संकेत हो सकता है। यदि जन्म के दौरान इसका स्तर बहुत अधिक है, तो लिवर के कार्यों पर नज़र रखने के लिये कई बार शिशु के खून की जांच की जा सकती है। अगर नवजात शिशुओं में पीलिया का इलाज ना करवाया जाए तो यह बेहद खतरनाक और शिशु की जिंदगी के लिए खतरा बन सकता है।

बिलीरुबिन के उच्च स्तर का एक अन्य कारण सामान्य से ज्यादा लाल रक्त कोशिकाओं का नष्ट होना भी हो सकता है, इसे हेमोलिसिस कहा जाता है। कभी-कभी बिलीरूबिन को टेस्ट के "पैनल" के भाग के रूप में भी मापा जाता है।

(और पढ़ें - पीलिया के घरेलू उपाय)

इस टेस्ट के लिए, आपको परीक्षण किए जाने से चार घंटे पहले पानी के अलावा कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। लैब टेस्ट के लिए जाने से पहले आप सामान्य मात्रा में पानी पी सकते हैं।

टेस्ट से पहले आपको कुछ दवाएं लेने से बचना पड़ सकता है, लेकिन सिर्फ अगर आपका डॉक्टर आपको ऐसा करने के लिए कहता है तो। कुछ ऐसी दवाओं के उदाहरण जो बिलीरूबिन टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती है, जैसे एंटीबायोटिक्स (पेनिसिलिन जी), सेडेटिव्स (फेनोबोर्बिटल), मूत्रवर्धक (फ्यूरोसेमाइड) और थिओफिलाइन दवाएं शामिल हैं। हालांकि, यह पूरी सूची नहीं है और भी कई दवाएं हैं जो बिलीरुबिन स्तर को प्रभावित कर सकती हैं। टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर से दवाओं के बारे में बात करें।

(और पढ़ें - एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले ज़रूर रखें इन बातों का ध्यान)

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मूत्र विश्लेषण के माध्यम से किया गया बिलीरुबिन स्तर का टेस्ट दर्द रहित होता है, लेकिन इसके लिए एक समय प्रतिबद्धता और सतर्कता की आवश्यकता होती है। एक संपूर्ण और सटीक टेस्ट के लिए 24 घंटे के दौरान मूत्र को इकट्ठा किया जाता है।

जिस दिन आप बिलीरुबिन मूत्र परीक्षण शुरू करते हैं, उस दिन सुबह  का पहली बार किया गया मूत्र प्रयोग न करें। क्योंकि, मूत्र का पहला सैंपल आमतौर पर अधिक केंद्रित (Concentrated) होता है। पहली बार पेशाब करने के बाद अपने मूत्र को इकट्ठा करना शुरू करें, मतलब उसके बाद जितनी बार आप पेशाब करते हैं उसे शौचालय में फ्लश करने के बजाय मूत्र कंटेनर में इकट्ठा करें।

मूत्र को इकट्ठा करने के लिए एक स्वच्छ, छोटे कप का उपयोग किया जा सकता है और इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इसे कंटेनर में डाल सकते हैं। हर बार कंटेनर में मूत्र डालने के बाद उसे अच्छे से बंद कर दें, और पूरी प्रक्रिया का दौरान उसे फ्रीज या किसी ठंडे स्थान पर रखें।

अगले दिन की सुबह को पहले बार किये जाने वाले मूत्र को इकट्ठा करें, यह 24 घंटे की अवधि का अंतिम संग्रह है। कंटेनर पर मरीज का नाम और तारीख का लेबल लगाएं और उसे तुरंत लेबोरेटरी में पहुंचा दें।

यदि बिलीरुबिन की जांच मूत्र टेस्ट से की जा रही है तो आमतौर पर कोई जोखिम नहीं होते हैं। जब जांच खून टेस्ट के माध्यम से की जाती है तो खून का नमूना लेते समय आपको हल्का दर्द या चुभन जैसी संवेदना महसूस होती है। खून लेने के लिए लगी हुई सुई के निकाल लेने के बाद, हल्की थरथराहट महसूस होती है। जिस जगह सुई डाली जाती है डॉक्टर उस जगह को थोड़ी देर दबाकर रखने के लिए भी कह सकते हैं। एक पट्टी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिसे आमतौर पर 10-20 मिनट के लिए लगाने की आवश्यकता होती है। जिस बांह में सुई लगाई जाती है, उस दिन उस बांह से कोई भारी काम नहीं करना चाहिए।

ब्लड सैंपल लेने के कुछ दुर्लभ जोखिम हो सकते हैं:

  1. बेहोशी,
  2. हिमेटोमा, इसमें त्वचा के नीचे रक्त जमा हो जाता है और यहां नीला पड़ जाता है।
  3. संक्रमण
  4. अत्यधिक रक्तस्राव
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यदि खून में बिलीरुबिन का लेवल नॉर्मल दिखा रहा है तो इसका मतलब है कि आपके लिवर, रेड ब्लड सेल और मेटाबोलिज्म नॉर्मल हैं।

नॉर्मल रिजल्ट -
साधारणत: पेशाब में कुछ मात्रा में बिलीरुबिन होता ही है। यदि पेशाब में बहुत ज्यादा या कम मात्रा में बिलीरुबिन होता है तो यह आपके लिवर को हुए नुकसान या ब्लॉकेज की तरफ इशारा करता है। रिजल्ट को पहले से ही मौजूद किसी अन्य बीमारी या टेस्ट रिजल्ट के साथ मिलाकर देखा जाना चाहिए।

बिलीरुबिन का नॉर्मल रेंज इस प्रकार है - 
टोटल बिलीरुबिन - 0.0-1.4 mg/dL
डायरेक्ट बिलीरुबिन - 0.0-0.3 mg/dL
इंडायरेक्ट बिलीरुबिन  - 0.2-1.2 mg/dL

हालांकि,  विभिन्न लैब में बिलीरुबिन की रेंज अलग-अलग हो सकती है।

आसाधारण रिजल्ट -
बिलीरुबिन का स्तर अधिक आने के निम्न कारण हो सकते हैं - 

  • कोलेसिस्टाइटिस और हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण
  • सिरोसिस और मोनोन्यूक्लिओसिस जैसे कारणों से लिवर का क्षतिग्रस्त होना
  • अग्नाशय का ट्यूमर, कैंसर या पित्तपथरी
  • रेड ब्लड सेल के खत्म होने की रफ्तार बढ़ना, सिकल सेल रोग या ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन
  • एंटीबायोटिक्स, डायजेपाम, फ्लूराजेपम, इंडोमिथैसिन और फिनाइटोइन जैसे दवाओं का सेवन
  • आनुवंशिक डिसऑर्डर - जैसे गिल्बर्ट्स सिंड्रोम और अन्य जन्मजात संक्रमण 
  • न्यूबोर्न हाइपोक्सिया और मां व बच्चे के रक्त की असंगति

बिलीरुबिन का स्तर कम होना चिंता की बात नहीं है।

(और पढ़ें - लिवर को स्वस्थ रखने के लिए आहार)

बिलीरुबिन टेस्ट से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरे बिलीरुबिन की कुल मात्रा 0.6 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर है इसमें से 0.1 डायरेक्ट बिलीरुबिन और 0.5 इनडायरेक्ट बिलीरुबिन मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर है। इसका क्या मतलब है?

Dr. Abhijit MBBS , सामान्य चिकित्सा

आपका बिलीरुबिन बिलकुल ठीक है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरा बिलीरुबिन 1.03 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर है जिसमे 0.75 डायरेक्ट बिलीरुबिन और 0.28 इनडायरेक्ट बिलीरुबिन मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर है।

Dr. Kuldeep Meena MBBS, MD , कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक, डर्माटोलॉजी, श्वास रोग विज्ञान, गुर्दे की कार्यवाही और रोगों का विज्ञान, सामान्य चिकित्सा, अन्य, संक्रामक रोग, आकस्मिक चिकित्सा, प्रतिरक्षा विज्ञान, आंतरिक चिकित्सा, मल्टीस्पेशलिटी

यह आपके बिलीरुबिन का नॉर्मल रेंज है। एसजीओटी और एसजीपीटी जैसे एंजाइमों को भी देखें।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

बिलीरुबिन के किस स्तर को खतरनाक समझा जाता है?

Dr. Joydeep Sarkar MBBS , कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, श्वास रोग विज्ञान, गुर्दे की कार्यवाही और रोगों का विज्ञान, हीपैटोलॉजी (यकृत पित्त अग्न्याशय चिकित्सा ), आंतरिक चिकित्सा, मधुमेह चिकित्सक

बिलीरुबिन का नॉर्मल रेंज 0.3 से 1.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होता है। अगर बिलीरुबिन का स्तर 1.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से ज्यादा होता है तो इसे उच्च स्तर का बिलीरुबिन समझा जाता है जिसे हाइपरबिलीरुबिन कहते है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मैं अपने शरीर में बिलीरुबिन के लेवल को किस तरह से कम कर सकता हूं?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

शरीर में बिलीरुबिन के स्तर को कम करने के लिए आप डाइट में इन सभी को शामिल करें:

  • पानी : अगर आप एक दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीते है तो यह आपके लिवर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। 

  • कॉफी और हर्बल चाय : कॉफी में थोड़ा बदलाव करके पीने से लिवर के स्वास्थ में सुधार करता है।

  • फल और सब्जियां

  • फाइबर

संदर्भ

  1. Lab Tests Online. Washington D.C.: American Association for Clinical Chemistry; Bilirubin
  2. Burtis, Carl A., Bruns, David E (Editors). Hemoglobin, iron, and bilirubin. Tietz fundamentals of clinical chemistry and molecular diagnostics. 7th ed. St. Louis, MO: Elsevier; 2015. Chapter 28; p.513–519.
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Bilirubin Blood Test
  4. Williamson, Mary A., Snyder, L. Michael (Editors). Wallach’s interpretation of diagnostic tests: pathways to arriving at a clinical diagnosis. 10th ed. Philadelphia, PA: Wolters Kluwer; 2015. p829–831.
  5. Penn Medicine Lancaster General Health [internet]. Lancaster (PA), USA. Lancaster General Hospital. Bilirubin: Test Overview
  6. McPherson, Richard A, Pincus, Matthew R (Editors). Henry’s clinical diagnosis and management by laboratory methods. 22nd ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2011. p 297–299.
  7. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Jaundice
  8. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, What are Jaundice and Kernicterus?What are Jaundice and Kernicterus?

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