हर व्यक्ति के खून की बनावट एक ही होती है, लेकिन फिर भी खून के कई प्रकार होते हैं। खून अाठ अलग-अलग प्रकार का होता है जिन्हें ब्लड ग्रुप कहा जाता है। आपका ब्लड ग्रुप कौन सा होगा, यह आपके जीन पर निर्भर करता है, जो आपको माता-पिता से मिलते हैं।

खून का प्रकार इस पर निर्धारित करता है कि लाल रक्त कोशिकाओं में कुछ विशेष प्रकार के प्रोटीन हैं या नहीं। इन प्रोटीन को एंटीजन कहा जाता है।

ब्लड ग्रुप काफी मायने रखता है, क्योंकि खून के सभी प्रकार एक दूसरे के प्रति अनुकूल नहीं होते। यह कई मेडिकल परिस्थितियों में काफी महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति में खून चढ़ाने की आवश्यकता है तो उसे खून का ऐसा प्रकार चढ़ाया जाना चाहिए जो उसके लिए अनुकूल हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि खून का गलत प्रकार चढ़ाने से मरीज का इम्यून सिस्टम कुछ ऐसे रिएक्शन कर सकता है जिनसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं, यहाँ तक कि मौत भी हो सकती है। 

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इसलिए ब्लड ग्रुप पता करने के लिए ब्लड ग्रुप टेस्ट किया जाता है। आगे इस लेख में ब्लड ग्रुप टेस्ट के बारे में विस्तार से बताया गया है।

  1. ब्लड ग्रुप टेस्ट क्या होता है? - What is Blood Group Test in Hindi?
  2. ब्लड ग्रुप टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Blood Group Test in Hindi
  3. ब्लड ग्रुप टेस्ट कब करवाना चाहिए? - When to get tested with Blood Group Test in Hindi
  4. ब्लड ग्रुप टेस्ट से पहले - Before Blood Group Test in Hindi
  5. ब्लड ग्रुप टेस्ट के दौरान - During Blood Group Test in Hindi
  6. ब्लड ग्रुप टेस्ट के बाद - After Blood Group Test in Hindi
  7. ब्लड ग्रुप टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है - What do the results of Blood Group Test mean in Hindi
  8. ब्लड ग्रुप टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Blood Group Test in Hindi

ब्लड ग्रुप टेस्ट क्या है?

खून को अक्सर "एबीओ ब्लड टाइपिंग सिस्टम" (ABO blood typing system) के अनुसार ग्रुपों बांटा जाता है। खून को मुख्य चार प्रकारों में बांटा गया है:

  • टाइप ए (Type A)
  • टाइप बी (Type B)
  • टाइप एबी (Type AB)
  • टाइप ओ (Type O)

"रीसस" या "आर.एच." फैक्टर (Resus or Rh factor) को ध्यान में रखते हुऐ खून को आगे 8 समूहों में बांटा गया है। “रीसस” नाम एक रीसस नामक बंदर से लिया गया है जिसमें सबसे पहले एंटीजन पाया गया था। यदि किसी व्यक्ति के खून में रीसस फैक्टर “डी” पाया जाता है, तो उस व्यक्ति को "रीसस पॉजिटिव" कहा जाता है और जिनमें यह नहीं पाया जाता उनको "रीसस नेगेटिव" कहा जाता है।

ब्लड टाइप का पता लगाने के लिए ब्लड ग्रुप टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट को खासकर कई कारणों से किया जाता है, खासतौर से किसी व्यक्ति को खून चढ़ाने से पहले। यह टेस्ट एक गर्भावस्था की शुरुआत में किये जाने वाले टेस्टों का एक अहम हिस्सा होता है। 

(और पढ़ें - खून के थक्के जमना)

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ब्लड ग्रुप टेस्ट किस लिए किया जाता है?

निम्न स्थितियों में ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है:

  • किसी व्यक्ति को खून चढ़ाने से पहले
  • रक्तदान करने वाले व्यक्ति का खून लेने से पहले
  • अंग प्रत्यारोपण के लिए किये जाने वाले अंग दान करने से पहले
  • ऑपरेशन करने से पहले
  • किसी महिला के गर्भधारण करने के बारे में योजना बनाने से पहले या पहली बार गर्भवती होने से पहले
  • दो व्यक्तियों के बीच में खून के रिश्ते का पता लगाने के लिए
  • यदि किसी व्यक्ति पर अपराध का संदेह हो, तो उसकी पहचान करने के लिए भी ब्लड ग्रुप टेस्ट किया जाता है।

ब्लड ग्रुप टेस्ट कब करवाना चाहिए?

दान किये गए रक्त पर ब्लड ग्रुप टेस्ट हमेशा किया जाता है, ताकि वह आगे सही व्यक्ति को दिया जा सके।

जब किसी व्यक्ति में खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है, तब उसका ब्लड ग्रुप टेस्ट किया जाता है। कुछ ऐसी समस्याएं जिनमें ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाना पड़ता है, जैसे:

इसके अलावा जब कोई महिला गर्भवती हो जाती है, तो उसके रीसस फैक्टर को पता करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। यदि मां के रीसस फैक्टर का रिजल्ट नेगेटिव आता है, तो यह टेस्ट नवजात शिशु में भी किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मां को "आरएच इम्यून ग्लोबुलिन" (Rh immune globulin) चढ़ाने की आवश्यकता है या नहीं। 

जब किसी व्यक्ति में अंग प्रत्यारोपण किया जाता है तो उस प्रक्रिया का सबसे पहला स्टेप ब्लड ग्रुप टेस्ट करना ही होता है। इसमें यह निर्धारित किया जाता है कि दान करने वाले व्यक्ति के ऊतक, अस्थि मज्जा व अन्य अंग, प्राप्त करने वाले व्यक्ति के अनुकूल हैं या नहीं। 

जब आपके शरीर का कोई अंग बदलने (प्रत्यारोपण) की आवश्यकता पड़ती है या जब आप अपने शरीर का कोई अंग दान करना चाहते हैं, तब भी आपको ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाने की आवश्यकता पड़ती है।

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ब्लड ग्रुप टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

इस टेस्ट को करवाने के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि आपको लगता है कि टेस्ट के दौरान आपको बेहोशी या चक्कर आने जैसा महसूस हो सकता है, तो आपको अपने साथ एक साथी को लाना चाहिए जो आपको टेस्ट के बाद घर पर ले जा सके।

(और पढ़ें - चक्कर आने के कारण)

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ब्लड ग्रुप टेस्ट कैसे किया जाता है?

टेस्ट करने के लिए खून का सेंपल अस्पताल या लेबोरेटरी में लिया जाता है। सबसे पहले जहां से खून का सेंपल निकालना है वहां से आपकी त्वचा को एंटिसेप्टिक के साथ साफ किया जाता है ताकि संक्रमण से बचाव किया जा सके। उसके बाद डॉक्टर आपकी बाजू के ऊपरी हिस्से में एक पट्टी बांध देंगे जिससे नसों में खून का बहाव रूक जाता है और नसें उभर कर साफ दिखाई देने लगती हैं। उसके बाद डॉक्टर उभरी हुई नस में एक सुई लगाते हैं जिससे जुड़ी सीरिंज या शीशी में खून का सेंपल भर लिया जाता है।

आपके खून के प्रकार को निर्धारित करने के लिए लैब के तकनीशियन खून के सेंपल में कुछ विशेष प्रकार के एंटीबॉडीज़ मिलाते हैं जो ब्लड टाइप ए और बी के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। इस प्रतिक्रिया के आधार पर ब्लड का टाइप निर्धारित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि आपके खून में टाइप ए के प्रति रिएक्शन करने वाला एंटीबॉडीज मिलाया जाता है जिससे आपके खून में लाल रक्त कोशिकाओं के गुच्छे बनने लग गए हैं तो आपका ब्लड ग्रुप टाइप बी है।

इसी प्रकार आरएच फैक्टर ब्लड ग्रुप टेस्ट करने के लिए खून के सेंपल में एक एंटी-आरएच सीरम मिलाया जाता है। यदि एंटी-आरएच सीरम से प्रतिक्रिया होने पर रक्त कोशिकाओं में गुच्छे बनने लगते हैं, तो खून को आरएच पॉजिटिव माना जाता है। यदि कोई गुच्छे ना बनें तो खून को आरएच नेगेटिव माना जाता है। 

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ब्लड ग्रुप टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

टेस्ट के लिए सेंपल निकाल लेने के बाद सुई वाली जगह पर रुई का टुकड़ा या बैंडेज लगा दी जाती है। 

टेस्ट के द्वारा ब्लड ग्रुप का कुछ ही मिनटों में पता लगा लिया जाता है। एक बार जब आपको आपके ब्लड ग्रुप का पता लग जाता है तो आप उस व्यक्ति से खून ले या उसे दे सकते हैं जिसका ब्लड ग्रुप आपके साथ अनुकूल हो। 

ब्लड ग्रुप टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब होता है?

आपके खून के प्रकार को निम्न के रूप में व्यक्त किया जा सकता है:

  • ए पॉजिटिव (A+)
  • ए नेगेटिव (A-)
  • बी पॉजिटिव (B+)
  • बी नेगेटिव (B-)
  • एबी पॉजिटिव (AB+)
  • एबी नेगेटिव (AB-)
  • ओ पॉजिटिव (O+)
  • ओ नेगेटिव (O-)

पॉजिटिव और नेगेटिव से यह पता चलता है कि आपके आरबीसी (लाल रक्त कोशिका) में आरएच एंटीजन हैं या नहीं। 

आपके ब्लड ग्रुप टेस्ट के रिजल्ट की मदद से डॉक्टर यह पता लगा लेते हैं कि आप में कौन सा ब्लड ग्रुप चढ़ाना सुरक्षित है।

  • यदि आपका खून "टाइप ए" है तो आपको सिर्फ टाइप ए और टाइप ओ ही चढ़ाया जा सकता है।
  • यदि आपका खून "टाइप बी" है तो आपको सिर्फ टाइप बी और टाइप ओ चढ़ाया जा सकता है।
  • यदि आपका खून "टाइप एबी" है तो आपको टाइप ए, बी और ओ चढ़ाया जा सकता है। 
  • यदि आपका खून "टाइप ओ" है तो आपको सिर्फ टाइप ओ खून ही चढ़ाया जा सकता है। 
  • यदि आपका खून "आरएच पॉजिटिव" है तो आपको आरएच पॉजिटिव और आरएच नेगेटिव खून चढ़ाया जा सकता है।
  • यदि आपका खून "आरएच नेगेटिव" है तो आपको सिर्फ आरएच नेगेटिव खून ही चढ़ाया जा सकता है। 

"टाइप ओ" खून को किसी भी ब्लड ग्रुप व्यक्ति को दिया जा सकता है। इसलिए जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ओ होता है उनको यूनिवर्सल ब्लड डोनर कहा जाता है। 

  • गर्भवती महिलाओं में रिजल्ट की मदद से यह निर्धारित किया जाता है कि महिला आरएच पॉजिटिव है या नहीं। इसकी मदद से भविष्य में उपचार के कोर्स निर्धारित करने में मदद मिलती है। 
  • दान किये हुए खून का ब्लड ग्रुप टेस्ट करना जरूरी होता है जिसकी मदद से ये पता चलता है कि यह खून किन मरीजों के लिए सुरक्षित है। 
  • इसी तरह जब किसी अंग दान करने वाले के ऊतक, अस्थि मज्जा या कोई अन्य अंग प्राप्त करने वाले के अनुकूल होते हैं तो अंग प्रत्यारोपण के दौरान होने वाले संभावित जोखिम कम हो जाते हैं।

(और पढ़ें - गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से चेकअप)

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ब्लड ग्रुप टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं?

ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाने के लिए आपके शरीर से खून निकलना पड़ता है। खून निकालने से जुड़े कुछ मामूली जोखिम हो सकते हैं, जैसे:

  • त्वचा के नीचे खून जमा होना (इस स्थिति को हेमाटोमा कहा जाता है)
  • बेहोश होना या सिर घूमना
  • सुई वाली जगह पर संक्रमण होना
  • अत्यधिक खून बहना

(और पढ़ें - वायरल संक्रमण)

ब्लड ग्रुप टेस्ट से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरा ब्लड ग्रुप B+ve है जबकि मेरी पत्नी का ब्लड ग्रुप ओ+ve है, तो हमारे बच्चे का ब्लड ग्रुप क्या होगा?

Dr. Kuldeep Meena MBBS, MD , कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक, डर्माटोलॉजी, श्वास रोग विज्ञान, गुर्दे की कार्यवाही और रोगों का विज्ञान, सामान्य चिकित्सा, अन्य, संक्रामक रोग, आकस्मिक चिकित्सा, प्रतिरक्षा विज्ञान, आंतरिक चिकित्सा, मल्टीस्पेशलिटी

आपका ब्लड ग्रुप B+ है और पत्नी का ब्लड ग्रुप O+ है, तो आपके बच्चे का ब्लड ग्रुप O+ या B+ हो सकता है। आप एक बार अपने बच्चे का ब्लड ग्रुप टेस्ट करवा सकते हैं।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरा ब्लड ग्रुप B-ve है। मैं एक लड़के को चाहती हूं और उससे शादी करने की सोच रही हूं, उसका ब्लड ग्रुप A+ है। मैंने कहीं सुना था कि पॉजिटिव और नेगटिव ब्लड ग्रुप आपस में मैच नहीं होता है। मां को और प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे को भी प्रॉब्लम होती है यहां तक कि बच्चे में कोई विकार भी हो सकता है। इस बात से मैं बहुत परेशान हूं जिसकी वजह से मैं शादी का डिसीजन नहीं ले पा रही हूं। मुझे बताएं कि मैं क्या करूं? मुझे किस से सलाह लेनी चाहिए?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

आज के आधुनिक समय में प्रेगनेंसी में भ्रूण को होने वाली समस्याओं और असामान्यताओं का पहले ही पता लगाया जा सकता है और उसे होने से रोका भी जा सकता है। आरएच नेगेटिव प्रेग्नेंसी में कोई बड़ी समस्या नहीं देखी गई है। आप गायनेकोलॉजिस्ट से भी सलाह ले सकती हैं।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरा ब्लड ग्रुप B+ है और जिससे मैं शादी करने वाला हूं उसका ब्लड ग्रुप O-ve है, तो क्या प्रेग्नेंसी या बच्चे में कोई दिक्कत आ सकती है?

Dr. Ramraj Meena MBBS , सामान्य चिकित्सा

आपका ब्लड ग्रुप B+ है। अगर आप ब्लड ग्रुप O-ve महिला के साथ शादी करते हैं तो बच्चे पर थोड़ा खतरा हो सकता है। अगर O-ve ब्लड ग्रुप महिला और B+ ब्लड ग्रुप पुरुष शादी के बाद बच्चा प्लान करते हैं तो उनके बच्चे को कम उम्र में ही पीलिया होने का खतरा होता है, अगर इसका पता समय पर लगा लिया जाए तो पीलिया को ठीक किया जा सकता है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या यह संभव है कि O-ve ब्लड ग्रुप टाइप वाले माता पिता का बच्चे का ब्लड ग्रुप यही न होकर A-ve हो?

Dr. Kuldeep Meena MBBS, MD , कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक, डर्माटोलॉजी, श्वास रोग विज्ञान, गुर्दे की कार्यवाही और रोगों का विज्ञान, सामान्य चिकित्सा, अन्य, संक्रामक रोग, आकस्मिक चिकित्सा, प्रतिरक्षा विज्ञान, आंतरिक चिकित्सा, मल्टीस्पेशलिटी

अगर माता और पिता दोनों का ब्लड ग्रुप O-ve है तो बच्चे का ब्लड ग्रुप O-ve ही होना चाहिए। माता पिता का ब्लड ग्रुप A या B हो तो उनके बच्चे का ब्लड ग्रुप A, B, AB या O हो सकता है।

संदर्भ

  1. Ranadhir Mitra, Nitasha Mishra, and Girija Prasad Rath, Blood groups systems. Indian J Anaesth. 2014 Sep-Oct; 58(5): 524–528.
  2. American Pregnancy Association: Rh Factor
  3. The American National Red Cross. Understanding Your Blood Type
  4. Chernecky CC, Berger BJ. Type-and-crossmatch – blood. In: Chernecky CC, Berger BJ, eds. Laboratory Tests and Diagnostic Procedures. 6th ed. Philadelphia, PA: Elsevier Saunders; 2013:1133-1134.
  5. Goodnough LT. Transfusion medicine. In: Goldman L, Schafer AI, eds. Goldman-Cecil Medicine. 24th ed. Philadelphia, PA: Elsevier Saunders
  6. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Blood Typing
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