फीटल इको टेस्‍ट को फीटल इकोकार्डियम भी कहा जाता है। इस टेस्ट में अल्ट्रासाउंड तरंगों की मदद से भ्रूण में पल रहे शिशु के दिल की तस्वीरें ली जाती हैं। आमतौर पर ये टेस्ट गर्भावस्था की दूसरी तिमाही यानी की प्रेगनेंसी के 18वें सप्ताह से प्रेगनेंसी के 24वें सप्ताह में शिशु के हृदय के विकास को देखने के लिए करवाया जाता है।

  1. फीटल इको टेस्‍ट क्यों किया जाता है? - What is the purpose of Fetal echo in Hindi?
  2. फीटल इको टेस्‍ट से पहले की तैयारी? - How to prepare for Fetal echo in Hindi?
  3. फीटल इको टेस्‍ट कैसे किया जाता है? - How is the Fetal echo done in Hindi?
  4. फीटल इको टेस्‍ट के परिणाम का क्या मतलब है? - What do the results of Fetal echo mean in Hindi?
  5. फीटल इको टेस्‍ट की क्या कीमत है? - How much does a Fetal echo cost in Hindi?

रूटीन अल्ट्रासाउंड से अजन्मे शिशु के दिल की तस्वीरें नहीं ली जा सकती हैं। हालांकि, फीटल इकोकार्डियम से अजन्मे बच्चे के दिल के वॉल्व या दीवारों में विकार का पता लगाने में मदद मिलती है। ये दिल तक खून की सप्लाई करने और खून को दिल से शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में विकार की जांच करने में भी मदद करता है।

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इससे दिल की खून पम्प करने की क्षमता भी पता चलती है। निम्न परिस्थितियों में इस टेस्ट की सलाह दी जा सकती है :

  • परिवार में किसी सदस्य को हृदय विकार रहा हो, जैसे कि भाई-बहन, माता-पिता या शिशु के किसी नजदीकी रिश्तेदार को हृदय विकार हो।
  • प्रेगनेंसी के दौरान रूटीन अल्ट्रासाउंड में एब्नार्मल रिजल्‍ट आना, जैसे कि दिल की धड़कन का असामान्य रूप से चलना।
  • विकसित हो रहे भ्रूण में आनुवंशिक विकार का पता चलना।
  • गर्भधारण से पहले महिला को पीकेयू, डायबिटीज या लुपस की बीमारी होना।
  • गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के शुरुआती चरण में रूबेला (जर्मन खसरा) होना।
  • महिला को कोई ऐसी बीमारी होना जिसका असर शिशु के दिल पर पड़ सकता हो।

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फीटल इको टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती है और टेस्ट से पहले गर्भवती महिला को अपनी पसंद का कुछ भी खाने या पीने की छूट होती है। हालांकि, पेट पर क्रीम, लोशन या अन्य कोई प्रॉडक्ट ना लगाने की सलाह दी जाती है। टेस्ट के लिए मूत्राशय के भरे होने की जरूरत नहीं है।

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टेस्ट लिए गर्भवती महिला को लेटने के लिए कहा जाता है और पेट पर जैल लगाया जाता है। अब भ्रूण के दिल की साफ तस्वीरें लेने के लिए प्रोब को पेट पर लगाया जाता है। दिल की साफ तस्वीरें लेने के लिए निम्न तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है :

  • द्वि-आयामी इकोकार्डियोग्राफी
    इस प्रक्रिया से दिल की विभिन्न संरचनाओं की वास्तविक बनावट का पता चलता है।
  • डॉप्लर इकोकार्डियोग्राफी
    इससे दिल में हो रहे रक्त प्रवाह की गति का पता चलता है। अगर दिल के चार चैम्बरों को जोड़ने वाले दिल के वॉल्व में कोई दिक्कत हो तो, उसका पता भी इस टेस्ट से चल जाता है। दिल में रक्त प्रवाह की दिशा का पता लगाने के लिए कलर डॉप्लर का इस्तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें - ब्लड सर्कुलेशन धीमा होने के कारण)

इस टेस्ट में इस्तेमाल होने वाली अल्ट्रासाउंड की तरंगें त्वचा पर महसूस नहीं होती हैं लेकिन जैल की वजह से गीला और ठंडा महसूस हो सकता है। इस टेस्ट से मां या भ्रूण को कोई नुकसान नहीं होता है।

शिशु के दिल की साफ तस्वीरें लेने में 30 मिनट से 2 घंटे तक का समय लग सकता है। अगर शिशु किसी ऐसी पोजीशन में है जहां से तस्वीरें लेना मुश्किल है तो इस टेस्ट में ज्यादा समय भी लग सकता है।

अधिकतर मामलों में टेस्ट का रिजल्ट उसी दिन आ जाता है। डॉक्टर टेस्‍ट के रिजल्‍ट से पता लगाते हैं कि कोई दिक्‍कत है या नहीं।

  • नॉर्मल रिजल्‍ट
    भ्रूण के ह्रदय में किसी भी तरह की असामान्‍यता ना होने पर रिजल्‍ट नॉर्मल या सामान्‍य कहलाता है।
  • एब्नार्मल रिजल्‍ट 
    दिल की धड़कन, दिल की संरचना या उसके कार्य करने में आ रही किसी दिक्‍कत की वजह से भ्रूण के ह्रदय में कोई विकार नजर आता है तो उसे एब्नार्मल रिजल्‍ट कहा जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्‍टर दोबारा टेस्‍ट करवाने के लिए कह सकते हैं।

वैसे तो ये टेस्‍ट अजन्‍मे शिशु के ह्रदय में होने वाली असामान्‍यताओं या विकारों का पता लगाने में उपयोगी है लेकिन इससे भ्रूण में होने वाली सभी समस्‍याओं का पता नहीं लगाया जा सकता है। जैसे कि जन्‍म से पहले शिशु के दिल में छेद होने का पता नहीं लगाया जा सकता है।

भारत में फीटल इको टेस्‍ट 1620 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक हो सकता है। हालांकि, हर शहर और लैबोरेट्री में टेस्‍ट की कीमत अलग हो सकती है।

नोट : टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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  6. ©2018 The Children’s Hospital of Philadelphia; Fetal Echocardiogram
  7. University of Rochester Medical Center [Internet]. Rochester (NY): University of Rochester Medical Center; Fetal Echocardiography
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