हर व्यक्ति के लिए नींद लेना जरूरी होता है. स्वस्थ रहने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स भी पर्याप्त नींद लेने की सलाह देते हैं. इसलिए, हर व्यक्ति रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेने की कोशिश जरूर करता है, लेकिन इसके साथ नींद की गुणवत्ता का अच्छा होना भी जरूरी होता है. जब कोई व्यक्ति पूरी और अच्छी नींद लेता है, तो वह हमेशा स्वस्थ और तरोताजा महसूस कर सकता है. आपको बता दें कि नींद को दो श्रेणियों में बांटा गया है - आरईएम (REM) और नॉन आरईएम (Non REM). रात को नींद आने की शुरुआत नॉन आरईएम से होती है. इसके बाद आरईएम नींद शुरू होता है. आरईएम और नॉन आरईएम के भी अपने-अपने कुछ चरण होते हैं. नॉन आरईएम के आखिरी चरण में गहरी नींद आती है.

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आज इस लेख में आप गहरी नींद के चरण व असर आदि के बारे में ही विस्तार से जानेंगे -

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  1. गहरी नींद क्या है?
  2. गहरी नींद के चरण
  3. गहरी नींद न आने का असर
  4. कितनी गहरी नींद जरूरी है?
  5. सारांश
गहरी नींद : चरण, असर, कितनी जरूरत के डॉक्टर

जब कोई व्यक्ति सोता है, तो उसका शरीर नींद के चक्र के विभिन्न चरणों से होकर गुजरता है. गहरी नींद भी नींद का एक चरण होता है. गहरी नींद वह अवस्था होती है, जिसकी वजह से हर व्यक्ति सुबह तरोताजा, ऊर्जावान और खुश महसूस करता है. दरअसल, गहरी नींद के चरण में शरीर और मस्तिष्क की तरंगें धीमी हो जाती हैं. इस स्थिति में शरीर आराम की अवस्था में होता है और रिलैक्स कर रहा होता है. गहरी नींद में से किसी को जगाना भी मुश्किल हो सकता है. अगर गहरी नींद से कोई व्यक्ति उठ भी जाता है, तो उसे सिरदर्द या घबराहट महसूस हो सकती है. गहरी नींद नॉन आरईएम नींद का सबसे आखिरी यानी तीसरा चरण होता है. 

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गहरी नींद नॉन आरईएम नींद का तीसरा चरण होता है. इस स्थिति में व्यक्ति गहरी नींद में सो रहा होता है. आपको बता दें कि गहरी नींद के कोई चरण नहीं है, बल्कि गहरी नींद खुद में ही नॉन आरईएम नींद का एक चरण होता है. नॉन आरईएम के आखिरी चरण में व्यक्ति गहरी नींद में हो सकता है. जानें, नॉन आरईएस के चरण -

चरण 1

नॉन-आरईएम नींद का पहला चरण कुछ मिनट तक चल सकता है. यह वह अवस्था होती है, जब व्यक्ति रात में सोने के लिए लेट जाता है. इस स्थिति में शरीर सोने के लिए कार्य करना शुरू कर देता है. इसमें दिल की धड़कन, सांस और आंखों की गति धीर-धीरे कम होने लगती है. मांसपेशियों को भी आराम मिलने लगता है. साथ ही मस्तिष्क की तरंगें भी धीमी होने लगती है.

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चरण 2

नॉन आरईएम नींद का दूसरा चरण वह अवस्था होती है, जिसमें व्यक्ति को नींद आ जाती है. इस स्थिति में व्यक्ति का शरीर रातभर सोने के लिए तैयार होता है. इसमें शरीर का सिस्टम धीमा और शिथिल होने लगता है. शरीर का तापमान सामान्य से कम होने लगता है. आंखों की गति रुक जाती है और मस्तिष्क की तरंगें बिल्कुल धीमी हो जाती हैं, लेकिन इस अवस्था में आप पूरी तरह से नींद में नहीं होते हैं और आसानी से जाग सकते हैं.

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चरण 3

नॉन आरईएम नींद का तीसरा यानी आखिरी चरण गहरी नींद की अवस्था होती है. नॉन आरईएम के इस चरण में व्यक्ति गहरी नींद में होता है. दरअसल, जैसे ही शरीर की मांसपेशियां शिथिल होती हैं, तो दिल की धड़कन और सांसें भी धीमी हो जाती हैं. मस्तिष्क की तरंगें सबसे धीमी हो जाती हैं. इस अवस्था में व्यक्ति इतनी गहरी नींद में होता है कि तेज आवाज में भी जागना मुश्किल हो जाता है. गहरी नींद को स्लो वेव स्लीप या डेल्टा स्लीप भी कहा जाता है.

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गहरी नींद लेना प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी होता है. वहीं, थकानतनाव या फिर कोई मेडिकल कंडीशन की वजह से व्यक्ति को अच्छी या गहरी नींद आने में परेशानी होती है. जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक गहरी नींद नहीं लेता है, तो उसे निम्न स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है -

  • अल्जाइमर रोग - गहरी नींद न आने पर अल्जाइमर रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है यानी गहरी नींद न आने का असर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर पड़ सकता है.
  • हृदय रोग - गहरी नींद न आने का असर हृदय पर भी पड़ सकता है. जब कोई व्यक्ति गहरी नींद नहीं लेता है, तो उसमें हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है.
  • डायबिटीज - नींद की कमी शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाने का एक मुख्य कारण हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति गहरी नींद नहीं लेता है, तो उसे डायबिटीज के लक्षण महसूस हो सकते हैं.
  • स्ट्रोक - अगर कोई गहरी नींद नहीं लेता है, तो स्ट्रोक होने का जोखिम भी कई गुना अधिक हो सकता है.

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नींद के दो चक्र होते हैं. इसमें आरईएम और नॉन आरईएम शामिल होते हैं. आपको बता दें कि एक व्यक्ति रात को लगभग 75 प्रतिशत नॉन आरईएम नींद और 25 प्रतिशत आरईएम नींद में रहता है. इसमें से गहरी नींद 13 से 23 प्रतिशत तक हो सकती है. किसी व्यक्ति के लिए कितनी गहरी नींद जरूरी होती है, यह उसकी उम्र और स्थिति पर निर्भर कर सकता है -

  • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, गहरी नींद कम होती जाती है. अगर कोई व्यक्ति 30 वर्ष से कम उम्र का होता है, तो वह हर रात 2 घंटे की गहरी नींद ले सकता है.
  • इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति की आयु 65 वर्ष से अधिक है, तो वह हर रात केवल आधे घंटे की गहरी नींद ले सकता है. इस उम्र के कई लोग गहरी नींद में बिल्कुल भी नहीं जा पाते हैं.
  • युवाओं को गहरी नींद की अधिक जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि गहरी नींद लेने से तनाव व दिनभर की थकान दूर होती है. साथ ही दिन तरोताजा शरीर के साथ शुरू हो सकता है. साथ ही गहरी नींद लेने से विकास को भी बढ़ावा मिलता है.

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गहरी नींद लेना शरीर के लिए जरूरी होता है. गहरी नींद लेने से हार्मोन संतुलित होते हैं, शरीर में ऊर्जा बनी रहती है. साथ ही शरीर तरोताजा और स्वस्थ महसूस करता है. आपको बता दें कि नींद का चक्र हल्की नींद से शुरू होता है. इसके बाद गहरी नींद आती है और फिर आरईएम नींद. जब व्यक्ति गहरी नींद में होता है, तो वह सबसे अच्छा महसूस कर सकता है, लेकिन कुछ स्थितियां गहरी नींद को प्रभावित कर सकती हैं. हर व्यक्ति के लिए गहरी नींद की जरूरत अलग-अलग हो सकती है. गहरी नींद के लिए आप हेल्दी डाइल लें, शोर से बचें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी बनाकर रखें.

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