हड्डियों और जोड़ों में होने वाला रोग आर्थराइटिस यानी गठिया व्यक्ति को रोजमर्रा के कामों को करने में चुनौती पैदा कर सकता है। इस रोग में जोड़ों में दर्द, जकड़न और सूजन रहती है, जिससे चलने-फिरने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं ये सूजन गांठ का रूप भी ले सकती है जो ज्यादा तकलीफदायक साबित होती है। इन लक्षणों के अलावा गठिया होने पर प्रभावित अंग लाल पड़ सकते हैं। व्यक्ति घुटने, कूल्हे, कंधे, हाथ या पूरे शरीर के किसी भी जोड़ में गठिये का दर्द महसूस कर सकता है। 

गठिया एक दर्दनाक रोग है और इसका दर्द हल्के से शुरू होकर गंभीर हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा के अनुसार खून में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने से गठिया रोग होता है। जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। इसमें रोगी के जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन हो जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती है। इसलिए इस रोग को गठिया कहा जाता है।

डॉक्टरों के अनुसार, कार्टिलेज उतकों की मात्रा की कमी से कई प्रकार के गठिये होते हैं। कार्टिलेज जोड़ों का एक नरम और लचीला उतक है। जब व्यक्ति चलता है तो जोड़ों पर दबाव पड़ता है। कार्टिलेज प्रेशर और शॉक को अवशोषित कर जोड़ों का बचाता है। ऑस्टियो आर्थराइटिस और रुमेटी आर्थराइटिस, इन दोनों गठिया के प्रकारों में डॉक्टरों की सलाह से दवा लेना जरूरी है, लेकिन घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव भी इसके उपचार में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। जहां पारंपरिक उपचार सूजन और बीमारी को नियंत्रित करने के लिए काम करते हैं, उसी बीच ऐसे प्राकृतिक उपचार हैं जो इसके इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। तो आइए जानते हैं गठिया के दर्द से निजात पाने के कुछ घरेलू उपाय -

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  1. गठिया का उपाय है अदरक
  2. आर्थराइटिस का घरेलू उपचार है लहसुन
  3. गठिया से बचने का उपाय हैं लाल मिर्च
  4. गठिया का घरेलू उपाय है सेब का सिरका
  5. गठिया से छुटकारा पाने का तरीका है मालिश
  6. आर्थराइटिस का उपाय है शाल्लाकी
  7. गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय है हल्दी
  8. गठिया रोग का घरेलू नुस्खा है गुग्गुलु
  9. गठिया के दर्द का उपाय है अश्वगंधा
  10. गठिया को रोकने का उपाय है तुलसी
गठिया के घरेलू उपाय के डॉक्टर

हल्दी की तरह, अदरक में भी प्राकृतिक रूप से सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं और यह दर्द और सूजन को कम करने के लिए एक अच्छा उपाय है। प्रभावित जगह पर अदरक का तेल लगाने से कठोरता को कम करने में भी मदद मिलती है। इसकी चाय तैयार करने के लिए 2-3 ग्राम अदरक का उपयोग करें और इसे हर सुबह पिएं। इसका अधिक सेवन भी ना करें क्योंकि इससे आपके पेट को परेशानी हो सकती है। 

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सुबह 3-4 कच्चे लहसुन की कलिया खाने से संधि शोथ के दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। यह गठिया के कारण हड्डियों में होने वाले परिवर्तन को रोकता है। गैर गठिया रोगी भी इसका उपभोग कर सकते हैं क्योंकि यह एक प्रभावी जड़ी-बूटी है जो गठिया को रोकती है। 

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लाल मिर्च गठिया के लक्षणों को कम करने में बहुत प्रभावी है। इसके सक्रिय संघटक में से एक है कैप्साइसिन जो दर्द को कम करने में बहुत अच्छा है। जो मलहम या क्रीम कैप्साइसिन से मिलकर बने होते हैं उन्हें प्रभावित हिस्सों पर दैनिक रूप से लगाया जा सकता है। यह दर्द का इलाज करने में भी प्रभावी होती है। कैप्साइसिन नसों के दर्द को उत्तेजित करता है, इस प्रकार इससे दर्द कम हो जाता है। 

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सेब का सिरका कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे खनिजों में समृद्ध होता है। इसलिए यह जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में उपयोगी है। इसके अलावा, यह जोड़ों और संयोजी ऊतकों में से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है।

एक कप गर्म पानी लें।
इसमें एक चम्मच सेब का सिरका और शहद मिलाएं। (और पढ़ें - शहद खाने के फायदे)
इस घोल को रोज सुबह पिएं।

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गठिया दर्द और सूजन से छुटकारा पाने के लिए सरसों के तेल के साथ मालिश करना बहुत ही अच्छा माना जाता है। तेल प्राकृतिक मरहम के रूप में काम करते हैं और रक्त प्रवाह को उत्तेजित करते हैं।

थोड़ा सा सरसों का तेल गरम करें। अगर आपको सूजन भी है तो तेल के बराबर मात्रा में प्याज का रस मिक्स कर सकते हैं। दर्दनाक जोड़ों पर धीरे से इसे रगड़ें फिर प्लास्टिक रॅप के साथ कवर करें और गर्म तौलिया लगाएँ। सर्वोत्तम परिणाम के लिए बिस्तर पर जाने से पहले इस उपाय को दोहराएं।

बोसवेलिया की छाल (भारतीय लोबान या शाल्लाकी) से निकला गोंद राल, गठिया के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। यह लंबे समय से एंटी-आर्थराइटिक के रूप में इस्तेमाल की जा रही है। इसमें कुछ फाइटोकेमिकल्स होते हैं जिसमें सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं और जो गठिया के कारण दर्द और सूजन को कम करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली होते हैं। अगर दिन में 3 बार 300-400 मिलीग्राम बोसोवेलिया नियमित रूप से ली जाती है तो यह गठिया, ओस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीयस गठिया का भी इलाज कर सकती है। इससे कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, लेकिन गर्भावस्था में या स्तनपान के दौरान इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।

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हल्दी एक शक्तिशाली हीलर और एंटी-सेप्टिक है। इसमें क्युक्यूमिन नामक तत्व होता है जिसमें सूजन को कम करने वाले उत्कृष्ट गुण होते हैं, जो रक्त में सूजनशील रसायनों के स्तर को कम करने में सहायता करते हैं। 2-3 ग्राम हल्दी को पानी में डालकर उबाल लें। जब यह ठंडा हो जाएँ तो गठिया दर्द और सूजन से राहत के लिए इसका सेवन करें। इसकी अत्यधिक मात्रा से बचें क्योंकि इससे रक्त की मोटाई प्रभावित हो सकती है और आपके पेट में परेशानी हो सकती है।

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गुग्गुलु आयुर्वेदिक दवाओं में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एक जड़ी बूटी है। गठिया का स्वाभाविक और प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए 2,000 से अधिक वर्षों से इस जड़ी बूटी पर भरोसा किया जा रहा है। यह एक शक्तिशाली हीलर है जो गठिया की सूजन के मूल कारण को मारती है। यह लालिमा और सूजन को कम करने में भी मदद करती है। गुग्गुलु शरीर की चयापचय प्रक्रिया में सुधार करती है और अमा को पचाने में भी मदद करती है, जिससे यह गठिया के मूल कारण को प्रभावित करती है। आप यह जानकर चकित होंगे कि कुछ मरीजों ने सिर्फ 3 दिनों में रिकवरी देखी है और तीन महीने के भीतर उन्होनें गठिया रोग में काफ़ी बदलाव पाया है।

अश्वगंधा का उपयोग व्यापक रूप से आयुर्वेद में सूजन को कम करने वाली एक जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है। यह जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। यह जोड़ों के डीजेनरेटिव प्रक्रिया में एक बाधा के रूप में कार्य करता है और इससे प्रभावित जोड़ों को नुकसान से बचाता है। अश्वगंधा के सूजन को कम करने वाले संधिशोथ लाभों के लिए, इसकी चाय का एक कप पिएं। रुमेटी संधिशोथ के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक सक्रिय हो जाती है।

तुलसी का पौधा जिसे भारत में पवित्र तुलसी का पौधा कहा जाता है। इसमें गठिया को दूर करने वाले गुण होते हैं। यह 24 घंटे की अवधि के भीतर प्रभावित जोड़ों की सूजन को कम कर देता है और इसलिए इसे गठिया के उपचार में दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। रोजाना कम से कम 3 से 4 तुलसी के पत्ते खाएं या इसकी चाय का सेवन करें। गठिया को दूर करने वाले गुण होने के कारण तुलसी से इसका उपचार में दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है।

 

Dr. G Sowrabh Kulkarni

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