ठंड का मौसम न होने के बावजूद हाथों और पैरों का ठंड होना आम बात है। आमतौर पर अगर आपके हाथ और पैर ठंडे हो रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपका शरीर तापमान के अनुकूल ढलने की कोशिश कर रहा है। इसलिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर लगातार आपके हाथ ठंडे रहते हैं, साथ ही हाथ का रंग भी बदल जाता है तो यह चिंता का विषय है। उदाहरण के तौर पर समझें कि हाथों या अंगुलियों का ठंडा होना नर्व्स , ब्लड सर्कुलेशन और ऊतकों की क्षति होने से संबंधित समस्या हो सकती है। अंगुलियों और हाथों का ठंडा होना कई तरह की बीमारियों की ओर इशारा करता है जैसे, रेनाॅड सिंड्रोम, स्क्लेरोडर्मा, हाइपोथायरायडिज्म, विटामिन की कमी, एनीमिया, डायबिटीज, लुपस, आदि।

(और पढ़ें - ठंड लगने के लक्षण)

निम्नलिखित कारणों से आपके हाथ और पैर ठंडे हो सकते हैं:

  • हाइपोथायरायडिज्म की वजह से: 
    जब आपकी थायराइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती है, तब हाइपोथायरायडिज्म होता है। आमतौर पर 60 साल की उम्र पार कर चुकी महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। हालांकि यह समस्या किसी को भी हो सकती है। समय गुजरने के साथ-साथ स्थिति और भी खराब हो जाती है। परिणामस्वरूप हृदय रोग, जोड़ों में दर्द, मोटापा और प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है। कहने का मलब यह है कि अगर आपकी अंगुलियां अधिकतर समय ठंडी रहती हैं तो इसका मतलब है कि आपको हाइपोथायरायडिज्म की समस्या है। हालांकि हाइपोथायरायडिज्म अंगुलियों को ठंडा नहीं करता, लेकिन ठंड के प्रति आपकी संवेदनशीलता को बढ़ा देता है। नतीजतन आपको अधिक ठंड लगती है। अगर आपको सामान्य लोगों से ज्यादा ठंड लगती है, तो हाइपोथायरायडिज्म के कुछ लक्षणों पर भी अवश्य गौर करें। ये लक्षण हैं- मतली, वजन बढ़ना, रूखी त्वचा, मांसपेशियों में दर्द, अकड़न, कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ना, बालों का कमजोर होना, अवसाद, जोड़ों में दर्द, सूजन। (और पढ़ें - थायराइड डाइट चार्ट)
     
  • फ्राॅस्टबाइट की वजह से: 
    ठंड के मौसम में अंगुलियों का ठंडा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि समस्या कब होती है? जब ठंड की वजह से कुछ ही देर में त्वचा का रंग बदल जाता है। ऐसा महसूस होता है जैसे हाथ जम रहे हों। त्वचा और ऊतकों का जमना एक आपातकालीन स्थिति है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है या फिर पहला चरण पार कर जाती है, तो आपकी त्वचा, ऊतकों, मासंपेशियों और हड्डियों को स्थाई रूप से खराब कर सकती है। अगर रेनाॅड सिंड्रोम की वजह से हाथों में रक्त संचार सही नहीं हो रहा है, तो फ्राॅस्टबाइट या शीतदंश (बहुत ज्यादा देर तक अत्यधिक ठण्ड में रहने से होने वाली समस्या) होने की आशंका बढ़ जाती है।
     
  • अन्य समस्याएं: 
    मांसपेशियों के विशेषज्ञों का कहना है कि अमूमन हाथों और पैरों का ठंडा होना कोई समस्या की बात नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि हाथों का ठंडा होना कुछ गंभीर बीमारियों की ओर इशारा करता है जैसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, रूमेटाइड अर्थराइटिस, लुपस आदि। ठंड लगने पर रक्त वाहिकाएं खुद ब खुद सिकुड़ने लगती है, क्योंकि यह अंगों को ठंड से बचाने की प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं, जिसमें ठंड लगने की वजह से अपने आप त्वचा का रंग बदल जाता है। त्वचा का रंग नीला, बैंगनी और लाल हो जाता है। (और पढ़ें - आर्थराइटिस के घरेलू उपचार)

हाथ और पैर ठंडे हो तो क्या करें?

यदि आपके हाथ और पैर ठंडे हों तो आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

  • हाथों को गर्म रखेंः 
    अगर आपके हाथ बहुत जल्दी ठंडे हो जाते हैं, तो कोशिश करें कि हाथ हमेशा गर्म रहे। इसके लिए ग्लव्स पहन सकते हैं। इससे आपको मदद मिलेगी। 
     
  • पैरों को गर्म रखेंः 
    पैरों में गर्म जूते पहनें या फिर जुराबें पहनकर रखें ताकि आपको ठंड न लगे। 
     
  • ज्यादा कपड़े पहनेंः 
    मौसम बदलने के बावजूद कम कपड़े न पहनें। इससे आपके शरीर का तापमान संतुलित रहेगा और ज्यादा कपड़े पहनने से आपको ठंड भी कम लगेगी। 
     
  • काॅफी-निकोटिन न लेंः
    ये वैसोकॉन्स्ट्रिक्टर्स (इनके कारण रक्त वाहिकाओं की परते सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त वाहिकाएं संकरी हो जाती हैं) हैं, जो ठंड के प्रभाव को और बढ़ा सकते हैं। इसलिए इनके सेवन से बचें।

ठंड लगना कोई समस्या नहीं है। लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि क्या आपको सामान्य लोगों से ज्यादा ठंड लग रही है? क्या इस वजह से हाथ और अंगुलियां हमेशा ठंडी रहती है? अगर ऐसा है तो लक्षणों को समझकर तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।

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