यौन स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्या होती है, जिनमें से एक इरेक्टाइल डिस्फंक्शन है. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) के कई कारण हो सकते हैं. आज इस लेख में हम टेस्टोस्टेरोन और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का आपसी तालमेल क्या है इसे समझेंगे. साथ ही यह भी जानेंगे कि लो टेस्टोस्टेरोन के कारण ईडी की समस्या हो सकती है या नहीं, लेकिन सबसे पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि टेस्टोस्टेरोन और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है.

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  1. टेस्टोस्टेरोन क्या है?
  2. लो टेस्टोस्टेरोन के लक्षण क्या हैं?
  3. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है?
  4. स्तंभन दोष के लक्षण क्या हैं?
  5. क्या लो टेस्टोस्टेरोन से स्तंभन दोष होता है?
  6. लो टेस्टोस्टेरोन का इलाज क्या है?
  7. लो टेस्टोस्टेरोन लेवल बढ़ाने का प्राकृतिक तरीका
  8. सारांश
क्या टेस्टोस्टेरोन की कमी से स्तंभन दोष होता है? के डॉक्टर

टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है, जो पुरुषों के यौन विकास में मुख्य भूमिका निभाता है. अगर आवश्यकता के अनुसार शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का निर्माण न हो, तो इसकी वजह से वजन बढ़ने की समस्या शुरू हो सकती है और और सेक्स ड्राइव में कमी की भी समस्या हो सकती है. शरीर में टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होने पर कई लक्षण महसूस किए जा सकते हैं, जिनके बारे में आगे समझेंगे.

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अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, लो टेस्टोस्टेरोन के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं -

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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी स्तंभन दोष ऐसी समस्या है, जिसमें शारीरिक संबंध बनाने के दौरान पुरुषों के लिंग में उत्तेजना नहीं आती है. अगर उत्तेजना आती भी है, तो उसे ज्यादा समय के लिए बनाए रखना संभव नहीं हो पाता है. स्तंभन दोष की समस्या भी दो अलग-अलग तरह की होती है, जिसे मेडिकल भाषा में प्राइमरी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और सेकंडरी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहते हैं.

प्रायः पुरुषों में सेकंडरी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या देखी जाती है, जिसकी वजह से पुरुषों में बांझपन की समस्या शुरू हो सकती है. अगर स्तंभन दोष की समस्या शुरू होती है, तो इसके कुछ लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जिसका समय रहते इलाज करवाने पर फायदा हो सकता है.

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स्तंभन दोष के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं -

  • कभी-कभी सेक्स से पहले इरेक्शन महसूस होना.
  • ज्यादा वक्त तक इरेक्शन नहीं रह पाना.
  • इरेक्शन बनाए रखने के लिए बहुत अधिक उत्तेजना की जरूरत होना
  • सेक्स में रुचि कम होना.

अगर ऊपर बताये गए लक्षण महसूस किए जा रहे हों, तो इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) के अनुसार, लो टेस्टोस्टेरोन का असर शारीरिक व मासिक रूप से देखा जा सकता है. टेस्टोस्टेरोन शरीर में दो स्तरों पर इरेक्शन को प्रभावित कर सकता है. पहला केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) को न्यूरोट्रांसमीटर या ब्रेन के केमिकल मेसेंजर को जारी रखने के लिए उत्तेजित कर सकता है, जो डोपामाइन, नाइट्रिक ऑक्साइड और ऑक्सीटोसिन सहित इरेक्शन प्राप्त करने में मदद करने के लिए जिम्मेदार हैं. वहीं, दूसरा स्तर रक्त वाहिकाओं में परिवर्तन लाने के लिए रीढ़ की हड्डी की नसों को उत्तेजित कर सकता है, जो इरेक्शन हासिल करने और बनाए रखने में मददगार हो सकता है. 

टेस्टोस्टेरोन यौन इच्छा और इरेक्शन हासिल करने और बनाए रखने में अपनी खास भूमिका निभाता है, लेकिन सिर्फ इसे ही कारण नहीं माना जा सकता है. यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि जब तक टेस्टोस्टेरोन लेवल बिल्कुल कम नहीं होगा, तब तक सेक्शुअल एक्टिविटी में बदलाव नहीं भी देखे जा सकते हैं. कम टेस्टोस्टेरोन लेवल वाले लोगों में हेल्थ से जुड़ी समस्या भी देखी जाती है, जिनमें हार्ट डिजीजहाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज शामिल है. ऐसी समस्या ईडी की समस्या को दावत दे सकती है, क्योंकि वे ब्लड फ्लो और सेंसेशन को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन पुरानी बीमारी आमतौर पर यौन इच्छा को उतना प्रभावित नहीं करती है, जितना कि कम टेस्टोस्टेरोन होने से होता है. 

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय)

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लो टेस्टोस्टेरोन का इलाज टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (TRT) की मदद से किया जाता है. यह थेरेपी निम्नलिखित तरह से दी जा सकती है -

  • स्किन पैच.
  • जेल.
  • ओरल टेबलेट्स.
  • इंजेक्शन.
  • सर्जरी की मदद से प्लेटलेट्स इम्प्लांट किए जाते हैं, ताकि हार्मोन रिलीज हो सकें.

जिन लोगों को टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है, उनमें 4 से 6 हफ्ते में लाभ नजर आने लगता है.

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के फायदे)

प्राकृतिक तरीके से लो टेस्टोस्टेरोन लेवल को बढ़ाने का तरीका निम्न प्रकार से है -

  • सभी प्रकार के व्यायाम टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकते हैं, लेकिन इसमें सबसे प्रभावी वेट लिफ्टिंग को माना जाता है.
  • डायट में नियमित रूप से विटामिन डीफैटप्रोटीन और कार्ब को शामिल करना चाहिए.
  • तनाव से दूर रहकर टेस्टोस्टेरोन लेवल को बेहतर रखा जा सकता है.
  • आराम करें और नियमित रूप से 7 से 9 घंटे की नींद लें.
  • शराब और धूम्रपान से दूरी बनाएं.
  • हेल्दी सेक्स लाइफ मेंटेन करें.

नोट: पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर 19 साल की उम्र में सबसे ज्यादा होता है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वाभाविक रूप से कम होने लगता है. रिसर्च के अनुसार, 30 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक वर्ष टेस्टोस्टेरोन लेवल में औसतन 1% से 2% की कमी आती है, लेकिन 40 या उसके बाद यह लेवल स्थिर रह सकता है.

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा)

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लो टेस्टोस्टेरोन के कारण ईडी की समस्या हो सकती है, लेकिन इसका इलाज भी किया जा सकता है. इसलिए, लो टेस्टोस्टेरोन की समस्या हो इस कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या होने पर डॉक्टर से बात करना बेहतर विकल्प है. दरअसल, डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल कंडीशन और शारीरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किसी भी दवा या हर्बल मेडिसिन की डोज तय करते हैं.

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने की एक्सरसाइज)

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