रेबीज को संक्रामक बीमारी माना गया है. यह रेबीज वायरस से संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने के कारण फैलती है. यह वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम को और खासतौर से मस्तिष्क को प्रभावित करता है. सीडीसी (सेंट्रर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार पूरी रेबीज के चलते दुनिया में हर वर्ष लगभग 59 हजार लोगों की मृत्यु होती है. इनमें से ज्यादातर पागल कुत्ते के काटने के कारण मरते हैं.

आज लेख में आप जानेंगे कि कुत्ते के काटने के कितने दिन बाद रेबीज फैलता है व इसके घरेलू उपाय क्या हैं -

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  1. कुत्ते के काटने के कितने दिन बाद रेबीज फैलता है?
  2. कुत्ते के काटने के बाद बरतें ये सावधानियां
  3. कुत्ते के काटने पर घरेलू उपचार
  4. सारांश
कुत्ते के काटने के कितने दिन बाद रेबीज फैलता है? के डॉक्टर

कुत्ते के काटने और उसके लक्षणों के शुरू होने के बीच के समय को इंक्यूबेशन पीरियड कहते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षणों को दिखने में 1 से 3 महीने का समय लग सकता है. वहीं, कुछ मामलों में ये अवधि 1 हफ्ते से लेकर 1 वर्ष के बीच में भी हो सकती है.

रेबीज के शुरुआत के लक्षणों में बुखारमांसपेशियों में कमजोरी और शरीर में झुनझुनाहट होना शामिल है. काटने वाली जगह पर जलन भी महसूस हो सकती है. जैसे ही वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर प्रभावित करता है, तो दो प्रकार की बीमारी विकसित हो सकती है - फ्यूरियस रेबीज और पैरालिटिक रेबीज -

फ्यूरियस रेबीज

जो लोग फ्यूरियस रेबीज से ग्रस्त होते है, उनमें ज्यादा उतेजना होती है. वे अलग तरह का बर्ताव करने लग सकते हैं. उनको नींद कम आती है, चिंता होने लगती है, उनके मुंह से अधिक लार और झाग आने लगती है, उनको निगलने में परेशानी होने लगती है. साथ ही पानी से डर लगने लगता है.

(और पढ़ें - कुत्ते के काटने पर क्या करें)

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पैरालिटिक रेबीज

पैरालिटिक रेबीज को फैलने में समय लगता है. संक्रमण वाले लोग धीरे-धीरे लकवा ग्रस्त हो जाते है. इसके बाद वो धीरे-धीरे कोमा में चले जाते हैं और फिर उनकी मौत हो जाती है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार रेबीज के 20 प्रतिशत मामले पैरालिटिक हैं.

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कुत्ते या किसी अन्य जानवर के काटने पर व्यक्ति को जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर टीका लगवाना चाहिए. साथ ही निम्न बातों का भी ध्यान रखना चाहिए -

  • सबसे पहले चोट के भाग को साबुन और पानी से साफ कर सकते हैं. इससे इंफेक्शन फैलने का रिस्क कम हो सकता. ऐसा दिन में चार से पांच बार करना जरूरी है.
  • कुत्ते के काटने के तुरंत बाद स्किन को साफ करके, उसके बाद उस पर कुछ अप्लाई करें.  
  • इसके कुछ समय बाद जब ब्लीडिंग रुक जाए, तो दर्द और सूजन को कम करने के लिए किसी एंटी बायोटिक या आइंटमेंट का प्रयोग कर सकते हैं.
  • किसी जानवर के काटने के बाद जितना जल्दी हो सके रेबीज का टीका लगवाना सुरक्षित है. यह इसके संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है. रेबीज का टीका 14 दिन में 5 बार लगवाया जाता है.

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अगर किसी को कुत्ता काट ले, तो इस अवस्था में कुछ घरेलू उपचार के जरिए घाव से संबंधित समस्याओं काे कुछ हद तक कम किया जा सकता है. बेहतर यही होगा कि इन घरेलू नुस्खों को प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की राय जरूर ली जाए -

नीम व हल्दी का पेस्ट

डॉक्टरों के मुताबिक कुत्ते के काटने के बाद नीम और हल्दी का पेस्ट लगाना फायदेमंद हो सकता है. यह एक प्राकृतिक पेस्ट है, जो कुत्ते के काटने के तुरंत बाद लगाया जा सकता है. नीम के पत्तों और हल्दी को पीस कर पेस्ट बनाएं और प्रभावित स्किन पर अप्लाई करें. नीम घाव को भरने में सहायक है. हल्दी भी सूजन और घाव को कम करने में फायदेमंद होती है.

(और पढ़ें - बंदर के काटने से क्या होता है)

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लहसुन

लहसुन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो कुत्ते के काटे हुए को ठीक करने में सहायक माने जाते हैं. लहसुन की कुछ कलियों को ब्लेंड करें और उसमें थोड़ा-सा नारियल का तेल मिलाए, इसके बाद इसे काटी गई जगह पर अप्लाई करें. 

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सरसों का तेल

कुत्ते के काटे हुए को ठीक करने के लिए सरसों का तेल प्रयोग कर सकते हैं. सीधा इसे कुत्ते के काटे गए भाग पर अप्लाई करें. सरसों के तेल में एंटी माइक्रोबियल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. ये चोट को ठीक करने में मदद कर सकते हैं.

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नींबू का रस

नींबू विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है. यह कुत्ते के काटे हुए को ठीक करने में भी काफी लाभदायक माना जा सकता है. चोट को जल्दी से जल्दी ठीक करने के लिए नींबू के रस को अप्लाई कर सकते हैं. इससे इंफेक्शन का रिस्क भी काफी कम हो सकता है. इसका प्रयोग करने के बाद कुछ समय के लिए चुभन महसूस हो सकती है.

कुत्ते के काटने पर रेबीज वायरस से होने वाली बीमारी को रेबीज कहा जाता है. रेबीज के कारण बुखार व मसल्स पेन जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. आमतौर पर रेबीज 3 महीने से 1 साल के बीच में फैलता है. रेबीज वैक्सीन ही इस समस्या का उचित इलाज है. यह वैक्सीन 14 दिन में 5 बार लगाई जाती है. इसके अलावा, लहसुन या नीम और हल्दी के पेस्ट से घाव को भरने में मदद मिल सकती है. इन घरेलू नुस्खों का प्रयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें, ताकि किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट न हो.

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