दुनियाभर में लाखों लोग हर साल लिवर सिरोसिस, नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज, लिवर कैंसर, लिवर फेल्योर और हेपेटाइटिस जैसी लिवर की बीमारियों के शिकार होते हैं. इन रोगों से दुनिया में हर साल लगभग 20 लाख मौतें होती हैं.

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लिवर की बीमारी का इलाज कई तरीकों से किया जाता है, जिसमें दवा, खान-पान में बदलाव, इम्यूनोथेरेपी, जीवनशैली में बदलाव, सर्जरी और यहां तक कि लिवर प्रत्यारोपण भी शामिल है. इन उपचारों के अलावा, प्राकृतिक जड़ी-बूटियां काफी हद तक सुधार ला सकती हैं. शोधों से पता चलता है कि कुछ जड़ी-बूटियां लिवर सिरोसिस या हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस-सी जैसे संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

आज इस लेख में हम लिवर को स्वस्थ रखने वाली जड़ी-बूटियों के बारे में बात करेंगे -

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  1. इन जड़ी-बूटियों का करें सेवन
  2. लिवर को स्वस्थ रखने के लिए अन्य जड़ी-बूटियां
  3. सारांश
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए जड़ी-बूटी के डॉक्टर

लिवर की बीमारियां कई कारणों से हो सकती हैं, जिसके लिए डाइट से लेकर जीवनशैली जिम्मेदार हैं. ऐसे में आप लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कुछ जड़ी-बूटियों जैसे कि मिल्क थीस्ल और फ्रुक्टस पाइपरिस लोंगी का इस्तेमाल कर सकते हैं.

आइए, लिवर को स्वस्थ रखने वाली जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से जानें-

मिल्क थीस्ल

यह एक औषधीय पौधा है, जिसके फूलों से दूध निकलता है. इस पौधे को आसानी से कहीं भी उगाया जा सकता है. मिल्क थीस्ल का उपयोग 2,000 से अधिक वर्षों से पित्त नली और लिवर के इलाज के लिए किया जाता है. मिल्क थीस्ल में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो सूजन को कम करने, लिवर कोशिका पुनर्जनन को बढ़ावा देने और लिवर रोग में मदद कर सकते हैं.

कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मिल्क थीस्ल के सप्लिमेंट्स लेने से लिवर रोग को रोकने में मदद मिल सकती है. यह शराब के कारण होने वाली सिरोसिस बीमारी से भी लड़ने में मददगार है.

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पिप्पली/फ्रुक्टस पाइपरिस लोंगी

पिप्पली एक सस्ती और आसानी से मिलने वाली औषधि है, जो विभिन्न लिवर के रोगों में प्रभावी पाई गई है. यह एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों को बढ़ाकर लिवर को ठीक करने में सक्षम है. एक अध्ययन से पता चला है कि पिप्पली का अर्क ट्रांसग्लुटामिनेज की गतिविधियों को कम करके लिवर सिरोसिस को ठीक करने में सहायक है. हालांकि, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि यह जड़ी-बूटी गर्भनिरोधक गतिविधि को बढ़ावा देती है. इस कारण गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसके उपयोग से बचना चाहिए.

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जिनसेंग

जिनसेंग एक जानी-मानी जड़ी-बूटी है, जो अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जानी जाती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि जिनसेंग में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट वायरस, जहरीले पदार्थों और शराब से होने वाले लिवर के नुकसान को कम कर सकते  हैं. साथ ही, यह सर्जरी के बाद लिवर सेल रिजेनेरेशन को बढ़ावा दे सकता है.

जिनसेंग उपचार से लिवर की कार्यक्षमता में भी सुधार हो सकता है और लिवर की बीमारी वाले लोगों में थकान और सूजन कम हो सकती है. इसके प्रयोग से लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले गामा-ग्लूटामाइल ट्रांसफेज की मात्रा में भी कमी पाई गई. लिवर के स्वास्थ्य पर जिनसेंग के प्रभावों की जांच करने के लिए और शोध की जरूरत है.

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लिकोरिस

कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि लिकोरिस में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीवायरल और लिवर को सुरक्षा देने वाले गुण मौजूद होते हैं. इसके अर्क से लिवर की कुछ बीमारियों में लाभ हो सकता है. फैटी लिवर रोग वाले 66 लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि 2 महीने के लिए प्रतिदिन 2 ग्राम लिकोरिस के अर्क लेने से एएलटी और एएसटी में काफी कमी आई. हालांकि, ये निष्कर्ष आशाजनक हैं, लेकिन फिर भी और शोध की जरूरत है.

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डैनशेन

आमतौर पर डैनशेन को पारंपरिक चीनी चिकित्सा में उपयोग किया जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि डैनशेन का लिवर के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. डैनशेन शराब से संबंधित लिवर की बीमारियों से बचाने में और लिवर टिशू रिजेनेरेशन को बढ़ावा देने में मदद करता है. इसके अलावा, डैनशेन का इंजेक्शन अन्य हर्बल उपचारों के साथ उपयोग किए जाने पर लिवर फाइब्रोसिस के इलाज में मदद कर सकता है.

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बरडॉक

एक अध्ययन के अनुसार, बरडॉक लिवर सेल्स को एसिटामिनोफेन-प्रेरित क्षति से बचाने में मदद करता है. बरडॉक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कुछ प्रकार के जहरीले पदार्थों के प्रभावों को कम कर सकते हैं. बरडॉक शराब के सेवन से होने वाले नुकसान से भी लिवर को बचाने में मदद करता है.

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यहां हम कुछ अन्य औषधियों के नाम बता रहे हैं, जिनका इस्तेमाल लिवर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है-

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जिनसेंग, डैनशेन और लिकोरिस जैसे कई ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जो लिवर को स्वस्थ रखने में बेहद मददगार हैं. लिवर रोगों से ग्रस्त लोगों में ये एक लोकप्रिय प्राकृतिक विकल्प के रूप में उभर रही हैं. ज्यादातर हर्बल सप्लीमेंट सुरक्षित माने जाते हैं और लिवर की कुछ बीमारियों के इलाज में प्रभावकारी हो सकते हैं, लेकिन कभी-कभी ये लिवर को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. इसलिए, जरूरी है कि अगर आप लिवर की बीमारी के लिए हर्बल उपचारों के बारे में सोच रहे हैं, तो इनके उपयोग से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श लेना चाहिए.

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