मां बनने पर जो खुशी मिलती है उसे शब्‍दों में जाहिर करना बहुत मुश्किल है। इसके साथ ही मां बनने के बाद जिम्‍मेदारियां भी काफी बढ़ जाती हैं। शिशु को जन्‍म देना और उसका पालन-पोषण करना काफी मुश्किल काम होता है और अक्‍सर इसी बात को लेकर महिलाएं चिंतित रहती हैं। वैसे तो नवजात शिशु अपनी हर जरूरत को लेकर मां पर निर्भर रहता है लेकिन जन्‍म के बाद सबसे पहले उसे मां के दूध की जरूरत होती है। जन्‍म के बाद पहले दिन मां के दूध को शिशु के लिए बहुत जरूरी माना जाता है।

  1. पहला स्तनपान - Pehli baar breastfeeding karvana
  2. कोलोस्ट्रम - Colostrum
  3. स्‍तनपान की सही पोजीशन क्‍या है - Kis position me doodh pilana chahiye
  4. पहले 24 घंटों में बोतल से दूध पिलाना - Pehle 24 ghante me kya bottle se doodh pila sakte hain
  5. नवजात शिशु को बोतल से दूध कैसे पिलाएं - Bottle se doodh pilane ka sahi tarika
  6. नवजात शिशु को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए - Bache ko kitni bar doodh pila sakte hain
  7. क्‍या बच्‍चे को नींद से उठाकर दूध पिलाना चाहिए - Kya doodh pilane ke liye bache ko nind se uthana sahi hai
जन्म के 24 घंटे के अंदर नवजात शिशु को दूध पिलाना के डॉक्टर

मां और शिशु दोनों के लिए पहले स्‍तनपान को बहुत महत्‍वपूर्ण माना जाता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार जन्‍म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात शिशु को स्‍तनपान करवाने से उसके जीवित रहने और मानसिक एवं शारीरिक विकास की संभावना बढ़ जाती है। सरल शब्‍दों में कहें तो पहला स्‍तनपान शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत आवश्‍यक होता है।

शिशु ही नहीं बल्कि मां को भी इससे फायदा होता है। इससे स्‍तनों में दूध का उत्‍पादन बढ़ता है और दूध के निप्‍पल तक आने की शुरुआत होती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि आगे के लिए स्‍तनपान को सुगम और आनंददायक बनाने के लिए शिशु के जन्‍म के बाद दो घंटे के अंदर ही स्‍तनपान करवाना जरूरी है।

हालांकि, पहली बार नवजात शिशु को दूध पिलाना काफी मुश्किल काम होता है। शिशु स्‍तनों से दूध को ठीक तरह से खींच नहीं पाता है या मां को भी दूध पिलाने की सही पोजीशन के बारे में पता नहीं होता है। कुछ महिलाओं को स्‍तनपान करवाने की शुरुआत में निप्‍पलों में दर्द महसूस होता है।

अगर आपको स्‍तनपान करवाने में किसी भी तरह की कोई परेशानी आ रही है तो ज्‍यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। डिलीवरी के बाद शरीर में हल्‍का-सा दर्द तो रहता ही है लेकिन समय के साथ आपका शरीर स्‍तनपान के अनुकूल हो जाता है और फिर आपको कोई परेशानी नहीं आती है।

(और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं और उनके समाधान)

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डिलीवरी के पहले दो या तीन दिनों तक स्‍तनों में दूध की बजाय पीला और गाढ़ा तरल बनता है जिसे कोलोस्‍ट्रम कहा जाता है। ये एंटीबॉडी से प्रचुर होता है और शिशु के इम्‍यून सिस्‍टम के विकसित होने तक उसे संक्रमणों से बचाने में मदद करता है।

शिशु को हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाने की जरूरत होती है। थोड़ा बड़ा होने पर शिशु खुद ही दूध पीने या भूख लगने के संकेत देने लगता है। स्‍तनपान करवाना बहुत ही सुखद अनुभव होता है। इससे त्‍वचा के संपर्क में आने से मां और शिशु के बीच एक अनोखा रिश्‍ता बनता है।

(और पढ़ें - माँ का दूध कैसे बढ़ाएं)

शिशु को स्‍तनपान करवाने के लिए आपको पोजीशन बदलते रहना चाहिए। जिस ब्रेस्‍टफीडिंग पोजीशन में आप और आपका शिशु सहज महसूस करे, आप दोनों के लिए वही सही है। आमतौर पर नवजात शिशु को ऐसी पोजीशन में दूध पिलाना चाहिए कि उसका चेहरा आपकी ओर हो और सिर, कंधे एवं कूल्‍हे एक सीध में रहें।

ब्रेस्‍टफीडिंग के लिए निम्‍न पोजीशन अपना सकती हैं:

  • क्रैडल पोजीशन: शिशु को गोद में लेकर उसका सिर उसी स्‍तन की ओर रखें जहां से दूध पिलाना है
  • क्रॉस क्रैडल पोजीशन: अगर आप दाएं स्‍तन से दूध पिला रही हैं तो शिशु को अपनी बाईं बाजू से पकड़ें और अपने हाथ को शिशु के सिर के पीछे लगाकर रखें
  • क्‍लच पोजीशन: अगर स्‍तनों से दूध निकल रहा है तो आपके लिए ये पोजीशन अच्‍छी रहेगी। इस पोजीशन के लिए अपनी गोद में एक कुशन रखें और शिशु को गोद में उठाएं, उसके पैर आपकी बाजुओं में आने चाहिए। अब उसके सिर को अपनी हथेली का सहारा देकर दूध पिलाएं
  • साइड पोजीशन: करवट लेकर लेट जाएं और अपने साथ शिशु को भी लिटाकर दूध पिलाएं

इसके अलावा निम्‍न बातों का ध्‍यान रखकर आप स्‍तनों में दर्द होने की समस्या से बच सकती हैं और शिशु भी अच्‍छे से दूध पी सकता है।

  • शिशु को मुंह से स्‍तन को पकड़ना आना चाहिए। शिशु को हमेशा स्‍तनों के पास लेकर जाएं। शिशु के मुंह से एरोला (निप्पल्स के आसपास का हिस्सा) ढका होना चाहिए
  • अपनी ब्रेस्‍ट से सहारा देकर आप शिशु को स्‍तन से दूध खींचने में मदद कर सकती हैं। अपने अंगूठे से ब्रेस्‍ट को ऊपर से पकड़ें और उंगलियों से निप्‍पल को बीच में से दबाएं। सिर्फ निप्‍पल और एरोला को हल्‍के से दबाना है
  • नवजात शिशु के सिर को ब्रेस्‍ट से हल्‍का-सा दूर रखें ताकि स्‍तनपान के दौरान वो ठीक से सांस ले सके। स्‍तनपान के दौरान शिशु के नथुने फुलाना इस बात का संकेत है कि वो स्‍तन से दूध को ठीक तरह से खींच पा रहा है
  • शिशु को जबरदस्‍ती दूध पिलाने की कोशिश न करें। अगर वो रो रहा है तो उसे चुप करवाएं

(और पढ़ें - बच्चे को दूध पिलाने के तरीके)

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नवजात शिशु को स्‍तनपान करवाना बहुत जरूरी होता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्‍स का कहना है कि जो महिलाएं शिशु को स्‍तनपान नहीं करवा सकती हैं या नहीं करवाना चाहती हैं वो फार्मूला दूध की मदद ले सकती हैं। ये पूरी तरह से सुरक्षित होता है और इसके भी अपने कुछ फायदे होते हैं। कई ब्रांड के स्‍पेशल फार्मूला मिल्क उपलब्ध हैं जिन्हें शिशु को जन्‍म के पहले दिन दिया जा सकता है। इसमें आमतौर पर आसानी से पचने वाला प्रोटीन होता है जैसे कि मट्ठा और इसे ब्रेस्‍ट मिल्‍क की ही तरह बनाया जाता है। फार्मूला मिल्‍क खरीदने से पहले उसका लेबल जरूर चैक कर लें। शिशु की उम्र के आधार पर कई प्रकार के फार्मूला मिल्‍क होते हैं।

आप अपने ब्रेस्‍ट मिल्‍क को किसी बोतल या बर्तन में निकालकर स्‍टोर भी कर सकती हैं। ब्रेस्‍ट पंप या अपने हाथों की मदद से दूध निकालकर बोतल में भर कर रख सकती हैं और बाद में शिशु को इसे पिला सकती हैं। ब्रेस्‍ट मिल्‍क को 24 घंटे तक रेफ्रिजरेटर में 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्‍टोर कर के रखा जा सकता है। फ्रिज से निकालने के बाद दूध को सीधा गर्म न करें बल्कि कुछ मिनट के लिए गर्म पानी में दूध की बोतल को रख दें। दूध हमेशा गुनगुना पिलाना चाहिए। गर्म करने के बाद दूध को दोबारा फ्रिज में न रखें। बोतल को अच्‍छी तरह से साफ करने के बाद ही शिशु को उसमें दूध भर कर दें।

(और पढ़ें - स्तनपान या बोतल से दूध पिलाना: क्या है ज्यादा बेहतर)

  • आराम से बैठकर शिशु को गोद में उठाएं
  • अब धीरे से दूध की बोतल को शिशु के होंठों पर लगाएं। शिशु के मुंह खोलने पर बोतल के निप्‍पल को उसके मुंह के अंदर डालें
  • उसके सिर को अपनी हथेली से सहारा दें ताकि वो आराम से सांस ले सके और दूध पी सके
  • शिशु को देखते रहें, उसे ऐसा महसूस होना चाहिए कि वो स्‍तनपान ही कर रहा है। गाना गाएं या उससे बात करें
  • दूध की बोतल की निप्‍पल तक हमेशा दूध भरा होना चाहिए
  • अगर ये निप्‍पल बंद हो गई है या इसमें कुछ अटक गया है तो इसे बदल दें
  • अगर बोतल में दूध रह गया है तो इसे दोबारा न पिलाएं
  • शिशु को अपने पास ही दूध पिलाएं, उसे अकेला न छोड़ें। दूध पीते समय शिशु को खांसी आ सकती है 

नोट: दूध पिलाने के बाद शिशु को हमेशा डकार दिलवानी चाहिए। जब शिशु दूध पी ले तो उसे सीने से लगाकर उठाएं और कमर को सहलाते रहें।

(और पढ़ें - बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के फायदे)

सामान्‍य तौर पर शिशु को एक दिन में 8 से 12 बार दूध पिलाना होता है यानी कि 1.5 से तीन घंटे बाद। कुछ बच्‍चों को हर घंटे दूध पीने की जरूरत होती है। अमेरिका की नेशनल हैल्‍थ सर्विस के अनुसार हर घंटे में शिशु को दूध पिलाना सही है। कई शिशु भूख लगने पर खुद ही अपनी मां को संकेत देने लगते हैं, जैसे कि:

  • रोना
  • मुट्ठी या उंगली चूसना
  • सिर को घुमाना और मुंह खोलना
  • बुदबुदाने जैसी आवाज निकालना

ये शिशु की उम्र, वजन और सेहत पर निर्भर करता है। जन्‍म के बाद पहले दिन शिशु ज्‍यादातर सोता रहता है लेकिन उसे हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाने की जरूरत होती है। नवजात शिशु को जब भी भूख लगती है तो वो अपने आप ही नींद से उठ जाता है। हालांकि, अगर शिशु 4 घंटे से ज्‍यादा समय से सो रहा है तो आपको उसे उठाकर दूध पिलाना चाहिए।

Dr. Mayur Kumar Goyal

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संदर्भ

  1. Pregnancy, Childbirth, Postpartum and Newborn Care: A Guide for Essential Practice. 3rd edition. Geneva: World Health Organization; 2015. K, BREASTFEEDING, CARE, PREVENTIVE MEASURES AND TREATMENT FOR THE NEWBORN.
  2. National Guidelines For Infant And Young Child Feeding. Ministry of Human Resource Development Department of Women And Child Development( Food And Nutrition Board) Govt. of India 2004
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Infant and Newborn Nutrition
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; How Much and How Often to Feed Infant Formula
  5. Office on women's health [internet]: US Department of Health and Human Services; Getting a good latch
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