बच्चे के छह महीने का होने तक मां का दूध ही सबसे बेहतर माना जाता है। बच्चे को स्तनपान कराना मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। हालांकि, स्तनों में दूध की कमी, चिकित्सीय समस्या व किसी अन्य कारण के चलते हर महिला बच्चे को सामान्य रूप से स्तनपान नहीं करवा पाती हैं। इस परिस्थिति में महिलाएं बच्चे को बोतल से ही दूध पिलाना शुरू करती हैं। इसके अलावा सामान्य अवस्था में भी महिलाएं अपने बच्चे के छह महीने का होने के बाद स्तनपान के साथ ही बोतल से भी पिला सकती हैं।

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अगर आप भी अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाने का विचार कर रहीं हैं तो इस लेख में आपको बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के सही तरीके को विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें आपको बच्चे को बोतल से दूध पिलाना कैसे शुरू करें, बच्चों को बोतल से दूध कितनी मात्रा में पिलाना चाहिए, बोतल से दूध पिलाने के फायदे, बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान और बच्चा बोतल से दूध न पिए तो क्या करें आदि विषयों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। 

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  1. बच्चे को बोतल से दूध पिलाना कैसे शुरू करें - Bache ko bottle se doodh pilana kaise suru kare
  2. बच्चे को बोतल से दूध कितनी मात्रा में देना चाहिए - Bache ko bottle se doodh kitni matra me dena chahiye
  3. बोतल से दूध पिलाने के फायदे - Bottle se doodh pilane ke fayde
  4. बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान - Bache ko bottle se doodh pilane ke nuksan
  5. बच्चा बोतल से दूध न पिए तो क्या करें - Baby bottle se doodh na piye to kya kare in Hindi
  6. बच्चे को बोतल से दूध पिलाते ध्यान देने वाली बातें - Bache ko bottle se doodh pilate samay in baaton ka dhyan dein
बच्चे को बोतल से दूध पिलाना के डॉक्टर

स्तनपान विशेषज्ञों के अनुसार जब तक शिशु मां का दूध सही तरह से पीना शुरू नहीं करता है, तब तक बच्चे को बोतल से दूध नहीं पिलाना चाहिए। जब बच्चे को अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता हो तब ही उसको बोतल से दूध पिलाएं। बच्चे को बोतल से दूध पीना सिखने में कम से कम दो सप्ताह का समय लगता है।

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स्तनपान की जगह पर बोतल से दूध पीने की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है, इसमें बच्चे के द्वारा मुंह और जीभ के अलग हिस्सों का प्रयोग किया जाता है। स्तनपान के साथ ही बच्चे या शिशु को बोतल का दूध शुरू करने से पहले आपको निम्न तरह के टिप्स का इस्तेमाल करना चाहिए।

  1. शाम को स्तनपान के बाद बच्चे को बोतल से दूध दें –
    नियमित स्तनपान के बाद बच्चे को बोतल से दूध देने से उसको निप्पल की आदत पड़ जाती है। शुरूआत में बच्चे को करीब 15 मिली लीटर मां का दूध बोतल से देना चाहिए। (और पढ़ें - शिशु और बच्चों की देखभाल)
     
  2. कम छेद वाले निप्पल का इस्तेमाल करें –
    विशेष रूप से शिशुओं को बड़े छेद वाले निप्पल से दूध पीने में परेशानी होती है। अगर बोतल से दूध पीते समय आपके शिशु या बच्चे को स्वरयंत्र में ऐंठन होने लगे तो आपको उसकी बोतल में कम छेद वाला निप्पल लगाना चाहिए। इससे बच्चा बोतल से आसानी से दूध पी पाता है। (और पढ़ें - शिशु का टीकाकरण चार्ट)
     
  3. बच्चे के सामने किसी अन्य के द्वारा बोतल से दूध पीना –
    जब आप बच्चे को पहली बार बोतल से दूध देती हैं तो वह समझ नहीं पाता है कि मां उसे स्तनों से दूध पिलाने की जगह बोतल क्यों दे रही है। ऐसे में यदि कोई पहली बार बच्चे के सामने बोतल से दूध पीता है तो बच्चा भी आसानी से बोतल से दूध को पीना सीख जाता है। इसके लिए आप घर के लिए किसी भी सदस्य की मदद ली जा सकती है। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  4. मां को कुछ समय के लिए घर से दूर जाना –
    मां का बच्चे के आसपास रहने से बच्चा बोतल वाला दूध नहीं पीता है। ऐसे में मां को थोड़ी देर के लिए घर से बाहर चले जाना चाहिए। इससे बच्चा भूखा होने पर आसानी से बोतल से दूध पीना शुरू कर देता है। 

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सामान्यतः शिशु को स्तनपान की तरह ही बोतल से 30 से 60 मिली लीटर दूध ही देना शुरू करें। इसके दो से तीन दिनों बाद बच्चे को करीब 60 से 90 मिली लीटर दूध की आवश्यकता होती है। शुरूआती दौर में शिशु को हर तीन से चार घंटों में खाना खिलाने की जरूरत होती है। खाना खाने के बाद बच्चा तीन से चार घंटों तक सोता है, लेकिन धीरे-धीरे बच्चे की नींद का समय बढ़ जाती है। ऐसे में आपको हर 5 घंटों में बच्चे को उठाकर दूध पिलाना या खिलाना चाहिए।

बच्चे की भूख धीरे-धीरे बढ़ती है। यदि आप शिशु छह महीने से कम है तो ऐसे में आपको उसे हर दो से तीन घंटे में बोतल से दूध पिलाना चाहिए। अगर बच्चा बोतल से थोड़ा सा दूध पीने के बाद बोतल को मुंह से हटा लें, तो ऐसे में आप उसे जबदस्ती दूध पिलाने का प्रयास न करें। आपके बच्चे को एक दिन में उसके शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम के अनुसार 150 से 200 मिली लीटर दूध पीने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के तौर पर यदि आपके बच्चे का वजन तीन किलो है तो उसकी भूख को मिटाने के लिए 450 मिली लीटर से 600 मिली लीटर तक दूध दिया जा सकता है।

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बोतल से दूध पिलाने के कुछ फायदों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. महिलाओं को परेशानी कम होती है –
    बच्चे को बोतल वाला दूध पिलाने से मां को स्तनपान कराते समय होने वाला दर्द से छुटकारा मिलाता है। साथ ही बोतल वाला दूध पिलाने से मां को निप्पल में होने वाली दरारों, बच्चे दांत के निशान और स्तनों में सूजन से भी बचाव होता है। (और पढ़ें - डायपर रैश के उपचार)
     
  2. बाहर दूध पिलाने में शर्मिंदगी नहीं होती है –
    कई बार बच्चा घर से बाहर ही मां से दूध पीने की जिद करने लगता है। ऐसे में मां को बाहर स्तनपान कराने में थोड़ी शर्मिंदगी महसूस होती है। परंतु बोतल से दूध पिलाते समय मां को इस तरह की कोई परेशानी नहीं होती है और बच्चे की भूख भी आसानी से शांत हो जाती है।
     
  3. बच्चे के सही खुराक का पता चलता है –
    बच्चे को बोतल से दूध पिलाते समय मां को बच्चे की सही खुराक के बारे में पता रहता है। यदि बच्चे ने पेट भर दूध पिया है तो ऐसे में मां को बच्चे के भूखे रहने की चिंता नहीं होती है और वह कुछ घंटों के लिए निश्चिंत हो जाती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु का वजन कितना होता है)
     
  4. घर का कोई भी सदस्य बच्चे को दूध पिला सकता है –
    बोतल से दूध पिलाने का एक बड़ा फायदा यह है कि घर का कोई भी सदस्य बच्चे को दूध पिला सकता है, जबकि स्तनपान कराते समय मां ही इसका अनुभव कर पाती हैं। लेकिन बोतल से बच्चे को दूध पिलाने से इसका अनुभव बच्चे के पिता, उसके अन्य भाई-बहन व घर के ही अन्य सदस्य भी कर पाते हैं।
     
  5. मां को दूध कम बनने की चिंता नहीं होती –
    कुछ महिलाओं के शरीर में पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं बन पाता है। इस स्थिति में महिलाओं को अपने बच्चे की भूख को शांत करने की चिंता होती है। लेकिन बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से महिलाओं को किसी भी तरह की समस्या होने पर भी तनाव नहीं होता है। (और पढ़ें - माँ का दूध कम होने के होते हैं ये कारण)
     
  6. मां के बीमार होने पर भी बच्चा भूखा नहीं रहता है –
    कई बार स्तनपान के दौरान कुछ महिलाएं बीमार हो जाती हैं ऐसे में बच्चे को मां का दूध नहीं दिया जाता है। लेकिन बोतल से दूध पीने से मां की बीमारी में भी बच्चा भूखा नहीं रहता है। 

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बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से होने वाले नुकसान को निम्न तरह से बताया जा रहा है।

  1. पूर्ण पौष्टिकता न मिल पाना –
    बच्चे के विकास के लिए मां का दूध ही उचित मात्रा में पौष्टिकता प्रदान करता है। मां का दूध बच्चों के लिए आने वाले डिब्बे के दूध से आसानी से पच जाता है। बोतल से डिब्बे वाले दूध को पीने से बच्चों के मोटे होने की संभावनाएं अधिक होती है। (और पढ़ें - बच्चे की मालिश कैसे करें)
     
  2. रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना –
    अध्ययन से इस बात का पता चला है कि मां का दूध बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। जबकि डिब्बे वाले दूध में ऐसे तत्व मौजूद नहीं होते हैं जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो सके। इसके आलावा डिब्बे वाला दूध पीने बच्चे को कई तरह की बीमारियां जैसे – सीने में संक्रमण, कान का संक्रमण, यूरीन इंफेक्शन और दस्त होने की भी संभवनाएं होती है। (और पढ़ें - दस्त रोकने के घरेलू उपाय)
     
  3. मां और बच्चे के संबंधों पर असर होता है -
    स्तनपान से मां और बच्चे के बीच में स्नेह का एक गहरा संबंध स्थापित होता है। मां और बच्चे के बीच के रिश्ते को गहरा करने के साथ ही स्तनपान करने से बच्चे को भी काफी आराम मिलता है। जबकि बोतल का दूध पीने से बच्चा और मां दोनों ही इस तरह का अनुभव नहीं कर पाते हैं।
     
  4. तैयार करने में समय लगता है –
    बच्चे की आवश्यकता होने पर आप कभी भी उसको स्तनपान करा सकती हैं, जबकि बोतल से दूध पिलाते समय मां को उसे पहले से ही तैयार करना होता है। इसके साथ ही बोतल को भी नियमित रूप से साफ करने की आवश्यकता होता है। इसके अलावा बोतल से बच्चे को दूध पिलाते समय आपको बोतल में दूध सही तापमान में ही रखना होता है। बच्चे के लिए उचित तापमान में ही बोतल वाला दूध उसको देना चाहिए।
     
  5. यात्रा के दौरान मुश्किल होती है –
    कहीं यात्रा पर जाते समय मां को बच्चे के दूध की बोतल को साफ करने में मुश्किल होती है। इसके साथ ही यात्रा के दौरान बोतल से जुड़ी सभी चीजों को सही तरह से रखने में भी परेशानी होती है। 

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कई बार बच्चे बोतल से दूध पीने में आनाकानी करते हैं। ऐसे में मां को धैर्य से काम लेते हुए निम्न तरह के तरीकों को अपनाना चाहिए।

  • अगर बच्चा बोतल से दूध न पिए तो आप उसको दूध पिलाने के लिए जबदस्ती न करें। बच्चे का पेट भरा होने पर वह दूध पीना बंद कर देता है। ऐसे में आपको उसके भूखे होने के अन्य संकेतों के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए। (और पढ़ें - शिशु की गैस का इलाज)
     
  • जरूरी नहीं है कि हर बच्चे की खुराक एक ही मात्रा में हो, कुछ बच्चों को ज्यादा भूख लगती है, जबकि कुछ बच्चे अन्य के मुकाबले कम दूध पीते हैं। ऐसे में बच्चे के द्वारा दूध पीने की इच्छा होने पर ही आप उनको दूध दें।
     
  • जितना संभव हो सकें बच्चे को शांत कमरे में ही दूध पिलाएं। कई बार टीवी, संगीत, घर के किसी सदस्य, अन्य बच्चों व पशुओं से भी बच्चे का ध्यान दूध पीने से हट जाता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
     
  • बच्चे के सोने और खाने के लिए योजना तैयार करें। बच्चों के सोने का समय अधिक न हो और वह सही समय पर दूध पी सकें, इसके लिए आप डॉक्टर से भी राय ले सकती हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान दें कि बच्चा पूरी नींद ले रहा हो और उसके थकने से पहले ही उसे दूध पिलाने का प्रयास करें।

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बच्चे को बोतल से दूध पिलाते ध्यान निम्न तरह की बातों का ध्यान देना चाहिए-

  • बोतल को गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करें। (और पढ़ें - बच्चे की मालिश का तेल
      
  • बच्चे की बोतल का निप्पल का छेद ज्यादा बड़ा न हो।
     
  • बच्चे को बोतल से दूध पिलाते समय उसका सिर थोड़ा ऊपर रखें। (और पढ़ें - बच्चे को चलना कैसे सिखाएं)
     
  • जब बच्चा बोतल से दूध पिएं तो बोतल के निचले हिस्से को थोड़ा ऊपर करें, ताकि बोतल के निप्पल में दूध भरा रहें। (और पढ़ें - शिशु की कब्ज का इलाज)
     
  • डिब्बे वाले दूध को तैयार करते समय उसके पैकट में लिखें निर्देशों का पालन करें।
     
  • बच्चे को दूध देने से पहले उसकी गर्माहट कलाई पर चेक करें। (और पढ़ें - बच्चे कब कैसे बोलना सीखते हैं)
     
  • बच्चे को थोड़ा दूध पिलाने के बाद उसको सीधा खड़ा करके डकार दिलाएं। 

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