जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है उन्हें अक्सर यही कहा जाता है कि उन्हें मीठी चीजों से पूरी तरह से परहेज करना चाहिए वरना उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। लेकिन क्या डायबिटीज के मरीजों के लिए शहद चीनी का स्वस्थ विकल्प हो सकता है? क्या डायबिटीज के मरीज शहद का सेवन कर सकते हैं? अगर आपके मन में भी यह सवाल है तो इसका जवाब है हां, लेकिन सिर्फ कुछ सीमित और निश्चित स्थितियों में ही।

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कई स्टडीज में भी यह बात सामने आई है कि अगर सीमित मात्रा में शहद का सेवन किया जाए, तो यह डायबिटीज, खासकर टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है। आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज मरीज के लिए शहद फायदेमंद है या नहीं -

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  1. ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करता है शहद? - Honey Blood Sugar ko kaise prabhavit karta hai?
  2. क्या शहद डायबिटीज को होने से रोक सकता है? - Kya Honey Diabetes ko prevent kar sakta hai?
  3. डायबिटीज में शहद के फायदे - Diabetes me Honey ke fayde
  4. डायबिटीज में शहद का सेवन - Diabetes me Shahad khana

चूंकि शहद नैचरल शुगर और कार्बोहाइड्रेट है इसलिए यह स्वाभाविक सी बात है कि यह प्राकृतिक रूप से आपके रक्त शर्करा को प्रभावित करेगा ही। हालांकि जब टेबल शुगर यानी सफेद चीनी से इसकी तुलना की जाती है तो ऐसा प्रतीत होता है कि शहद का ब्लड शुगर पर बेहद छोटा या कम प्रभाव होता है। साल 2004 में एक स्टडी हुई थी जिसमें ब्लड शुगर लेवल पर शहद और टेबल शुगर का क्या प्रभाव पड़ता है इसकी जांच की गई थी। इस स्टडी में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के साथ ही ऐसे लोगों को भी शामिल किया गया था जिन्हें डायबिटीज नहीं था।

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अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि डायबिटीज के मरीजों वाले ग्रुप में शहद का सेवन करने के 30 मिनट के अंदर शुरुआत में ब्लड शुगर में बढ़ोतरी हुई। हालांकि बाद में प्रतिभागियों के ब्लड शुगर लेवल में कमी आयी और 2 घंटे बाद भी उनका ब्लड शुगर लो लेवल पर ही रहा। इससे अनुसंधानकर्ताओं को यकीन हो गया कि शहद, टेबल शुगर यानी चीनी के विपरीत, इंसुलिन में वृद्धि का कारण हो सकता है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। हालांकि इस बारे में और अधिक शोध की आवश्यकता है।  

इसके अलावा साल 2017 में प्रकाशित एक रिव्यू में भी डायबिटीज के मरीजों में शहद और ब्लड ग्लूकोज के बीच क्या कनेक्शन है इसकी खोज की गई थी। इस दौरान स्टडी के ऑथर्स ने पाया कि शहद का शरीर पर निम्नलिखित असर देखने को मिला :

  • कम से कम 8 घंटे तक उपवास करने के बाद डॉक्टर जिस फास्टिंग सीरम ग्लूकोज को नापते हैं उसे कम करने में शहद ने मदद की।  
  • शहद ने फास्टिंग सी-पेप्टाइड के लेवल को भी बढ़ाया जो अग्नाशय को यह पता लगाने में मदद करता है कि कितने इंसुलिन का स्त्राव करना है और साथ ही में ब्लड शुगर के लेवल को स्वस्थ सीमा में स्थिर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शहद ने 2-घंटे के पोस्टप्रैंडियल सी-पेप्टाइड लेवल में भी वृद्धि की, जो किसी व्यक्ति के भोजन करने के बाद पेप्टाइड की मात्रा को इंगित करता है। (और पढ़ें - अचानक कम हो जाए ब्लड शुगर लेवल तो क्या करें)

साल 2018 में, अध्ययनों की समीक्षा के जरिए यह निष्कर्ष निकाला गया कि शहद टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए उपयोगी हो सकता है, क्योंकि इसका हाइपोग्लाइसिमिक प्रभाव हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी भी दी कि डायबिटीज के मरीजों में शहद का सेवन करने के इन प्रभावों की पुष्टि करने के लिए और अधिक अध्ययन और दीर्घकालिक जांच की आवश्यकता होगी। 

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भले ही शहद इंसुलिन के लेवल को बढ़ाने में मदद करता हो और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को उनके ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता हो, लेकिन इस तरह का कोई निर्णायक शोध अब तक मौजूद नहीं है जो इस बात का समर्थन कर सके कि शहद, डायबिटीज को होने से रोकने वाला एक कारक हो सकता है। हालांकि ऐसा होना मुमकिन जरूर है। शोधकर्ताओं ने शहद और कम ग्लाइसिमिक इंडेक्स के बीच एक संभावित संबंध भी पाया है। 

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एक स्टडी में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 50 लोगों को और बिना टाइप 1 डायबिटीज वाले 30 लोगों को शामिल किया गया जिसमें अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सभी प्रतिभागियों में चीनी की तुलना में शहद का ग्लाइसिमिक इंडेक्स कम था। साथ ही शहद ने उनके सी-पेप्टाइड लेवल को भी बढ़ाया। जब शरीर इंसुलिन का उत्पादन करता है तो सी-पेप्टाइड खून में रिलीज होने वाला एक तत्व है। सी-पेप्टाइड के सामान्य लेवल का अर्थ है कि शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण कर रहा है। हालांकि, क्या शहद का इस्तेमाल डायबिटीज को रोकने या उसके इलाज में किया जा सकता है या नहीं इसे साबित करने के लिए और अधिक अध्ययन करने की जरूरत है।

  • इसका सबसे पहला फायदा ये है कि शहद का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ सकता है जिससे ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
  • डायबिटीज के मरीज अगर चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करें तो यह उनके लिए इसलिए भी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि शहद में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं और एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर द्वारा चीनी को मेटाबोलाइज कैसे करना है इसे बेहतर करने में मदद करता है। इसके अलावा शहद में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज भी पायी जाती है जो डायबिटीज की वजह से होने वाली जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकती है। दरअसल, इन्फ्लेमेशन की वजह से इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें शरीर इंसुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देता।
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रिफाइंड चीनी जैसे- सफेद चीनी, केन शुगर या पाउडर वाली चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प हो सकता है। बावजूद इसके लोगों को शहद का इस्तेमाल भी सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, फिर चाहे आपको डायबिटीज हो या न हो क्योंकि शहद का सेवन करने से भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। खासकर तब जब व्यक्ति चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करने की बजाए, बाकी चीजों के साथ ही अतिरिक्त तौर पर शहद का इस्तेमाल करे।

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इसके अलावा बाजार में बिकने वाले कई कंपनियों के शहद ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से शुद्ध नहीं होते और इसमें चीनी या अन्य शुगर सीरप की मिलावट होती है। लिहाजा इस तरह के शहद का सेवन करना भी डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है। लिहाजा आपको इस बात की पहचान करनी आनी चाहिए कि आपका शहद शुद्ध है या नहीं।

कैसे करें शुद्ध शहद की पहचान?
वैसे तो हम सभी ये जानते हैं कि रॉ, नैचरल और ऑर्गैनिक शहद ही सबसे बेस्ट होता है। लेकिन कई बार असली और नकली की पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों के लिए खासकर यह जरूरी हो जाता है कि वे ऐसे शहद का सेवन न करें जिसमें चीनी की मिलावट न हो। लिहाजा शुद्ध शहद की पहचान कैसे करना इस बारे में हम आपको बता रहे हैं:

  • अंगूठे का टेस्ट : थोड़े से शहद को उंगली के अंगूठे पर लगाएं। शुद्ध हनी गाढ़ा होता है और उस सतह पर चिपक जाता है जहां उसे अप्लाई किया जाता है और टपकता नहीं है। लेकिन अगर आपके शहद में मिलावट है तो अंगूठे पर लगाते ही वह बाकी लिक्विड की तरह इधर उधर फैलने और टपकने लगेगा। 
  • पानी का टेस्ट : 1 गिलास पानी में 1 चम्मच शहद डालें। जो शहद पूरी तरह से शुद्ध नहीं है और जिसमें चीनी की मिलावट है वह पानी में पूरी तरह से घुल जाएगा जबकि शुद्ध शहद जिसका टेक्सचर यानी बनावट बेहद घना होता है वह पानी के गिलास में नीचे तली में गांठ के रूप में बैठ जाएगा।

कुल मिलाकर देखें तो शहद कई तरह से फायदेमंद है और चीनी के बाकी रूपों की तुलना में इंसुलिन के उच्च लेवल को बढ़ाता है और ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है। लेकिन क्या यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक सुरक्षित और बेहतर विकल्प है इस बात की पुष्टि करने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। लिहाजा सीमित मात्रा में ही शहद का सेवन करें औऱ वह भी डॉक्टर से पूछने और सलाह मशविरा करने के बाद ही।

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