स्वस्थ रहने के लिए आंतों का हेल्दी रहना जरूरी होता है. आंतें पाचन तंत्र का जरूरी हिस्सा होती हैं. खराब डाइट और लाइफस्टाइल की वजह से आंतों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इनमें से एक इरिटेबल बाउल सिंड्रोम भी एक है. आईबीएस बड़ी आंत को प्रभावित कर सकता है. इसे स्पास्टिक कोलाइटिस और इरिटेबल कोलन के रूप में भी जाना जाता है. यह समस्या महिलाओं और युवाओं को अधिक प्रभावित कर सकती है. ऐसे में इसका समय पर इलाज कराना जरूरी है.

आज इस लेख में आप इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने वाली दवाइयों के बारे में जानेंगे -

(और पढ़ें - इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए घरेलू उपाय)

  1. आईबीएस में फायदेमंद दवाएं
  2. सारांश
आईबीएस की एलोपैथिक दवाएं के डॉक्टर

वर्तमान में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कोई संपूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में डॉक्टर कब्जदस्तपेट दर्द, ऐंठन और अवसाद जैसे लक्षणों को कम करने वाली दवाइयां देते हैं. इसके अलावा, सूजन के लिए भी दवा लिख सकते हैं. आइए, इन दवाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं -

कब्ज के लिए दवाइयां

आईबीएस से ग्रस्त रोगियों को गंभीर कब्ज बन सकती है. इस स्थिति में उन्हें मल त्याग में कठिनाई आती है. पेट में दर्द, भारीपन और ऐंठन से भी परेशान होना पड़ सकता है. ऐसे में कुछ दवाइयां कब्ज से छुटकारा दिला सकती हैं -

  • लिनाक्लोटाइड - लिनाक्लोटाइड एक कैप्सूल है. यह कब्ज वाले आईबीएस रोगियों के लिए असरदार साबित हो सकती है. इस दवा को खाली पेट या खाने से 30 से 60 मिनट पहले लिया जा सकता है. यह दवा मल को बाहर निकालने में मदद कर सकती है. इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है, लेकिन यह दवा दस्त का कारण बन सकती है. 17 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को इस दवा का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • ल्यूबीप्रोस्टोन - ल्यूबीप्रोस्टोन दवा उन लोगों के लिए असरदार साबित हो सकती है, जिन्हें आईबीएस में कब्ज के लक्षणों का सामना करना पड़ता है. यह दवा छोटी आंत में लिक्विड स्राव को बढ़ा सकती है, इससे मल आसानी से निकल जाता है, लेकिन इस दवा को गंभीर रोगियों का इलाज करने के लिए उपयोग में लाया जाता है. इस दवा से मतली, दस्त, पेट दर्द, बेहोशी और पैरों में सूजन जैसे साइड इफेक्ट्स भी नजर आ सकते हैं.
  • फाइबर सप्लीमेंट - आईबीएस वाले कई रोगियों को कब्ज का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति में डॉक्टर फाइबर सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं. फाइबर भोजन को पचाने में आंतों की मदद कर सकता है. इससे कब्ज से छुटकारा मिल सकता है.
  • लैक्सेटिव - जब फाइबर सप्लीमेंट से कब्ज की समस्या दूर नहीं होती है, तो डॉक्टर लैक्सेटिव का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं. इससे कब्ज को दूर करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है.
  • प्लीकेनाटाइड - प्लीकेनाटाइड दवा पेट की ऐंठन और दर्द को कम करके कब्ज से छुटकारा दिला सकती है. इस दवा को भोजन के साथ या बाद में लिया जा सकता है. यह दवा आंतों में लिक्विड बढ़ाने में मदद करती है. इससे मल त्याग आसानी से होने लगता है.

(और पढ़ें - इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का आयुर्वेदिक इलाज)

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डायरिया के लिए दवाइयां

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के कुछ रोगियों को दस्त भी लग सकते हैं. ऐसे में निम्न प्रकार की दवाइयां असरदार हो सकती हैं -

  • एलोसेट्रॉन - इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण नजर आने पर आप एलोसेट्रॉन दवा ले सकते हैं. एलोसेट्रॉन दवा कोलन को आराम देने में मदद करती है. साथ ही दस्त को भी कम करने में मदद करती है. एलोसेट्रॉन दवा उन महिलाओं के लिए अधिक लाभकारी मानी जाती है, जिन्हें दस्त की शिकायत रहती है. इस दवा को डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए, क्योंकि यह कुछ साइड इफेक्ट भी पैदा कर सकती है.
  • एलुक्साडोलिन - एलुक्साडोलिन दवा भी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या से राहत दिला सकती है. यह दवा आईबीएस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है. यह दवा मांसपेशियों को संकुचित करके दस्त को कम कर सकती है. इस दवा को हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही लें. इस दवा को लेने से आपको मतली, पेट में दर्द और कब्ज जैसे साइड इफेक्ट नजर आ सकते हैं.
  • लोपेरामाइड - डायरिया या दस्त लगाना इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का आम लक्षण होता है. ऐसे में लोपेरामाइड दवा कारगर साबित हो सकती है. यह दवा दस्त को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है.

(और पढ़ें - आईबीएस में क्या खाएं)

दर्द व तनाव के लिए दवाइयां

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर व्यक्ति को दर्द और अवसाद जैसे लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में कुछ दवाइयां इन लक्षणों को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं -

  • ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स - इरिटेबल बाउल सिंड्रोम रोगियों के लिए ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स दवाइयां प्रभावी हो सकती हैं. ये दवाइयां अवसाद को दूर करने में मदद कर सकती हैं. साथ ही दर्द को भी कम कर सकती हैं और आंतों को नियंत्रित करने वाले न्यूरॉन्स को भी रोक सकती हैं. इस स्थिति में डॉक्टर इमीप्रामाइन, डेसिप्रामाइन या नॉर्ट्रिप्टिलाइन दवा लिख सकते हैं.
  • एंटीस्पास्मोडिक्स - ये दवाएं कोलन की मांसपेशियों की ऐंठन को नियंत्रित कर सकते हैं. वहीं, कुछ मामलों में इस दवा के साइड इफेक्ट भी होते हैं, जैसे कि नींद आना व कब्ज होना आदि.
  • प्रोबायोटिक्स - ये एक प्रकार के जीवित बैक्टीरिया और यीस्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य व पाचन तंत्र के लिए अच्छे होते हैं. डॉक्टर अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं में इन्हें लेने के लिए कह सकते हैं.

(और पढ़ें - इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए व्यायाम)

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों से जुड़ी एक समस्या है. इस स्थिति में पेट दर्द, ऐंठन, डायरिया या कब्ज जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. अगर लंबे समय से ये लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. आईबीएस में पेशाब से संबंधित लक्षण भी नजर आ सकते हैं, लेकिन डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयों को लेने से इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है. साथ ही ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें.

(और पढ़ें - इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की होम्योपैथिक दवा)

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