इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) आम समस्या है, जो कोलन को प्रभावित करती है. यह कब्ज, दस्त, गैस, सूजन, पेट दर्द व ऐंठन का कारण बन सकती है. आईबीएस की समस्या लंबे समय तक रह सकती है और पूरे लाइफस्टाइल को अस्त-व्यस्त कर सकती है. हालांकि, इसका संपूर्ण इलाज संभव नहीं है, लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए फाइबर युक्त खाना, प्रोबायोटिक्स, अंगूर व केले जैसे फलों से कंट्रोल किया जा सकता है.

आज इस लेख में आप आईबीएस को कंट्रोल करने के लिए प्रयोग आने वाले घरेलू नुस्खों के बारे में जानेंगे -

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  1. आईबीएस के लिए घरेलू उपचार
  2. इन बातों का भी रखें ध्यान
  3. सारांश
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए घरेलू उपाय के डॉक्टर

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने के पीछे कोई कोई स्पष्ट कारण नहीं है, इसलिए इसके इलाज के लिए भी कोई स्पष्ट तरीका नहीं है. वहीं, एक्सपर्ट के अनुसार लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके और कुछ आसान घरेलू तरीकों से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम को कंट्रोल किया जा सकता है और उससे होने वाली परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता.

पुदीने की चायतनाव से बचना, मेडिटेशन आदि तरीकों से इस समस्या को कम किया जा सकता है. आइए, आईबीएस के इलाज के लिए प्रयोग किए जाने वाले घरेलू उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं

आईबीएस से परेशान लोगों को एक्सरसाइज को अपने लाइफ का पार्ट बना लेना चाहिए. शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने से डाइजेशन बेहतर होता है, जिससे कब्ज व गैस नहीं होती है. इससे पेट में परेशानी नहीं होती है और आईबीएस की वजह से पेट में दर्द व सूजन की समस्या से राहत मिल सकती है.

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प्रोबायोटिक्स का सेवन

आईबीएस की परेशानी होने पर प्रोबायोटिक्स खाने से फायदा होता है, क्योंकि प्रोबायोटिक्स में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया डाइजेशन बेहतर करते हैं. दही व एप्पल साइडर विनेगर प्रोबायोटिक्स के अच्छे सोर्स होते हैं. वहीं, कुछ लोगों में ये चीजें एसिडिटी की समस्या पैदा कर देती हैं, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर ही इनका सेवन करना चाहिए.

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पुदीने की चाय

आईबीएस होने पर पुदीने की चाय पीने से पेट को ठंडक मिलती है, जिससे गैस व कब्ज से छुटकारा मिलता है और इससे पेट में होने वाले दर्द व क्रैम्प की समस्या कम होती है.

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तनाव से बचें

कई लोगों में तनाव या चिंता होने पर एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है, जिससे आईबीएस का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, तनाव को कंट्रोल करना जरूरी है, जिसके लिए योग व मेडिटेशन अच्छा उपाय है.

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फ्रुक्टोज का कम मात्रा में सेवन

फ्रुक्टोज आईबीएस अटैक को ट्रिगर करता है, इसलिए आईबीएस से परेशान व्यक्ति को फ्रुक्टोज की कम मात्रा खानी चाहिए. ब्लू बैरीजकेलेखरबूजाअंगूरकीवीसंतरेस्ट्रॉबेरीनींबूतोरई आदि में फ्रुक्टोज की मात्रा कम होती है, इसलिए इन्हें आईबीएस डाइट का पार्ट बना लेना चाहिए.

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डाइट के साथ-साथ कुछ और काम की बातों पर ध्यान देने से भी आईबीएस की समस्या को कम किया जा सकता है -

  • आईबीएस से राहत पाने में पानी मदद करता है, क्योंकि यह पेट को शांत करता है, इसलिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए.
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, शराबकैफीनचाय आदि से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये पेट पर उल्टा असर डालते हैं.
  • खाने में फाइबर युक्त चीजों को शामिल करना चाहिए. फाइबर खाने से डाइजेशन बेहतर होता है, जिससे कब्ज व गैस नहीं होती है. इससे पेट में परेशानी नहीं होती है और आईबीएस की वजह से होने वाले पेट में दर्द व सूजन से राहत मिल सकती है.
  • प्रोटीन कम मात्रा में खाना चाहिए.
  • चिप्स व कुकीज जैसे प्रोसेस्ड फूड से दूर रहना चाहिए.
  • डेयरी प्रोडक्ट जैसे पनीर का सेवन बंद या कम कर देना चाहिए, क्योंकि यह आईबीएस को ट्रिगर कर सकता है.
  • पेट में गैस पैदा करने वाली चीजें जैसे गोभीब्रोकली व मूली आदि कम खानी चाहिए.
  • ग्लूटेन वाली चीजें जैसे - गेहूंजौ व राई आदि से दूर रहना चाहिए, क्योंकि आईबीएस में जिन लोगों को दस्त लग जाते हैं, उन्हें ग्लूटेन नुकसान पहुंचा सकता है.

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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों का रोग है. इसमें पेट में दर्द व बेचैनी बनी रहती है. आईबीएस लाइफस्टाइल में परेशानी पैदा कर सकता है और हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए इसके लक्षणों को पहचान कर उनका इलाज करना जरूरी है. आईबीएस को लाइफस्टाइल में बदलाव करके, खाने में बदलाव करके और तनाव से दूर रह कर कंट्रोल किया जा सकता है. आईबीएस के लक्षणों को कम करने के लिए फिजिकल एक्टिविटी करना फायदेमंद साबित होता है. वहीं, अगर किसी को दस्त लग जाएं, एसिडिटी बढ़ जाए व पेट में तेज दर्द होने लगे, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द सलाह लेकर सही इलाज करवाना जरूरी है.

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