पिका रोग खान-पान से संबंधित विकार है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को नॉन फूड आइटम खाने की तीव्र इच्छा होती है। चूंकि यह मनोविकार से संबंधित स्थिति है ऐसे में व्यक्ति हानिकारक और अनावश्यक चीजों को भी खा सकता है जैसे- बर्फ, सूखे पेंट या धातु के टुकड़े आदि। ऐसा करने से व्यक्ति के शरीर में जहर फैलने या ​किसी प्रकार के नुकसान होने का डर बना रहता है। यह विकार ज्यादातर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में देखा जाता है और आमतौर पर अस्थायी होता है। बच्चों में मिट्टी खाने की आदत भी इसी विकार के अंतर्गत आती है।

इस प्रकार की अनावश्यक वस्तुओं को खाने की तीव्र इच्छा और आदत कई बार गंभीर स्थितियां का कारण बन सकती है। जैसे -

वैसे तो यह विकार स्वयं ही ठीक हो जाता है। हालांकि, जिन लोगों को बौद्धिक अक्षमता से संबंधित समस्याएं हैं उनमें यह विकार लंबे समय तक रह सकता है। विकार के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इलाज के माध्यम से संभावित गंभीर दुष्प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है।

इस लेख में हम पिका रोग के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

पिका रोग के लक्षण - Pica Disease symptoms in Hindi

पिका से पीड़ित लोग नियमित रूप से नॉनफूड आइटम खाते हैं। रोग से ग्रसित लोगोंं को निम्न प्रकार के नॉनफूड आइटम खाने की तीव्र इच्छा हो सकती है।

  • बर्फ (बर्फ खाने की आदत या लालसा को आइस पिका कहा जाता है)
  • साबुन
  • बटन
  • चिकनी मिट्टी
  • रेत
  • सिगरेट के अवशेष या राख
  • रंग
  • गोंद
  • चॉक

इन खाद्य पदार्थों को खाने से कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

  • आयरन की कमी, एनीमिया
  • शीशा युक्त अवशेष या पेंट खाने से लेड पॉइजनिंग
  • ऐसी चीजों को खाना जो पच न सके उससे कब्ज या दस्त की समस्या
  • मिट्टी या मल खाने से आंतों में संक्रमण हो सकता है, क्योंकि इसमें परजीवी या कीड़े हो सकते हैं।
  • कुछ चीजें आंतों में फंस जाती हैं, जिससे आंतों में रुकावट की समस्या हो सकती है
  • मुंह या दांत में चोट
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पिका रोग का कारण - Pica disease causes in Hindi

पिका रोग किन कारणों से होता है, यह बहुत स्पष्ट नहीं है। कुछ मामलों में आयरन, जिंक या किसी अन्य पोषक तत्वों की कमी को पिका से जोड़कर देखा जाता है। उदाहरण के लिए गर्भवती महिलाओं में एनीमिया, पिका का अंतर्निहित कारण हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिका रोग में अनावश्यक चीजों को खाने के लिए होने वाली तीव्र इच्छा, शरीर में पोषक तत्वों के स्तर की भरपाई की कोशिश हो सकती है।

इसके अलावा सिज़ोफ्रेनिया और ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) जैसी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियां पिका रोग का कारण हो सकती हैं। कुछ लोगों में गैर-खाद्य पदार्थों को खाने की आदत और तीव्र इच्छा कई बार ऐसी आदतों में बदल जाती है, जिससे लोगों को उन वस्तुओं का स्वाद पसंद आने लगता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ लोगों में डाइटिंग और कुपोषण के कारण भी पिका रोग विकसित हो सकता है। इन मामलों में, नॉनफूड आइटम खाने से आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है।

पिका रोग का निदान - Diagnosis of Pica disease in Hindi

पिका रोग के निदान के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण उपलब्ध नहीं है। रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और कई अन्य कारकों के आधार पर इसका निदान किया जाता है। स्थिति के निदान के लिए आवश्यक है कि आप उन सभी नॉनफूड आइटमों के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं जिसको खाने की आपको तीव्र इच्छा महसूस होती है। इससे उन्हें बीमारी की सटीकता से निदान करने में आसानी होती है।

पिका का निदान करने से पहले डॉक्टर अन्य विकारों की उपस्थिति जैसे बौद्धिक अक्षमता, विकासात्मक समस्या या ओसीडी का भी मूल्यांकन करते हैं। इसके लिए रोगी में इन लक्षणों की मौजूदगी कम से कम एक महीने से अधिक समय के लिए होना आवश्यक होता है।

उपरोक्त मूल्यांकनों के आधार पर यदि डॉक्टर को पिका विकार का संदेह होता है, तो वह एनीमिया, आंतों की रुकावट और नॉनफूड आइटम से होने वाले संभावित विषाक्तता का परीक्षण कर सकते हैं। एनीमिया और रक्त में विषाक्त पदार्थों की मौजूदगी के लिए खून की जांच कराने की सलाह दी जा सकती है। वहीं आंतों की रुकावट को जानने के लिए एक्स रे कराया जा सकता है।

पिका रोग का इलाज - Treatment of Pica disease in Hindi

पिका रोग के इलाज के दौरान सबसे पहले नॉन फूड आइटम खाने से होने वाली जटिलताओं का इलाज किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि पेंट खाने से रोगी को गंभीर रूप से लेड पॉइजनिंग की समस्या है, तो डॉक्टर सबसे पहले उसको ठीक करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए रोगी को कुछ ऐसी दवाइयां दी जा सकती हैं जो मूत्र मार्ग से लेड को बाहर करने में मदद कर सकें।

यदि डॉक्टर को लगता है कि पोषक तत्वों के असंतुलन के कारण रोगी को पिका विकार की समस्या हो रही है तो उसे विटामिन या खनिज पूरक दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि रोगी में एनीमिया का निदान होता है तो उसे नियमित रूप से आयरन सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जा सकती है। रोगी में ओसीडी या कोई अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के मूल्यांकन और उसके इलाज के लिए डॉक्टर उसे मनोवैज्ञानिक के पास भी भेज सकते हैं।

अब तक हुए शोध के आधार पर पिका विकार के इलाज के लिए कोई विशेष दवाई उपलब्ध नहीं है। साल 2000 में 'एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस' के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में सुझाव दिया गया था कि साधारण मल्टीविटामिन सप्लीमेंट कुछ मामलों में एक प्रभावी उपचार हो सकते हैं।

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