सिटैकोसिस क्या है?

पेरोट फीवर (Parrot fever) एक दुर्लभ संक्रमण है जो क्लैमिडिया सिट्टाकी (Chlamydia psittaci) के कारण होता है, यह एक खास प्रकार का बैक्टीरिया है। इस संक्रमण को पेरोट डिसीस और सिटैकोसिस भी कहा जाता है। यह बीमारी पक्षियों से आती है। तोते के अलावा अन्य जंगली जानवरों से भी यह संक्रमण बढ़ सकता है और व्यक्ति तक पहुंच सकता है।

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सिटैकोसिस के लक्षण क्या हैं?

लोगों में यह बीमारी आमतौर पर फ्लू या निमोनिया जैसी दिखती है। इस संक्रमण में लक्षण ज्यादातर दस दिनों के बाद दिखते हैं, लेकिन कभी-कभी इसमें लक्षण चार दिनों में या 19 दिनों के भीतर भी दिखने लगते हैं। सिटैकोसिस के कई लक्षण हैं जो कि फ्लू के समान हैं जैसे बुखार होना और ठंड लगना, मतली और उल्टी, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द, दस्त, कमजोरी, चक्कर और सूखी खांसी।  

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सिटैकोसिस क्यों होता है?

अगर आपके घर में पालतू पक्षी है, तो आप सिटैकोसिस से छुटकारा पा सकते हैं। बस रोजाना पक्षी का पिंजरा साफ करें और उनकी सही तरह से देखभाल करें। इस तरह आप बीमार होने से बच सकेंगे। पालतू पक्षियों का खान-पान सही रखें और अगर आपके घर में कई पक्षी हैं तो सबका पिंजरा अलग-अलग रखें, पक्षियों हवादार जगह पर रखें, पक्षियों का मुंह और नाक अपने चेहरे से न छुएं। मरीज के लक्षणों व उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली स्थिति के दौरान सिटैकोसिस का पता लगाया जाता है।

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सिटैकोसिस का इलाज क्या है?

परीक्षण के दौरान मरीज से पूछा जाता है कि हाल ही वह किसी पक्षी के संपर्क में तो नहीं आया है? डॉक्टर इस बीमारी में आपका ब्लड टेस्ट और छाती का एक्स-रे भी करेगा। जब सिटैकोसिस से पीड़ित लोगों का इलाज होता है तो वो पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, जो लोग बूढ़े, जवान या जिन्हें अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं उनमें इलाज की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, लेकिन सही इलाज से सिटैकोसिस ठीक हो सकता है। 

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