रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी - Retinopathy of Prematurity in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

October 22, 2020

January 21, 2021

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी
रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी

'रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी' (आरओपी) आंखों से जुड़ा एक विकार है, जिसमें देखने की क्षमता में कमी आ सकती है। हालांकि, इस समस्या से ग्रस्त ज्यादातर बच्चों में लक्षण समय के साथ बेहतर हो जाते हैं। यहां तक कि कई बच्चों को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।

मुख्य रूप से यह समस्या 2¾ पाउंड (1250 ग्राम) या इससे कम वजन वाले प्री मैच्योर शिशुओं को प्रभावित करती है, जो 31 सप्ताह के गर्भ से पहले पैदा होते हैं। बता दें पूर्ण गर्भावस्था की अवधि 38-42 सप्ताह की होती है।

आरओपी से ग्रस्त शिशुओं में दोनों आंखों की रेटिना पर असामान्य रूप से रक्त वाहिकाएं विकसित हो जाती हैं। रेटिना ऊतक की परत होती है जो आंख के पिछले हिस्से में मौजूद होती है और इसी की मदद से देखना संभव हो पाता है। समय के साथ, इन रक्त वाहिकाओं और संबंधित स्कार टिश्यू के कारण निम्नलिखित दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं जैसे :

रेटिना को नुकसान, जिसकी वजह से स्थाई व गंभीर रूप से देखने की क्षमता में कमी आती है

(और पढ़ें - आंखों की रोशनी बढ़ाने के घरेलू उपाय और क्या खाना चाहिए)

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी के संकेत और लक्षण क्या हैं? - Retinopathy of Prematurity Symptoms in Hindi

आंखों का डॉक्टर बच्चे में आरओपी के लक्षणों को पहचान सकते हैं। ऐसे शिशु जिनमें रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी का खतरा है, उनकी जन्म के तुरंत बाद और फिर अस्पताल से घर जाते समय स्क्रीनिंग की जाती है। कभी-कभी, रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी की प​हचान तब तक नहीं की जा सकती है जब तक कि बच्चा 4 से 6 सप्ताह का न हो जाए।

इसके मुख्य लक्षण में समय से पहले शिशुओं में आंख (रेटिना) के पीछे रक्त वाहिकाओं में असामान्य और अनियंत्रित विकास होना शामिल है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी के चरण - Stages of Retinopathy of Prematurity in Hindi

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी के चरण निम्नलिखित हैं

  • असामान्य रक्त वाहिकाओं में हल्की वृद्धि
  • असामान्य रक्त वाहिकाओं में मध्यम वृद्धि
  • असामान्य रक्त वाहिकाओं में गंभीर वृद्धि
  • आंशिक रूप से रेटिना अलग हो जाना
  • पूरी तरह से रेटिना अलग हो जाना, यह बीमारी के अंतिम चरण है।

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी का इलाज कैसे किया जा सकता है? - Retinopathy of Prematurity Treatment in Hindi

आरओपी का उपचार इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ उपचारों का दुष्प्रभाव भी हो सकता है, लेकिन नए शोध में पारंपरिक चिकित्सा और दवाओं के संयोजन से आरओपी के एडवांस मामलों में सुधार देखा गया है :

लेजर थेरेपी : आरओपी के लिए मानक उपचार के तौर पर लेजर थेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है। यह थेरेपी रेटिना के आसपास आसामान्य रक्त वाहिकाओं को जला देती है। लेजर सर्जरी के लिए जनरल एनेस्थीसिया की भी आवश्यकता होती है, जो कि प्री मैच्योर बच्चे के लिए जोखिमभरा हो सकता है।

क्रायोथेरेपी : रक्त वाहिकाओं को रेटिना पर फैलने से रोकने के लिए क्रायोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। इसे कोल्ड थेरेपी भी कहा जाता है, यह आरओपी उपचार का एक पुराना रूप है। इससे 'साइड विजन' को नुकसान हो सकता है।

दवाएं : आरओपी के इलाज के लिए एंटी-वीईजीएफ दवाओं पर शोध जारी है। एंटी-वीईजीएफ दवाएं रेटिना में रक्त वाहिकाओं के अतिवृद्धि को रोकने का काम करती हैं। इस दवा को आंख में तब इंजेक्ट किया जाता है, जब उसे जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। हालांकि, आरओपी के इलाज के लिए किसी भी दवा को खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) की मंजूरी नहीं मिली है।

(और पढ़ें - धुंधला दिखना)

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी का कारण क्या है? - Retinopathy of Prematurity Causes in Hindi

गर्भावस्था के 16वें सप्ताह के आसपास बच्चे की आंखें विकसित होने लगती हैं। यदि बच्चा समय से पहले (प्री मैच्योर) पैदा हुआ है, तो ऐसे में आंखों की रक्त वाहिकाओं को विकसित होने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। नतीजा यह रहता है कि यह रक्त कोशिकाएं आंखों में विकसित होने की जगह पूरे रेटिना में बढ़ने और फैलने लगती हैं। ये असामान्य रक्त वाहिकाएं नाजुक और कमजोर (टूट जाने वाली) होती हैं और लीक हो सकती हैं। रेटिनल डिटैचमेंट की वजह से विजुअल इंपेयरमेंट और अंधेपन की समस्या हो सकती है।

विजुअल इंपेयरमेंट को विजन लॉस भी कहते हैं जिसका अर्थ है देखने की क्षमता में कमी, जबकि अंधेपन का मतलब पूरी तरह से न दिखाई देना है।

(और पढ़ें - आंखों में सूखापन)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹425  ₹850  50% छूट
खरीदें

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी का इलाज कैसे किया जा सकता है? - Retinopathy of Prematurity Treatment in Hindi

आरओपी का उपचार इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ उपचारों का दुष्प्रभाव भी हो सकता है, लेकिन नए शोध में पारंपरिक चिकित्सा और दवाओं के संयोजन से आरओपी के एडवांस मामलों में सुधार देखा गया है :

लेजर थेरेपी : आरओपी के लिए मानक उपचार के तौर पर लेजर थेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है। यह थेरेपी रेटिना के आसपास आसामान्य रक्त वाहिकाओं को जला देती है। लेजर सर्जरी के लिए जनरल एनेस्थीसिया की भी आवश्यकता होती है, जो कि प्री मैच्योर बच्चे के लिए जोखिमभरा हो सकता है।

क्रायोथेरेपी : रक्त वाहिकाओं को रेटिना पर फैलने से रोकने के लिए क्रायोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। इसे कोल्ड थेरेपी भी कहा जाता है, यह आरओपी उपचार का एक पुराना रूप है। इससे 'साइड विजन' को नुकसान हो सकता है।

दवाएं : आरओपी के इलाज के लिए एंटी-वीईजीएफ दवाओं पर शोध जारी है। एंटी-वीईजीएफ दवाएं रेटिना में रक्त वाहिकाओं के अतिवृद्धि को रोकने का काम करती हैं। इस दवा को आंख में तब इंजेक्ट किया जाता है, जब उसे जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। हालांकि, आरओपी के इलाज के लिए किसी भी दवा को खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) की मंजूरी नहीं मिली है।

(और पढ़ें - धुंधला दिखना)