सारकॉइडोसिस क्या है?

सारकॉइडोसिस कोशिकाओं में समस्याओं से संबंधित एक प्रकार का रोग है। यह वैसे तो शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन यह फेफड़े, लसिका ग्रंथि, आंखें व त्वचा मुख्य रूप से प्रभावित करता है। सारकॉइडोसिस में प्रभावित हिस्से में सूजन युक्त कोशिकाएं एक साथ जमा हो जाती हैं और परिणामस्वरूप वहां पर गांठ बन जाती है। जिस हिस्से में यह गांठें बन जाती हैं, उस हिस्से के आकार में बदलाव होने लगता है और साथ ही उसकी कार्य प्रक्रिया भी प्रभावित हो जाती हैं।

सारकॉइडोसिस भी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के द्वारा किसी बाहरी पदार्थ या रोगाणु के प्रति दी गई प्रतिक्रिया होती है। कुछ विशेषज्ञ इसे संक्रमण का एक प्रकार मानते हैं। हालांकि, इस बारे में अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है।

(और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)

सारकॉइडोसिस के लक्षण - Sarcoidosis Symptoms in Hindi

सारकॉइडोसिस के लक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा रोग की गंभीरता के अनुसार भी इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ आम लक्षण हैं, जो सारकॉइडोसिस से ग्रस्त ज्यादातर लोगों में देखे जाते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

इसके अलावा त्वचा संबंधी कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जो हर व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य और प्रभावित अंग के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को त्वचा संबंधी अन्य कोई रोग या एलर्जी है, तो उसके अनुसार कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं। सारकॉइडोसिस में आमतौर पर विकसित होने वाले त्वचा संबंधी लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -

सारकॉइडोसिस से ग्रस्त लोगों के गले, बगल व जांघ और पेट के बीच के हिस्से में मौजूद लिम्फ नोड्स का आकार बढ़ जाता है और उसमें दर्द होने लगता है। कुछ मामलों में यद दर्द काफी गंभीर होता है, जबकि कुछ मामलों में मरीज को कभी-कभी दर्द महसूस होता है।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

सारकॉइडोसिस के कुछ मामले अधिक गभीर नहीं होते हैं जबकि अन्य मामले अत्यधिक गंभीर स्थिति पैदा कर देते हैं, जिनका जल्द से जल्द इलाज करवा लेना चाहिए। यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है और व लक्षण लगातार एक या दो दिन तक बने रहते हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। इसके अलावा यदि आपको पहले कभी फेफड़ों या लिम्फ नोड्स में सूजन आदि जैसी कोई समस्या हो चुकी है, तो फिर उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होते ही डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

(और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)

सारकॉइडोसिस के कारण - Sarcoidosis Causes in Hindi

डॉक्टर सारकॉइडोसिस के सटीक कारणों का अभी तक पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार कुछ लोगों को यह एक आनुवंशिक स्थिति के रूप में होता है। जबकि अन्य लोगों को यह रोगाणुओं से होने वाली समस्याएं व उनके प्रति शारीरिक प्रतिक्रिया के रूप में भी हो सकता है।

वायरस या बैक्टीरिया जैसे रोगाणुओं के कारण अक्सर कई बार प्रतिरक्षा प्रणाली असासामान्य रूप से प्रतिक्रिया देने लगती है। यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। सारकॉइडोसिस सर्दी जुकाम या फ्लू की तरह संक्रामक रोग नहीं हैं।

सारकॉइडोसिस होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितिया हैं, जो सारकॉइडोसिस होने के खतरे को बढ़ा देती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • उम्र व लिंग -
    वैसे तो सारकॉइडोसिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह 20 से 60 साल के बीच में ही होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह रोग होने का खतरा अधिक रहता है।
     
  • पारिवारिक समस्या -
    यदि परिवार में पहले किसी को यह समस्या हो चुकी है, तो अन्य लोगों को भी सारकॉइडोसिस होने का खतरा रहता है।

(और पढ़ें - फ्लू के घरेलू उपाय)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

सारकॉइडोसिस का परीक्षण - Sarcoidosis of Sarcoidosis in Hindi

पल्मोनरी सारकॉइडोसिस का परीक्षण करने के लिए कोई सटीक तरीका अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। यह रोग अक्सर किसी अन्य बीमारी का परीक्षण करने के दौरान ही सामने आता है। हालांकि, यदि डॉक्टर को लगता है कि मरीज को पल्मोनरी सारकॉइडोसिस हो सकता है, तो वे करीब से उसके लक्षणों की जांच करेंगे और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियां भी लेंगे। मरीज से उसके परिवार के अन्य सदस्यों व उनके स्वास्थ्य के बारे में भी पूछा जा सकता है। यदि डॉक्टर स्थिति की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं, तो कुछ अन्य टेस्ट कर सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • छाती का एक्स रे -
    एक्स रे की मदद से फेफड़ों व लिम्फ नोड के स्वास्थ्य की जांच की जाती है।
     
  • एचआरसीटी स्कैन -
    यह एक प्रकार का सीटी स्कैन होता है, जिसमें फेफड़ों व लसिका ग्रंथियों की बारीकी से जांच की जाती है।
     
  • पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट -
    इसे ब्रीथिंग टेस्ट भी कहा जाता है, जिसकी मदद से पता लगाया जाता है कि फेफड़े कितने अच्छे से काम कर पा रहे हैं।

(और पढ़ें - सांस लेने में दिक्कत के कारण)

सारकॉइडोसिस का इलाज - Sarcoidosis Treatment in Hindi

सारकॉइडोसिस के लिए कोई निश्चित इलाज प्रक्रिया उपलब्ध नहीं है। इसके इलाज का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को नियंत्रित करना और स्थिति को गंभीर होने से रोकना होता है। हालांकि, फिर भी कुछ मामलों में मरीज को हो रही समस्याओं के अनुसार इलाज करके सारकॉइडोसिस को ठीक किया जा सकता है।

जबकि कुछ मामलो ंमें सारकॉइडोसिस को इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है और यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। अगर इसमें होने वाली सूजन गंभीर है, तो डॉक्टर रोगी को दवाएं देते हैं, जिसमें कोर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroids) व प्रतिरक्षा को दबाने वाली (Immunosuppressive) दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं से रोगी की सूजन को कम करने का प्रयास किया जाता है।

इसकी इलाज अवधि हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। कुछ रोगी को एक या दो साल, तो कुछ मरीजों को इससे ज्यादा समय तक दवाएं दी जाती हैं। जबकि कुछ अत्यधिक गंभीर मामलों में डॉक्टर सर्जरी करने पर भी विचार कर सकते हैं। सर्जरी की मदद से फेफड़ों या लसीका ग्रंथि का कोई विशेष हिस्सा जो क्षतिग्रस्त हो गया है उसे ठीक किया जाता है।

(और पढ़ें - सूजन को कम करने का तरीका)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

Dr Viresh Mariholannanavar

श्वास रोग विज्ञान
2 वर्षों का अनुभव

Dr Shubham Mishra

श्वास रोग विज्ञान
1 वर्षों का अनुभव

Dr. Deepak Kumar

श्वास रोग विज्ञान
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Sandeep Katiyar

श्वास रोग विज्ञान
13 वर्षों का अनुभव

और पढ़ें...
ऐप पर पढ़ें