एक नए अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि जो लोग प्रतिदिन सोडा या सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करते हैं उनमें मृत्यु का जोखिम अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं ने इन सॉफ्ट ड्रिंक्स या सोडा की जगह पानी पीने को ज्यादा फायदेमंद बताया है।

लंबा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए, लोगों को न केवल इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उन्हें अपने आहार में क्या शामिल करना है, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि किस आदत को छोड़ना उनके लिए लाभकारी हो सकता है। इस बात से लगभग सभी वाकिफ हैं कि चीनी या आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रयोग ज्यादा नहीं करना चाहिए। जबकि सोडा और सॉफ्ट ड्रिंक्स में इनका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है इसलिए इन्हें स्वस्थ आहार में शामिल नहीं किया जा सकता है।

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अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि सोडा या सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे पेय पदार्थों के सेवन से समय से पहले मृत्यु के जोखिम ज्यादा होते हैं। 'इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर' के शोधकर्ताओं ने 1992 और 2000 के बीच 'यूरोपीय प्रोस्पेक्टिव इंवेस्टीगेशन' में शामिल 10 यूरोपीय देशों (ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्पेन और स्वीडन) के लगभग 4,52,000 लोगों की जानकारी इकठ्ठा की। उन्होंने इस जानकारी के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि उन लोगों में समय से पहले मृत्यु की संभावना अधिक थी, जो एक दिन में दो या इससे अधिक सोडा या सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन करते थे। 

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जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि जो लोग एक दिन में दो से अधिक चीनीयुक्त पेय पदार्थ का सेवन करते थे उनमें पाचन विकारों के कारण मृत्यु दर अधिक थी। हालांकि, हाल के कई अध्ययनों में इसी तरह के परिणाम सामने आए हैं, लेकिन इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने निष्कर्षों के आधार पर यह जानकारी दी है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स का ज्यादा सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि जो लोग अधिक चीनी का उपयोग करते हैं उनमें हृदय रोग, स्ट्रोक और कुछ प्रकार के कैंसर होने के जोखिम ज्यादा होते हैं। एक नई रिसर्च में आर्टिफिशियल स्वीटेंड बेवरेज का संबंध जठरांत्र संबंधी समस्याओं से पाया गया है और इससे पार्किंसंस रोग (शरीर के किसी अंग का बार-बार कांपना) के जोखिम में वृद्धि होती है। 

लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि "मीठे पेय पदार्थों से इन समस्याओं के होने की पुष्टि के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की जरूरत है। इससे संबंधित कुछ और शोध किए जाने जरूरी हैं।" शोधकर्ता ने कहा, "अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।" 
बता दें, इस शोध की शुरुआत में लोगों से उनके पेय पदार्थों के सेवन के बारे में पूछा गया था, जिसमें यह प्रश्न भी शामिल था कि वे हर महीने में एक या दो बार ड्रिंक पीते हैं या हर रोज।

विशेषज्ञों का कहना है कि आगे के अनुसंधानों में ऐसे प्रश्न भी होने चाहिए कि प्रतिभागियों के पीने का पैटर्न हमेशा एक जैसा रहता है या फिर बदलता रहता है। 

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