खतना की प्रक्रिया के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, जो व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करते हैं। वयस्कों में खतना को निम्न प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है -
- खतना करने के लिए व्यक्ति को या तो गहरी नींद लाने वाली दवा दी जाती है, या फिर सर्जरी वाले स्थान को पूरी तरह से सुन्न कर दिया जाता है। डॉक्टर सर्जरी शुरू करने से एक घंटा पहले और सर्जरी होने के छह घंटे बाद पैरासीटामोल या अन्य कोई दर्दनिवारक दवा दे सकते हैं।
- सर्जरी के दौरान सबसे पहले लिंग की चमड़ी को पीछे की तरफ हटाया जाता है और यदि उसका कोई हिस्सा शिश्नमुंड से चिपका हुआ है, तो उसे भी अलग कर दिया जाता है।
- चिपका हुआ हिस्सा अलग करने के बाद चमड़ी को फिर से आगे लगाया जाता है और खतना के लिए निशान लगाए जाते हैं।
खतना करने के लिए सर्जन आमतौर पर निम्न में से किसी एक सर्जिकल प्रक्रिया का उपयोग करते हैं -
फॉरसेप्स गाइडेड मेथड
खतना करने के लिए फॉरसेप्स गाइडेड विधि को निम्न तरीके से किया जाता है -
- सर्जन लिंग की चमड़ी की बाहरी और भीतरी सतह को विशेष उपकरणों (फॉरसेप्स) की मदद से पकड़ते हैं और उन्हें शिश्नमुंड के विपरीत दिशा में खींचते हैं।
- जब चमड़ी शिश्नमुंड से दूर हो जाती है, तो स्कैलपल की मदद से उसमें कट लगाते हैं। फॉरसेप्स का इस्तेमाल शिश्नमुंड को कट लगने से बचाने के लिए किया जाता है।
- कट लगने के बाद स्किन को बाहर की तरफ धीरे-धीरे खींच कर लिंग से अलग कर दिया जाता है। उसके बाद यदि कोई रक्त वाहिका खुली है, तो टांके लगाकर उन्हें बंद कर दिया जाता है और फिर पट्टी कर दी जाती है।
डॉर्सल स्लिट मेथड
इस प्रक्रिया का इस्तेमाल आमतौर पर फिमोसिस से ग्रस्त लोगों के लिए की जाती है, जो इस प्रकार है -
- चमड़ी के शिश्नमुंड से चिपके हुए हिस्से को अलग करके, सर्जन फॉरसेप्स की मदद से चमड़ी को पकड़ते हैं।
- दो अतिरिक्त फॉरसेप्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि चमड़ी को ऊपर की तरफ पकड़ के रखा जाए।
- उसके बाद फॉरसेप्स के बीच से निशान लगाकर कट लगा दिया जाता है।
- शिश्नमुंड को बचाते हुऐ निशान के अनुसार कट लगाकर चमड़ी को अलग कर दिया जाता है और बाकी के बचे हुऐ भाग को बाद में अलग कर दिया जाता है।
- चमड़ी को अलग करने के बाद सर्जन टांके लगाकर रक्त वाहिकाओं को बंद कर देते हैं और फिर उसके ऊपर पट्टी लगा देते हैं।
स्लीव रिसेक्शन मेथड
इसे निम्न प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है -
- सर्जन चमड़ी के ऊपरी हिस्से पर V की आकृति का निशान लगाते हैं, जिसका चोटी वाला हिस्सा शिश्नमुंड की तरफ होता है। उसके बाद लिंग के अंदरूनी तरफ भी चमड़ी निशान लगाया जाता है।
- सर्जन निशान के अनुसार कट लगाते हैं और कट पूरा होते ही सर्जन के सहायक नम रुई के साथ चमड़ी को पीछे की तरफ खींचते हैं।
- कट पूरा होने के बाद चमड़ी स्लीव की तरह लिंग से चिपकी रह जाएगी, जिससे डॉक्टर विशेष कैंची से कट लगाकर अलग कर देते हैं।
- अंत में रक्त वाहिकाओं को बंद करने के लिए टांके लगा दिए जाते हैं और पट्टी कर दी जाती है।
- इसमें लगाए जाने वाले टांके आमतौर पर कुछ समय बाद त्वचा में ही अवशोषित हो जाते हैं, इसलिए इन्हें निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- सर्जरी के दो दिन तक डॉक्टर आपको अच्छी फिटिंग वाले अंडरवियर पहनने की सलाह देते हैं, ताकि टांके अपनी जगह पर सुरक्षित रहें। पट्टी हटाने के बाद आपको खुली फिटिंग वाले अंडरवियर पहनने को कहा जाएगा।
शिशुओं और कम उम्र के लड़कों का खतना करने के लिए निम्न सर्जिकल प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है -
- सबसे पहले आयोडीन-पोविडोन सोलूशन के साथ बच्चे के लिंग व आस-पास के भाग को साफ किया जाता है।
- उसके बाद बच्चे के ऊपर से एक विशेष कपड़े से ढक दिया जाता है, जिसमें एक छेद होता है। इस छेद में से लिंग को बाहर निकाल लिया जाता है।
- बच्चे को एनेस्थीसिया दी जाती है, जिससे उसका लिंग व आस-पास का हिस्सा पूरी तरह से सुन्न हो जाता है।
- यदि चमड़ी टाइट है व पीछे नहीं जा रही है, तो सर्जन उपकरणों की मदद से उसे चौड़ी करते हैं और फिर उसे पीछे हटाते हैं। चमड़ी को पीछे हटाने के बाद उसके शिश्नमुंड से चिपके हुऐ हिस्से को अलग किया जाता है।
- खतना करने के लिए जहां से चमड़ी को हटाना है, वहां पर निशान लगाए जाते हैं।
बच्चों में खतना करने की प्रक्रिया को निम्न के अनुसार किया जाता है -
डॉर्सल स्लिट मेथड
इस प्रक्रिया को ठीक उसी तरह से किया जाता है, जिस तरह से वयस्कों में यह प्रक्रिया की जाती है।
प्लास्टीबेल मेथड
प्लास्टीबेल एक प्लास्टिक से बनी घंटी की आकृति वाला उपकरण है, जिसके पीछे एक नली नुमा खांचा बना होता है। इसके निम्न स्टेप हैं -
- सबसे पहले उचित आकार की प्लास्टीबेल को चुना जाता है।
- लिंग के अगले हिस्से से चमड़ी को पीछे हटाया जाता है और प्लास्टीबेल को लगाया जाता है। चारों तरफ से हल्के दबाव के साथ बांध दिया जाता है।
- इसके बाद चमड़ी को प्लास्टीबेल के ऊपर से चढ़ा दिया जाता है और चमड़ी के अगले हिस्से को प्लास्टीबेल के खांचे से बांध दिया जाता है।
- इससे से चमड़ी में रक्त की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो जाती है और चमड़ी उखड़ जाती है। इसमें चमड़ी को लिंग से अलग होने में सात से दस दिन का समय लगता है।
- प्लास्टीबेल भी पांच से सात दिनों के भीतर अपने आप ही अलग होकर गिर जाती है। यदि यह अपने आप नहीं गिरती है, तो खतना होने के 36 से 48 घंटों के बाद प्लास्टीबेल को हटा दिया जाता है।
मोजेन क्लैम्प मेथड
मोजेन क्लैम्प धातु से बना एक कब्जा (हिन्ज) नुमा उपकरण है। इस सर्जिकल प्रक्रिया को निम्न के अनुसार किया जाता है -
- सर्जन सावधानीपूर्वक शिश्नमुंड से चिपकी हुई चमड़ी को हटाते हैं, ताकि बिना कोई क्षति हुऐ चमड़ी को पीछे हटाया जा सके।
- इसके बाद स्लिट लैंप को लगाकर चमड़ी को फिर से आगे की तरफ खींचा जाता है।
- सर्जन यह सुनिश्चित करते है कि कहीं शिश्नमुंड का कोई हिस्सा तो क्लैंप के नीचे नहीं है और इसके बाद क्लैंप को बंद कर देते हैं। इसे उपकरण को तीन से पांच मिनट के लिए बंद करके छोड़ दिया जाता है।
- इसके बाद क्लैंप के बाहरी चमड़ी को दबाएंगे और क्लैंप को खोल कर हटा देंगे।
- उसके बाद शिश्नमुंड को सामान्य स्थिति में लाया जाता है, ताकि ठीक होने की गति सामान्य हो सके।
- नवजात शिशुओं में टांके नहीं लगाए जाते हैं, हालांकि, दो महीने से ऊपर के बच्चों के लिए कुछ दुर्लभ मामलों में टांके लगाने पड़ सकते हैं।
गोमको क्लैंप मेथड
गोमको क्लैंप चार भागों से मिलकर बना होता है, जिन्हें बेस प्लेट, रॉकर आर्म, नट और बेल के नाम से जाना जाता है। सर्जरी से पहले इन सभी भागों को एक दूसरे से जोड़ कर तैयार कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को निम्न तरीकों से किया जाता है -
- सबसे पहले उचित साइज के गोमको क्लैंप को चुना जाता है
- सर्जन चमड़ी के ऊपरी हिस्से में एक कट लगाते हैं, चमड़ी को पीछे हटाया जाता है शिश्नमुंड से चिपके हुऐ हिस्से को अलग कर दिया जाता है।
- इसके बाद शिश्नमुंड पर क्लैंप की बेल को लगाया जाता है और चमड़ी को बेल के ऊपर चढ़ा दिया जाता है।
- चमड़ी को बेल के ऊपर समान रूप से खींचा जाएगा और इसके चारों तरफ क्लैंप लगाकर टाइट कर दिया जाता है।
- इसके बाद गोमको क्लैंप की बेस प्लेट को बेल पर लगा देते हैं। क्लैंप की रॉकर आर्म को अपनी पॉजिशन पर लगाया जाता है और क्लैंप को तब तक टाइट किया जाता है जब तक चमड़ी भींच न जाए। उसके बाद सर्जन चमड़ी को गोलाई में काट देते हैं।
- क्लैंप को पांच मिनट के लिए ही लिंग पर लगाया जाता है और फिर उसे हटा दिया जाता है।
दो महीनें से अधिक उम्र वाले बच्चों को सर्जरी के बाद टांके भी लगाने पड़ सकते हैं।
सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कम से कम आधे घंटे के लिए निगरानी में रखते हैं, ताकि कोई समस्या विकसित होने पर तुरंत उसका निवारण किया जा सके। नर्स आधे घंटे में कई बार आपके बीपी व अन्य शारीरिक गतिविधियों को जांच करेगी।
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