छोटी-छोटी बातों को लेकर उनका मंथन करते रहना या रात भर दिमाग में कुछ न कुछ विचार चलते रहना ओवरथिंकिंग की निशानी है. यह स्थिति दिमागी सेहत के लिए हानिकारक होती है और व्यक्ति काफी डिस्टर्ब हो सकता है, क्योंकि यह इमोशनल डिस्ट्रेस का कारण भी होता है. इससे व्यक्ति की जीवन जीने की प्रक्रिया व प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ सकता है. ऐसे में इस समस्या से उबरने के लिए अपने विचारों को लिख लें या दिमाग में आते विचारों से खुद को डिस्ट्रैक्ट करने से फायदा हो सकता है.

आप यहां दिए लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि तनाव और चिंता का इलाज कैसे किया जाता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि ओवरथिंकिंग क्या है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है -

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  1. ओवरथिंकिंग क्या है?
  2. ओवरथिंकिंग से कैसे उबरें?
  3. सारांश
ओवरथिंकिंग क्या है? के डॉक्टर

किसी एक विषय को लेकर देर तक सोचना और बाद में किसी और विषय को लेकर चिंता करने लगना साथ ही उस स्थिति के बारे में बुरे से बुरा सोचना, ओवरथिंकिंग के लक्षण हैं. हर बार सिर्फ नकारात्मक सोचना, जो समय बीत गया है हमेशा उसके बारे में सोचना और भविष्य को लेकर चिंतित रहना ही ओवरथिंकिंग है. हालांकि, ओवरथिंकिंग मानसिक रोग नहीं है, लेकिन ये अवसाद और चिंता का कारण जरूर बन सकता है. ओवरथिंकिंग को जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर से जोड़कर देखा जाता है.

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जैसा कि ये स्पष्ट हो गया है कि ओवरथिंकिंग को मानसिक रोग नहीं माना जाता है. ऐसे में लाइफस्टाइल में बस कुछ छोटे-छोटे बदलाव लाकर इस समस्या से उबरा जा सकता है.  कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी भी इस समस्या से छुटकारा पाने में फायदेमंद इलाज है. आइए जानते हैं कि ओवरथिंकिंग की समस्या को कैसे ठीक किया जा सकता है -

व्यस्त रहें

अगर ओवरथिंकिंग हावी हो रही है, तो बेस्ट तरीका है किसी और काम में बिजी होना. इससे दिमाग थोड़ा डिस्ट्रैक्ट होगा यानी ध्यान बंटेगा. घर के गार्डन में काम करना, म्यूजिक सुनना, घूमने जाना, दोस्तों से मिलना जैसे कामों से ध्यान दूसरी तरफ किया जा सकता है. 

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कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी

कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए थेरेपिस्ट दिमागी उलझनों को सुलझाने में मदद करते हैं. इससे नेगेटिव विचार आने काफी कम हो सकते हैं और व्यक्ति ओवरथिंकिंग की समस्या से उबरने में सफलता पा सकता है.

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दवाइयों का सेवन

अगर ओवरथिंकिंग के चलते डिप्रेशन या मेंटल डिसऑर्डर जैसी स्थिति है, तो डॉक्टर के पास जा कर स्थिति के बारे में जरूर बात करनी चाहिए. डॉक्टर इस स्थिति को ठीक करने के लिए मरीज की अवस्था को देखते हुए कुछ दवाइयों का सुझाव दे सकते हैं.

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सोशल सपोर्ट

दोस्तों या परिवार से मन की बात शेयर करने की आदत डालना ठीक है. अकेले न रहकर फैमिली के किसी सदस्य के साथ रहने की कोशिश करें. इससे अन्य गतिविधियों जैसे घूमना-फिरना या एंजॉय कर पाने में मदद मिल सकती है. इससे ओवरथिंकिंग भी पॉजिटिव हो सकती है.

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मेडिटेशन

अपनी दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर मेडिटेशन भी किया जा सकता है. मेडिटेशन करने से दिमाग और मन दोनों शांत होते हैं. इससे हर तरह के नकारात्मक विचारों को आने से रोका जा सकता है. ऐसे करने से ओवरथिकिंग की समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया जा सकता है.

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जरूरत से ज्यादा एक ही बात को बार-बार सोचने को ओवरथिंकिंग कहा जाता है. इसका हेल्थ पर भी असर होता है. ओवरथिंकिंग की वजह से पर्सनल, सोशल और वर्क लाइफ, तीनों डिस्टर्ब हो सकती हैं. ओवरथिंकिंग का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट इमोशनल डिस्ट्रेस है, लेकिन परिवार के लोगों के साथ रहकर या किसी दूसरे काम में मन लगाकर ओवरथिंकिंग वाली स्थिति से निकला जा सकता है. अगर इस तरह की समस्या बढ़ रही है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.

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