विपरीत करनी एक सौम्य, सबल बनानेवाला आसन है। इस आसन में आप एक आरामदायक औंधी मुद्रा में होते हैं जो मन को शांत करती है और तनाव के लक्षणों से राहत दिलाती है।

इस लेख में विपरीत करनी के आसन को करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें। लेख के अंत में एक वीडियो भी शेयर किया गया है।

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के उपाय)  

  1. विपरीत करनी के फायदे - Viparita Karani (Legs-Up-the-Wall Pose) ke fayde in Hindi
  2. विपरीत करनी करने से पहले यह आसन करें - Viparita Karani (Legs-Up-the-Wall Pose) se pahle ye aasan kare
  3. विपरीत करनी करने का तरीका - Viparita Karani (Legs-Up-the-Wall Pose) karne ka tarik
  4. विपरीत करनी का आसान रूपांतर - Viparita Karani (Legs-Up-the-Wall Pose) ke Modification
  5. विपरीत करनी करने में क्या सावधानी बरती जाए - Viparita Karani (Legs-Up-the-Wall Pose) me kya savdhani barte in Hindi
  6. विपरीत करनीआसन का वीडियो - Viparita Karani (Legs-Up-the-Wall Pose) Video in Hindi

विपरीत करनी के फायदे इस प्रकार हैं:

  1. टांगों में दर्द और थकावट को दूर करता है।
  2. टांगों के पिछले हिस्सों, धड़, और गर्दन में हल्का खिचाव लाकर उन्हें शिथिल करता है।
  3. हल्के पीठ दर्द से राहत दिलाता है।
  4. मन को शांत करता है। (और पढ़ें - मेडिटेशन के लाभ)
  5. चिंतागठिया, पाचन समस्याओं, सिरदर्द, उच्च और निम्न रक्तचाप, अनिद्रामाइग्रेन, हल्के अवसाद, श्वसन विकार, मूत्र संबंधी विकार, वैरिकाज़ नसों, मासिक धर्म में ऐंठन, प्रीमेस्सारयल सिंड्रोम के लिए चिकित्सीय है। 

(और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज​)

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विपरीत करनी करने से पहले आप यह आसन ज़रूर करें:

  1. बालासन (Balasana or Child's Pose)
  2. मार्जरी आसन (Marjariasana or Cat Pose)
  3. भुजंगासन (Bhujangasana or Cobra Pose)
  4. उत्तानासन (Uttanasana or Standing Forward Bend)

विपरीत करनी करने का तरीका इस प्रकार है:

  1. पीठ के बल ज़मीन पर सीधा लेट जायें और पुर शरीर को शिथिल करें।
  2. धीरे से दोनो टाँगों को उठायें।
  3. जब टाँगें 45 डिग्री तक आ जायें तो हाथों से कमर को सहारा देते हुए कूल्हों को भी उपर उठायें।
  4. अब टाँगों को और उपर उठायें जब तक की वो एकदम सीधी उपर नहीं हो जाती।
  5. ध्यान रहे की कोहनियाँ ज़मीन पर टिकी रहें और हाथों से कमर को सहारा दिए रखें।
  6. पीठ ज़मीन से लगभग 45 डिग्री होनी चाहिए।
  7. इस मुद्रा में 30-60 सेकंड के लिए साँस लें।
  8. आसन से बाहर निकलने के लिए सारे स्टेप्स विपरीत क्रम में करें।
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  1. अगर आपको पूर्ण रूप से विपरीत करनी करने में कठिनाई हो रही हो तो एक दीवार के समीप लेट जायें। कूल्हों को दीवार से टिका लें, कमर को ज़मीन पर ही रखें और टाँगों को दीवार पर टिका कर रखें।
  2. अगर ऐसा करने से टाँगों या कूल्हों में सहनशक्ति से ज़्यादा खिचाव आ रहा हो तो टाँगों को ज़रूरत के अनुसार मोड़ लें।
  3. अगर गर्दन पर अधिक खिचाव आ रहा हो तो कंधों के नीचे एक तौलिया रोल करके रख लें।

विपरीत करनी करने में यह सावधानियाँ अवश्य बरतें:

  1. अगर आपको आँखों की कोई गंभीर समस्याएं हैं, जैसे कि मोतियाबिंद, तो विपरीता करानी ना करें। (और पढ़ें – मोतियाबिंद के कारण)
  2. गंभीर गर्दन या पीठ की समस्या हो तो यह आसन एक अनुभवी शिक्षक की देखरेख में ही करें हैं।
  3. अपने मासिक धर्म चक्र के दौरान यह आसन ना करें।
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