अगर आपको माइग्रेन है तो आप कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान हो सकते हैं या फिर भविष्य में इन बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारियां इस प्रकार हैं-
तनाव: अगर आपको एपिसोडिक माइग्रेन है, तो आपको सामान्य लोगों की तुलना में, जिन्हें माइग्रेन नहीं है, डिप्रेशन होने का खतरा अधिक हो सकता है। अलबर्ट आइंस्टीन कॅालेज आफ मेडिसिन में न्यूरोलॅाजी के प्रोफेसर और वाइस चैंसलर डॅा. लिपटन कहते हैं, ‘अगर आपको क्रॅानिक माइग्रेन (महीने या 15 दिनों में एक बार) है तो डिप्रेशन होने का खतरा दुगना हो जाता है।
एंग्जाइटी: अमेरिकन माइग्रेन फाउंडेशन के अनुसारए क्रॅानिक माइग्रेन वाले लोगों में अवसाद विकार होने की संभावना से भी अधिक एंग्जाइटी होती है। माइग्रेन से पीड़ित लगभग आधे लोगों में डिप्रेशन भी है।
स्ट्रोक: कुछ अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि माइग्रेन का संबंध स्ट्रोक से भी है।
एपिलेप्सी: सीजर (seizure) डिसआर्डर और माइग्रेन दोनों की वजह से ही मूड स्विंग होता है। ऐसे में अगर आपको कोई भी एक बीमारी है तो अन्य बीमारी होने की आशंका अपने आप बढ़ जाती है।
हृदय रोग: एक अध्ययन से यह पता चला है कि जो लोग माइग्रेन से पीड़ित होते हैं, उनमें हृदयाघात से लेकर हृदय रोग जैसे उच्च रक्तचाप और डायबिटीज की आशंका में बढ़ोत्तरी हो जाती है।
अस्थमा: हालांकि अस्थमा रेसपिरेटरी डिसआर्डर है और माइग्रेन न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर है, इसके बावजूद दोनों बीमारियां एक साथ हो सकती हैं।
मोटापा : अगर आपको माइग्रेन है, साथ ही मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आपकी यह स्थिति माइग्रेन को और भी खतरनाक बना सकती है। इसके विपरीत अगर आपको कभी माइग्रेन की समस्या नहीं हुई, लेकिन आप मोटापे से परेशान हैं तो ऐसे में माइग्रेन होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों से इस बात का पता चला है कि जिनका समय के साथ-साथ वजन बढ़ता जाता है, उनमें माइग्रेन होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
पेन डिसआर्डरर : माइग्रेन होने पर कई किस्म के दर्द जैसे फायब्रोमायल्गिया, कंधे, गर्दन और पीठ के पुराने दर्द और कई प्रकार के सिर दर्द भी होने की आाशंका बढ़ जाती है। माइग्रेन और दूसरे किस्म के दर्द का आपस में क्या वास्ता है, यह कहना मुश्किल है। लेकिन ऐसा होता है।
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम: यह कहना तो मुश्किल है कि रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, जिसमें मरीज को अपने पैरों को हिलाने की इतनी अर्ज होती है, जिससे रात की नींद से लेकर दैनिक जीवनशैली भी प्रभावित होती है, का माइग्रेन से क्या संबंध है। लेकिन माइग्रेन होने की वजह से यह समस्या भी होने लगती है।