माइग्रेन - Migraine in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

March 09, 2017

January 30, 2024

माइग्रेन
माइग्रेन

यदि आप माइग्रेन से पीड़ित हैं, तो आप जानते हैं कि माइग्रेन में होने वाला सिरदर्द बहुत तकलीफ दायक होता है। माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जिसमें सिर के दोनों या एक ओर रुक रुक कर भयानक दर्द होता है। माइग्रेन 2 घंटे से लेकर कई दिनों तक बना रहता है। माइग्रेन सिरदर्द दूसरें सिरदर्द की तुलना में अधिक होता है। माइग्रेन मूल रूप से न्यूरोलॉजिकल समस्या है। शरीर में कुछ न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन भी माइग्रेन का कारण हो सकता है। माइग्रेन के समय दिमाग में रक्त का संचार बढ़ जाता है जिससे व्यक्ति को तेज सिरदर्द होने लगता है। 

माइग्रेन का दर्द कैसा होता है? - Migraine Pain in Hindi

माइग्रेन के मरीज माइग्रेन के दर्द का वर्णन इस प्रकार करते हैं -

  • सिर में कम्पन महसूस होना (pulsating)
  • सिर धड़कता हुआ महसूस होना (throbbing)
  • ऐसा महसून होना कि छोटे-छोटे छेद हो रहे हों (perforating)
  • बहुत तेज़ होना (pounding)
  • एकदम निर्बल कर देने वाला (debilitating)

यह एक गंभीर निरंतर दर्द की तरह भी महसूस हो सकता है। दर्द हल्का शुरू हो सकता है, लेकिन उपचार न करने पर मध्यम से गंभीर हो जाता है।

माइग्रेन का दर्द सबसे अधिक माथे को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर सिर के एक तरफ होता है, लेकिन यह दोनों तरफ भी हो सकता है, या एक से दूसरी तरफ शिफ्ट हो सकता है।

अधिकांश माइग्रेन लगभग 4 घंटे तक रहता है। यदि इलाज न किया जाए या इलाज असर न करे, तो माइग्रेन 72 घंटे से एक सप्ताह तक रह सकता है।

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माइग्रेन के लक्षण - Migraine Symptoms in Hindi

माइग्रेन के लक्षण इस प्रकार हैं - 

  • सिर में फड़कता हुआ माइग्रेन दर्द ज्यादातर सिर के एक हिस्से से शुरू होता है।
  • जो लोग माइग्रेन के सिरदर्द से पीड़ित हैं वे आमतौर पर नियमित गतिविधियों को करने में असमर्थता, आंखों में दर्दमतली और उल्टी भी अनुभव करते हैं। (और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलू उपाय)
  • वे प्रकाश, ध्वनि और गंध परिवर्तनों के प्रति अति संवेदनशील हो सकते हैं।
  • दिन भर बेवजह उबासी आना भी माईग्रेन का लक्षण है।
  • माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित लोगों को ऑरा (Aura) का अनुभव होता है। उन्हें संवेदना की अस्थायी कमी या पिंस और सुईया चुभने की भावना महसूस होती है।
  • माईग्रेन का दर्द होने पर नींद अच्छे से नहीं आती है। थकान महसूस होती है लेकिन नींद नहीं आती है। (और पढ़ें – नींद ना आने के घरेलु उपाय)
  • माईग्रेन के दौरान आंखों में भी भयानक दर्द होता है। पलकें झपकाने में भी बहुत जलन होती है।
  • सिरदर्द के साथ मतली, उल्टी आना भी माईग्रेन के लक्षण होते हैं।
  • माईग्रेन के दौरान मूड में परिवर्तन बहुत तेजी से होता है। कुछ मरीज़ अचानक बिना किसी के कारण बहुत ही उदास महसूस करते हैं या कभी ज्‍यादा उत्साहित हो जाते हैं।
  • माइग्रेन का दर्द होने से पहले, कुछ लोगों की खाने के लिए लालसा बढ़ जाती है।
  • नियमित गतिविधियों जैसे सैर करना या सीढ़ियां चढ़ने से माइग्रेन का दर्द बदतर भी हो सकता है।
  • माईग्रेन में बार-बार मूत्र त्याग की आवश्यकता अनुभव करना भी इसका एक लक्षण है।

माइग्रेन के कारण - Migraine Causes in Hindi

माइग्रेन क्यों होता है?

अभी तक माइग्रेन के एक निश्चित कारण की पहचान नहीं हो सकी है। हालांकि, कुछ ऐसे कारक हैं जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। इसमें मस्तिष्क के रसायनों में परिवर्तन शामिल हैं, जैसे कि सेरोटोनिन के स्तर में कमी

माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले कारकों में शामिल हैं:

यदि आपको माइग्रेन होता है, तो आपके डॉक्टर आपको एक "सिरदर्द नोटबुक" रखने के लिए कह सकते हैं। यह लिखकर कि माइग्रेन शुरू होने से पहले आप क्या कर रहे थे, आपने क्या खाया था और आप कौन सी दवाएं ले रहे थे, आपके ट्रिगर्स को पहचानने में मदद मिल सकती है।

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माइग्रेन से बचाव - Prevention of Migraine in Hindi

माइग्रेन को रोकने में निम्नलिखित प्रयास मदद कर सकते हैं -

  • जानने की कोशिश करें कि अपको माइग्रेन किस्से ट्रिगर होता है और उन चीजों से बचें
  • हाइड्रेटेड रहें - प्रति दिन 9-12 कप पानी पीने की कोशिश करें
  • भोजन स्किप न करें
  • अच्छी नींद लें - संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद महत्वपूर्ण है
  • सिगरेट पीना छोड़ें
  • तनाव को कम करने को प्राथमिकता बनाएं
  • रिलैक्स करने की टेक्निक्स सीखें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें - व्यायाम से आपको न केवल तनाव कम करने में मदद मिल सकती है बल्कि वजन कम भी हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मोटापा माइग्रेन से जुड़ा हुआ है।

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माइग्रेन का परीक्षण - Diagnosis of Migraine in Hindi

माइग्रेन की जांच कैसे की जाती है?

अगर आपको माइग्रेन है या आपके पारिवारिक इतिहास में माइग्रेन रहा है, तो स्नायु-विशेषज्ञ (neurologist) आपके माइग्रेन का निदान आपके मेडिकल इतिहास, लक्षण, शारीरिक और स्नायविक परिक्षण के अनुसार करेंगे।

अगर आपकी स्थिति असामान्य और जटिल है या आपका दर्द एकदम अपने आप बढ़ जाता है, तो डॉक्टर आपको और परिक्षण कराने की सलाह देंगे जिससे कि वह आपके होने वाले दर्द के संभावित कारणों का पता लगा सकें।

1. खून की जांच - डॉक्टर आपको खून की जांच कराने के लिए कह सकतें हैं, जिसमें निम्नलिखित कारकों के बारे में जांच की जायेगी -

  • आपकी रक्त कोशिकाओं से संबंधित कोई दिक्कत
  • रीढ़ की हड्डी या दिमाग में संक्रमण
  • आपके शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर

2. एमआरआई - एमआरआई से डॉक्टर निम्नलिखित स्थिति का पता लगा सकतें हैं। जैसे कि -

3. सीटी स्कैन - सीटी स्कैन से डॉक्टर सिरदर्द के निम्नलिखित कारकों के बारे में पता लगा सकते हैं -

  • ट्यूमर
  • संक्रमण  
  • मस्तिष्क को कोई क्षति
  • मस्तिष्क में रक्तस्राव
  • अन्य संभावित चिकित्सा समस्या

4. स्पाइनल टैप (रीढ़ की हड्डी में से तरल पदार्थ इकठ्ठा करके उसे जांचना) - यदि डॉक्टर को संक्रमण, मस्तिष्क में खून बहने, या अन्य गंभीर स्थिति का संदेह हो, तो डॉक्टर आपको स्पाइनल टैप कराने का सुझाव दे सकतें हैं।

माइग्रेन का इलाज - Migraine Treatment in Hindi

क्या माइग्रेन का इलाज संभव है?

माइग्रेन का इलाज उसके लक्षणों को और भविष्य में माइग्रेन अटैक को रोकने में मदद कर सकता है।

बहुत सारी दवाएं माइग्रेन के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। कुछ दवाएं अक्सर अन्य बीमारियों का इलाज करती हैं जिससे माइग्रेन के दर्द में राहत या उसे रोकने में मदद मिलती है। 

(और पढ़ें - माइग्रेन में क्या खाना चाहिए

माइग्रेन को ठीक करने वाली दवाएं

ये दवाएं दो श्रेणियों में आती हैं -

  1. दर्द निवारक दवाएं - इस प्रकार की दवाओं को माइग्रेन के हमलों के दौरान लिया जाता है और ये माइग्रेन के लक्षणों को रोकने के लिए बनाई गई है।
  2. निरोधक दवाएं - इस तरह की दवाएं नियमित रूप से रोज़ से ली जाती हैं, ताकि सिरदर्द की गंभीरता को कम किया जा सके और बार- बार होने से रोका जा सके।

आपके इलाज की कार्यनीति आपकी स्थिति पर निर्भर करती है - सिरदर्द कितनी बार होता है, कितना गंभीर होता है, उसकी वजह से कितनी परेशानी होती है, और अन्य मेडिकल समस्याएं।

अगर आप गर्भावस्था में है या स्तनपात कराते है तो आपको दवाई लेने की सलाह नहीं दी जाती। कुछ दवाइयां बच्चों को नहीं दी जाती हैं। डॉक्टर आपको सही दवाई ढूंढ़ने में मदद करेंगे।

1. दर्द निवारक दवाइयां

जैसे ही आपको माइग्रेन के लक्षण दिखे तुरंत दर्द निवारक दवा लें। दवा खाकर अंधेरे कमरे में आराम करके भी दर्द में राहत मिल सकती है । दवाइयां जैसे कि -

  • दर्द निवारक - एस्पिरिन या आइबुप्रोफेन, एसिटामिनोफेन हल्के माइग्रेन में राहत देने में मदद कर सकते हैं। दवाइयां जो कि विशेष रूप से माइग्रेन के दर्द को ठीक करने के लिए दी जाती हैं, जैसे कि एसिटामिनोफेन , एस्पिरिन और कैफीन के संयोजन से बनी दवाइयाँ - भी मध्यम माइग्रेन के दर्द में आराम दिला सकतें हैं।
  • ट्राइप्टेंस - इन दवाओं का अधिकतर माइग्रेन के इलाज में उपयोग किया जाता है। ट्राइप्टेंस माइग्रेन से जुड़े दर्द और अन्य लक्षणों से प्रभावी ढंग से राहत दिलाती हैं। यह गोली, नाक का स्प्रे और इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध हैं। ट्रिपटन दवाओं में शामिल हैं सुमाट्रिप्टन (sumatriptan)।
  • इरगॉट - आर्गोडामाइन और कैफीन के संयोजन से बनी दवाएं ट्राइप्टेंस से कम प्रभावी हैं। जिनका दर्द 48 घंटों से अधिक समय तक रहता है, उन लोगों में इरगॉट सबसे प्रभावी होते हैं। माइग्रेन के लक्षणों के शुरू होने के तुरंत बाद इरगॉट लेना बहुत प्रभावी होता है। आर्गोटामाइन (Ergotamine) आपके माइग्रेन से जुड़ीं समस्याएं जैसे कि जी मिचलाना और उल्टी को और भी बदतर कर सकती है, और इस दवा का ज़्यादा इस्तेमाल सिरदर्द भी पैदा कर सकता है।
  • डायहाइड्रोएरोगाटामिन - यह इरगॉट दवाओं का एक रूप है जो अधिक प्रभावशाली होता है। यह नाक का स्प्रे और इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है।
  • ओपियोइड दवाओं - ओपियोइड दवाओं में नशीली दवाएं होती हैं, (खासतौर पर कोडाइन (codeine))  इनका कभी-कभी उन लोगों के माइग्रेन के दर्द का इलाज करने के लिए उपयोग होता हैं। जो त्रिपटन या एर्गट्स नहीं ले सकते हैं।
  • ग्लूकोकार्टोइकोड्स जैसे कि प्रीनिसोन - दर्द से राहत में सुधार करने के लिए ग्लूकोकॉर्टीकॉइड का इस्तेमाल दूसरी दवाओं के साथ किया जा सकता है।

2. निरोधक दवायें

आप निरोधक दवाएं तब ले सकते हैं जब -

  • आप पर महीने में चार बार से ज़्यादा गंभीर माइग्रेन के हमले हो रहे हों
  • हमले 12 घंटे से ज़्यादा लंबे चलते हैं
  • दर्द निवारक दवाई से कोई असर नहीं पड़ रहा हो
  • आपके माइग्रेन के लक्षणों में लंबे समय तक सुन्नता और कमजोरी शामिल है

निरोधक दवाएं दर्द के बार बार होने को, गंभीरता और माइग्रेन की अवधि को कम कर सकती हैं, और माइग्रेन के हमलों के दौरान उपयोग किए जाने वाली दवाओं की प्रभावशीलता को बढ़ा सकती हैं। आपके लक्षणों में सुधार देखने में कई सप्ताह लग सकते हैं।

माइग्रेन को रोकने के लिए दवाएं

इन दवाइयों में सबसे आम हैं -

  1. कार्डियोवास्कुलर ड्रग्स - बीटा ब्लॉकर, जो सामान्यतः हाई बीपी का इलाज और कोरोनरी धमनी रोग का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है, वे माइग्रेन के दर्द के बार बार होने को और गंभीरता को कम कर सकते हैं।
  2. माइग्रेन को रोकने के लिए बीटा ब्लॉकर्स प्रोप्रानोलोल (beta blockers propranolol, others) - मेटोप्रोलोल टार्ट्रेट और टाइमोलोल (timolol) प्रभावी साबित हुए हैं। अन्य बीटा ब्लॉकर्स को कभी-कभी माइग्रेन के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इन दवाइयों को लेने के बाद माइग्रेन के लक्षणों में सुधार आने में कई हफ्तों तक लग सकते हैं।

अगर आपकी उम्र 60 साल से ज़्यादा हैं, और तम्बाकू खातें हैं, या कोई हृदय या रक्त कोशिकाओं की बिमारी है, तो डॉक्टर आपको दूसरी दवाइयां लेने की सलाह देंगे।

हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कार्डियोवास्कुलर दवाओं (कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स; calcium channel blockers) का एक अन्य वर्ग भी माइग्रेन को रोकने और लक्षणों से राहत पाने में सहायक हो सकता है। वेरापामिल (Verapamil) एक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर है जो माइग्रेन के साथ जुडी दिक्कतों को रोकने में मदद कर सकता है।



संदर्भ

  1. Science Direct (Elsevier) [Internet]; Brazilian Journal of Anesthesiology (English Edition)
  2. ICHD-3 The International Classification of Headache Disorders. [Internet]. International Headache Society. London, United Kingdom. Migraine.
  3. National Health Service [internet]. UK; Retinal migraine
  4. National institute of neurological disorders and stroke [internet]. US Department of Health and Human Services; Migraine Information Page
  5. US Food and Drug Administration (FDA) [internet]; Treating Migraines: More Ways to Fight the Pain

माइग्रेन की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Migraine in Hindi

माइग्रेन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

माइग्रेन पर आम सवालों के जवाब

सवाल 16 साल से अधिक पहले

माइग्रेन किसे हो सकता है?

Dr. Archana Asthana

कुछ खास कारणों की वजह से व्यक्ति विशेष में माइग्रेन होने की आशंका में बढ़ोत्तरी हो सकती है मसलन-

  • पारिवारिक इतिहास: जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या होती है, अधिकांश मरीजों में पाया गया है कि उनके परिवार में माइग्रेन का इतिहास है। जिन मरीजों को एक बार माइग्रेन की समस्या शुरु हो जाती है, उनमें यह समस्या बार-बार देखने को मिलती है।
  • उम्र: 15 से 55 साल की उम्र के बीच के लोगों को माइग्रेन होने की आशंका ज्यादा होती है। देखा गया है कि मरीज को पहला माइग्रेन अटैक 40 साल की उम्र में आता है।
  • लिंग: पुरुषों की तुलना में महिलाएं माइग्रेन का शिकार ज्यादा होती हैं।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

माइग्रेन के नुकसान क्या हैं?

Dr. Nivedita Mule

जिन लोगों को माइग्रेन होता है, उन्हें अक्सर मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। ऐसे लोग ज्यादातर तनाव और अवसाद से परेशान रहते हैं। यही वजह है कि जिन लोगों को यह समस्या होती है, उन्हें तुरंत अपना इलाज कराना चाहिए।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

क्या मासिक धर्म की वजह से माइग्रेन हो सकता है?

Dr. Vikas Banerjee

माइग्रेन से पीड़ित लगभग 50 फीसदी महिलाओं का कहना है कि मासिक धर्म सीधे उनके माइग्रेन को प्रभावित करता है। दरअसल मासिक धर्म में, सिर्फ पीरियड्स ही नहीं, पूरे साइकिल के दौरान महिलाएं शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती हैं। ऐसे में माइग्रेन जैसी समस्या होने की आशंका हो जाती है।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

माइग्रेन से होने वाली बीमारी के बारे में बताएं?

Dr. Arvind Swamy

अगर आपको माइग्रेन है तो आप कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान हो सकते हैं या फिर भविष्य में इन बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारियां इस प्रकार हैं-

तनाव: अगर आपको एपिसोडिक माइग्रेन है, तो आपको सामान्य लोगों की तुलना में, जिन्हें माइग्रेन नहीं है, डिप्रेशन होने का खतरा अधिक हो सकता है। अलबर्ट आइंस्टीन कॅालेज आफ मेडिसिन में न्यूरोलॅाजी के प्रोफेसर और वाइस चैंसलर डॅा. लिपटन कहते हैं, ‘अगर आपको क्रॅानिक माइग्रेन (महीने या 15 दिनों में एक बार) है तो डिप्रेशन होने का खतरा दुगना हो जाता है।

एंग्जाइटी: अमेरिकन माइग्रेन फाउंडेशन के अनुसारए क्रॅानिक माइग्रेन वाले लोगों में अवसाद विकार होने की संभावना से भी अधिक एंग्जाइटी होती है। माइग्रेन से पीड़ित लगभग आधे लोगों में डिप्रेशन भी है।

स्ट्रोक: कुछ अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि माइग्रेन का संबंध स्ट्रोक से भी है।

एपिलेप्सी: सीजर (seizure) डिसआर्डर और माइग्रेन दोनों की वजह से ही मूड स्विंग होता है। ऐसे में अगर आपको कोई भी एक बीमारी है तो अन्य बीमारी होने की आशंका अपने आप बढ़ जाती है।

हृदय रोग: एक अध्ययन से यह पता चला है कि जो लोग माइग्रेन से पीड़ित होते हैं, उनमें हृदयाघात से लेकर हृदय रोग जैसे उच्च रक्तचाप और डायबिटीज की आशंका में बढ़ोत्तरी हो जाती है।

अस्थमा: हालांकि अस्थमा रेसपिरेटरी डिसआर्डर है और माइग्रेन न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर है, इसके बावजूद दोनों बीमारियां एक साथ हो सकती हैं।

मोटापा : अगर आपको माइग्रेन है, साथ ही मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आपकी यह स्थिति माइग्रेन को और भी खतरनाक बना सकती है। इसके विपरीत अगर आपको कभी माइग्रेन की समस्या नहीं हुई, लेकिन आप मोटापे से परेशान हैं तो ऐसे में माइग्रेन होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों से इस बात का पता चला है कि जिनका समय के साथ-साथ वजन बढ़ता जाता है, उनमें माइग्रेन होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

पेन डिसआर्डरर : माइग्रेन होने पर कई किस्म के दर्द जैसे फायब्रोमायल्गिया, कंधे, गर्दन और पीठ के पुराने दर्द और कई प्रकार के सिर दर्द भी होने की आाशंका बढ़ जाती है। माइग्रेन और दूसरे किस्म के दर्द का आपस में क्या वास्ता है, यह कहना मुश्किल है। लेकिन ऐसा होता है।

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम: यह कहना तो मुश्किल है कि रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, जिसमें मरीज को अपने पैरों को हिलाने की इतनी अर्ज होती है, जिससे रात की नींद से लेकर दैनिक जीवनशैली भी प्रभावित होती है, का माइग्रेन से क्या संबंध है। लेकिन माइग्रेन होने की वजह से यह समस्या भी होने लगती है।