पिण्ड का अर्थ है भ्रूण (जिसे अँग्रेज़ी में एंब्रीयो या फीटस कहते हैं) इस आसन में आप भ्रूण की जैसी मुद्रा में होते हैं, इसलिए आसन का नाम पिण्डासन रखा गया है।

इस लेख में पिण्डासन करने के तरीके व उससे होने वाले लाभों के बारे में बताया गया है। साथ ही लेख में यह भी बतायाा गया है कि पिण्डासन के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए। 

 

  1. पिण्डासन के फायदे - Pindasana ke fayde
  2. पिण्डासन करने से पहले यह आसन करें - Pindasana karne se pehle yeh aasan kare
  3. पिण्डासन करने का तरीका - Pindasana karne ka tarika
  4. पिण्डासन का आसान तरीका - Pindasana ka aasaan tarika
  5. पिण्डासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Pindasana karne me kya savdhani barte
  6. पिण्डासन करने के बाद आसन - Pindasana karne ke baad aasan

हर आसन की तरह पिण्डासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:

  1. बाज़ुओं, कंधों और गर्दन की मांसपेशियों को मज़बूत करता है।
  2. कूल्हों और घुटनों का लचीलापन बढ़ाता है।
  3. पैरों के पद्मासन में होने से पेट के दोनों किनारों पर बराबर दबाव आता है और कब्ज से राहत मिलती है।
  4. पेट दर्द में भी इस आसन को करने से राहत मिलती है। (और पढ़ें – पेट दर्द के कारण)
  5. दिमाग़ को शांत करता है और आपके शरीर और दिमाग़ में स्थिरता लाता है।

(और पढ़ें - ध्यान लगाने की विधि)

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  1. सेतुबंधासन (Setu Bandahasana or Bridge Pose)
  2. विरासन (Virasana or Hero Pose)
  3. सर्वांगासन (Savangasana or Shoulderstand)
  4. हलासन (Halasana or Plow Pose)
  5. कर्नापीड़ासन (Karnapidasana or Ear Pressure or Knee to Ear Pose)
  6. ऊर्ध्व पद्मासन (Urdhva Padmasana or Inverted Lotus Pose)

पिण्डासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें। पिण्डासन करने से पहले आप सुनिश्चित करें कि आपको हलासन में कोई परेशानी नहीं है।

  1. पीठ के बल सीधे लेट जायें। बाज़ुओं को सीधा पीठ के बगल में ज़में पर टिका कर रखें।
  2. साँस अंदर लेते हुए दोनो टाँगों को उठा कर हलासन में ले आयें। याद रहे कि कोहनियों को ज़मीन पर टिकाए हुए दोनो हाथों से पीठ को सहारा देना है। इस मुद्रा में 1-2 साँस अंदर और बाहर लें और यह पक्का कर लें की आपका संतुलन सही है।
  3. अब टाँगों को पद्मासन मुद्रा में ले आयें।
  4. स्टेप 1 से 3 की जगह आप ऐसे भी कर सकते हैं: सीधे दंडासन में बैठ जायें, फिर पद्मासन में आ जायें, और फिर पीठ के बल लेट जायें।
  5. हाथों को अब आगे लाकर हाथों से दोनो पैरों को नीचे की तरफ मोड़ें ताकि आपके घुटने आपके चेहरे के करीब आ जायें (ऊपर दी गयी तस्वीर देखें)। अगर संतुलन बाए रखना संभव ना हो तो उन्हे पीठ को सहारा देती हुई मुद्रा में ही रखें।
  6. दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है संतुलन बनाए रखने में तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं।
  7. अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को वापिस ले आयें। शुरुआत में कम देर करें (30 सेकेंड भी पर्याप्त है) और धीरे धीरे समय बढ़ायें।

(और पढ़ें कम सुनने के उपाय

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  1. अगर आपकी गर्दन में लचीलापन कम हो तो कंधों के नीचे एक तौलिया लगा लें ऐसा करने से गर्दन को आराम मिलेगा।
  2. अगर आपको पद्मासन में आने में कठिनाई हो तो आप सिर्फ़ पैरों को चौकड़ी मार सकते हैं या सुखासन में रख सकते हैं।
  3. अगर आपको संतुलन बनाए रखने में दिक्कत हो तो हाथों से पीठ को सहारा देना के बजाए पीठ को सहारा दे सकते हैं।

(और पढ़ें - पेट में गैस का इलाज)      

  1. रीढ़ की हड्डी, तीव्र सिरदर्द या हाई बीपी की समस्या हो तो यह आसन ना करें। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज​)
  2. घुटने, टखने, कंधे, गर्दन या कूल्हे में चोट हो तो ऊर्ध्व पद्मासन ना करें।
  3. ऊर्ध्व पद्मासन करने से पहले आप सुनिश्चित करें कि आपको हलासन में कोई परेशानी नहीं है।
  4. क्यूंकी यह एक कठिन आसन है, इसे शुरुआत में किसी गुरु के निर्देशन में ही करें।
  5. अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।

(और पढ़ें - प्राणायाम क्या है

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  1. मत्स्यासन (Matsyasana or Fish Pose)
  2. उत्तान पादासन (Uttana Padasana or Raised Legs Pose)
  3. शीर्षासन (Sirsasana or Headstand)
  4. बद्ध पद्मासन (Baddha Padmasana or Bounded Lotus Pose)

(और पढ़ें- हृदय रोग का इलाज

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