योग विज्ञान में ऐसे कई योगासन मौजूद हैं, जो हमारे जीवन को सम्पूर्ण रूप से आरामदायक बनाने में सहायता प्रदान करते हैं. यदि किसी व्यक्ति को शारीरिक, आध्यात्मिक और मानसिक तीनों आवश्यकताओं को पूरा करना है, तो उसके लिए भी एक विशेष योग आसन मौजूद है जिसका नाम है पर्वतासन. शरीर को मजबूती प्रदान करने में यह योग आपके लिए लाभकारी हो सकता है. इस लेख में हम पर्वतासन योग का अर्थ, फायदे और प्रक्रिया के बारे में जानेंगे.

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  1. पर्वतासन क्या है?
  2. पर्वतासन कैसे करें?
  3. पर्वतासन के लाभ
  4. पर्वतासन में क्या सावधानी बरतें
  5. सारांश
पर्वतासन के फायदे और करने का तरीका के डॉक्टर

पर्वतासन को अष्टांग योग का आसन माना गया है. यह बैठने की सबसे महत्वपूर्ण मुद्राओं में से एक है. इसमें पैरों को पद्मासन या कमल मुद्रा में रखा जाता है, जबकि शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर की ओर खींचा जाता है. इस प्रकार यह सुखासन का ही एक प्रकार है.

पर्वतासन का अंग्रेजी नाम माउंटेन पोज है. यह योगासन एक प्रकार की मुद्रा है, जो मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद है.

पर्वतासन नाम संस्कृत के शब्दों से आया है, जहां पर्वत का अर्थ है "पर्वत" और "आसन" का अर्थ "योग मुद्रा" से है. इसे करते समय शरीर की मुद्रा किसी पर्वत के समान नजर आती है. ये योगासन खासकर उन लोगों के लिए, जो खड़े होकर योगासन नहीं कर सकते. अगर यही योगासन खड़े होकर किया जाए, तो इसे ताड़ासन कहा जाता है.

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पर्वतासन योग में हमारे पैर पद्मासन या कमल मुद्रा में होते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं कि इसे कैसे करना चाहिए-

  • सबसे पहले फर्श पर दंडासन स्थिति में पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं और हाथों को शरीर के बगल में रखें.
  • अब पद्मासन की मुद्रा में बैठें यानी आपका दाहिना पैर बाईं जांघ पर और बायां पैर दाहिनी जांघ पर होगा.
  • इसके बाद लंबी गहरी सांस लेते हुए हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में लाएं और हाथों को सीधा सिर के ऊपर ले जाएं.
  • अब अपने शरीर और हाथों को ऊपर की ओर खींचें.
  • 30-40 सेकंड तक ऐसे ही रहें और सामान्य गति सांस लेते रहें.
  • फिर सांस छोड़ते हुए हाथों के नीचे लाएं.
  • ध्यान रखें कि आपको पर्वतासन योग को नियमित रूप से पूरे अनुशासन के साथ करना है. ऐसा करने से निर्धारित समयावधि में आपको सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा.

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पर्वतासन करने से होने वाले लाभ के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है -

  • पर्वतासन करने से शरीर का संतुलन बेहतर हो सकता है.
  • यह रीढ़ की हड्डी को बेहतर करता है और पीठ की मांसपेशियों को सीधा करता है.
  • इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर मजबूत बनता है और शरीर का ढीलापन भी दूर होता है.
  • पर्वतासन योग कंधों और पीठ में तनाव को भी दूर करता है.
  • यह योगासन स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप से लाभ पहुंचाता है और शीघ्रपतन के रोग में पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
  • कंधों की मजबूती के लिए पर्वतासन कारगर है और इससे पैरों की ताकत भी बढ़ती है.
  • पर्वतासन योग हृदय चक्र को भी सक्रिय करता है.
  • फेफड़ों या सांस की बीमारियों से निजात पाने के लिए पर्वतासन से बेहतर कोई उपाय नहीं है.
  • गर्भाशय के रोगों को दूर करने और गर्भावस्था के बाद त्वचा के लचीलेपन को खत्म करने के लिए यह योग करना चाहिए.

जिस व्यक्ति को शीघ्रपतन की समस्या हो, उसे यह आसन अवश्य करना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक इस आसन से यह समस्या ठीक हो सकती है.

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  • विशेषज्ञों के अनुसार, जब आप सुबह जल्दी अभ्यास करते हैं, तो पर्वतासन करना सबसे अच्छा माना जाता है. इसे प्रातःकाल में करने की प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि इस समय शरीर में आसन करने की ऊर्जा होती है.
  • किसी कारणवश आप सुबह इसका अभ्यास नहीं कर सकते, तो आप शाम को भी  पर्वतासन का अभ्यास कर सकते हैं, लेकिन योगासन के समय और भोजन के बीच कम से कम 3-5 घंटे का अंतर होना चाहिए.
  • यदि आपको कार्पल टनल सिंड्रोम है, तो इस योग के पूर्ण विस्तार का अभ्यास न करें, क्योंकि यह हाथों और कलाइयों पर अधिक दबाव डालता है. इसकी जगह अपने हाथों को जमीन पर टिकाकर यह आसन करें.
  • पर्वतासन योग को करते समय हाथों को नीचे की ओर नहीं झुकाना चाहिए. साथ ही कमर और हाथों की उंगलियों को सीधा रखना चाहिए.

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पर्वतासन एक विशेष योगासन है, जिसके नियमित और अनुशासित अभ्यास से लक्षित समय अवधि में मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकता है. ध्यान रखें कि इस योगासन को विधि अनुसार करें और अगर पर्वतासन योगाभ्यास के दौरान आपको कोई दर्द या परेशानी महसूस होती है, तो कृपया मुद्रा से बाहर निकलें और योग विशेषज्ञ की देखरेख में करें.

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Dr. Smriti Sharma

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