नवजात शिशुओं के पूरे शरीर की त्वचा के साथ-साथ सिर की त्वचा भी कोमल व नरम होती है। लेकिन कुछ नवजात शिशुओं के सिर (खोपड़ी) की त्वचा कठोर, खुरदरी और पपड़ीदार बन जाती है।

यदि आप अपने शिशु की खोपड़ी की त्वचा पर खुरदरे चकत्ते बने हुऐ देखते हैं, तो आपको चिंता हो सकती है कि कहीं यह कोई गंभीर समस्या तो नहीं है। लेकिन शिशु के सिर पर सफेद पपड़ी बनना कोई हानिकारक समस्या नहीं होती है, यह शिशुओं को होने वाले डैंड्रफ का एक प्रकार होता है।

(और पढ़ें - नवजात शिशु व बच्चों की देखभाल)

  1. क्रेडल कैप क्या है - What is Cradle cap in Hindi
  2. क्रेडल कैप के लक्षण क्या हैं - Cradle cap Symptoms in Hindi
  3. नवजात शिशु के सिर पर सफेद पपड़ी के कारण - Cradle cap Causes & Risk Factors in Hindi
  4. नवजात शिशु के सिर में पपड़ी जमने से बचाव - Prevention of Cradle cap in Hindi
  5. क्रेडल कैप का परीक्षण - Diagnosis of Cradle cap in Hindi
  6. नवजात शिशु के सिर में पपड़ी का इलाज - Cradle cap Treatment in Hindi
  7. क्रेडल कैप की जटिलताएं - Cradle cap Complication in Hindi

क्रेडल कैप क्या है?

शिशुओं की खोपड़ी की त्वचा पर विकसित होने वाले पीले रंग के पपड़ीदार व चिकनाई युक्त पैचेज (धब्बे) को क्रेडल कैप कहा जाता है। यह स्थिति काफी आम होती है और अक्सर शिशु के जीवन के पहले 3 महीनों में ही विकसित हो जाती है। क्रेडल कैप सामान्य रूप से सुरक्षित होता है और बहुत ही कम मामलों में इससे किसी प्रकार की समस्या विकसित होती है।

क्रेडल कैप को अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे क्रस्टा लैक्टिया, हनीकोंब डिजीज, मिल्क क्रस्ट, पिटीरायसिस कैपिटिस और इन्फेंटाइल सेबोरियोइक डर्मेटाइटिस आदि।

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शिशु के सिर पर पपड़ी होने से क्या लक्षण होते हैं?

यदि आपके शिशु को क्रेडल कैप है, तो उसकी खोपड़ी चिकनी (तेल युक्त) दिखाई देती है। ऐसे में शिशु के सिर में सफेद, पीले या गहरे रंग के पपड़ीदार पैच (धब्बे) बन जाते हैं। कुछ मामलों में चकत्तों का रंग शिशु की त्वचा के रंग पर भी निर्भर करता है। समय के साथ-साथ खोपड़ी से ये पपड़ीदार चकत्ते उतरने लग जाते हैं।

क्रेडल कैप से होने वाले कुछ सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • सिर की ऊपरी त्वचा में पपड़ीदार पैच बनना या मोटी परत बन जाना
  • सूखी या तेल युक्त त्वचा के ऊपर पीले रंग की परतदार पपड़ी बनना
  • कुछ मामलों में हल्की लालिमा भी दिखाई दे सकती है

डॉक्टर को कब दिखाएं?

निम्न स्थितियों में अपने शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं:

  • घर पर किए गए इलाज सफल ना हो पाना
  • सिर के पैच शिशु के चेहरे या शरीर तक फैल जाना

शिशु के सिर पर पपड़ी क्यों बनती है?

अभी तक क्रेडल कैप के सटीक कारण का पता नहीं लग पाया है, लेकिन यह किसी प्रकार की एलर्जी, बैक्टीरियल इन्फेक्शन और स्वच्छता आदि ना रखने के कारण नहीं होता है।

यह सिबेशियस ग्लैंड के ऑवरएक्टिव (अधिक क्रियाशील होना) होने या फंगल इन्फेक्शन या फिर दोनों स्थितियों के कारण हो सकता है:

सिबेशियस ग्लैंड

सिबेशियस ग्लैंड (Sebaceous gland) त्वचा में पाई जाने वाली एक ग्रंथि होती है, जो एक तेल जैसा पदार्थ बनाती है जिसे “सीबम” (Sebum) कहा जाता है।

सिबेशियस ग्लैंड ऑवरएक्टिव हो जाने पर वह अधिक मात्रा में सीबम बनाने लग जाती है, जिस कारण से त्वचा की पुरानी कोशिकाएं नष्ट नहीं हो पाती। अधिक सीबम बनने के कारण पुरानी कोशिकाएं त्वचा से अलग नहीं हो पाती और त्वचा से ही चिपकी रहती हैं। 

फंगल इन्फेक्शन

यदि मां शिशु को जन्म देने से पहले एंटीबायोटिक दवाएं ले रही थी, तो इसके परिणामस्वरूप शिशु को फंगल संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा यदि शिशु के जन्म लेने के बाद उसे एंटीबायोटिक दवाएं दी गई हैं, तो भी उसे फंगल इन्फेक्शन हो सकता है।

एंटीबायोटिक दवाएं हानिकारक व बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को मारने के साथ-साथ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देती है, जो फंगल इन्फेक्शन जैसे रोगों से शरीर को बचाते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि जिन शिशुओं को क्रेडल कैप होता है, उसके परिवार में अक्सर किसी ना किसी को एक्जिमा या अस्थमा होता है।

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शिशु के सिर में सफेद पपड़ी की रोकथाम करें?

जब क्रेडल कैप के लक्षणों को कंट्रोल कर लिया जाता है, तो नियमित रूप से शिशु के सिर को शैम्पू से धो कर और सिर पर नरम ब्रश का इस्तेमाल करके लक्षणों को फिर से होने से रोका जा सकता है। आप शिशु के डॉक्टर से यह भी पूछ सकते हैं, कि शिशु के सिर को कैसे व दिन में कितनी बार धो सकते हैं।

क्रेडल कैप को फिर होने से रोकथाम करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार की हाइड्रोकोर्टिसोन क्रीम, लोशन या मलम आदि दे सकते हैं।

(और पढ़ें - नवजात शिशु को नहलाने का तरीका)

क्रेडल कैप की जांच कैसे की जाती है?

क्रेडल कैप एक बहुत ही आम समस्या होती है, यदि आपके शिशु को यह स्थिति है तो डॉक्टर देखने मात्र से ही इस समस्या का पता लगा लेते हैं। क्रेडल कैप का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर शिशु के सिर व शरीर के अन्य हिस्सों की त्वचा की जांच करते हैं। इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए शिशु का किसी प्रकार का टेस्ट करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

क्रेडल कैप का इलाज कैसे किया जाता है?

आमतौर पर शिशु के सिर पर बनी पपड़ी का इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, यह अपने आप ही ठीक हो जाती है। हालांकि कुछ उपाय हैं, जो क्रेडल कैप से जल्दी छुटकारा पाने में मदद करते हैं, जैसे:

  • धोना:
    शिशु की खोपड़ी को साफ रखना, क्रेडल कैप जैसी समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है। शिशु की खोपड़ी को नियमित रूप से धोते रहने से त्वचा में मौजूद अतिरिक्त तेल साफ होता रहता है। सिर के लिए बेबी शैम्पू का इस्तेमाल करें और हल्के-हल्के मलें। डॉक्टर शिशु के सिर को सामान्य से अधिक बार धोने के लिए भी कह सकते हैं।
    शिशु के सिर को कुछ दिनों में एक बार धोने की बजाए रोजाना धोना पड़ सकता है। डॉक्टर से पूछे बगैर किसी प्रकार का डैंड्रफ शैम्पू या अन्य दवा आदि का इस्तेमाल ना करें। सामान्य लोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं व अन्य प्रोडक्ट शिशुओं के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं।
     
  • ब्रश करें:
    शिशु के बाल व सिर को अच्छे से साफ कर देने के बाद उसके बालों के लिए एक नरम ब्रश इस्तेमाल किया जा सकता है। नरम ब्रश की मदद से खोपड़ी पर बनी क्रेडल कैप की पपड़ी धीरे-धीरे उतरने लग जाती है। ध्यान रखें ब्रश या कंघी को अधिक कठोरता से ना करें।
     
  • लूब्रिकेट (चिकनापन देना):
    यदि आपके डॉक्टर सलाह देते हैं, तो आप शिशु के सिर में शैम्पू व ब्रश करने के बाद कोई अच्छी सी पेट्रोलियम जेली, बेबी ऑयल, ऑलिव ऑयल या कोई मलहम लगा सकते हैं। ऐसा करने से कई मामलों में क्रेडल कैप संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
     
  • दवा लगाना:
    कुछ डॉक्टर शिशु की  खोपड़ी पर लगाने के लिए हाइड्रोकोर्टिसोन जैसी कुछ क्रीम लगाने के लिए दे सकते हैं, लेकिन ये दवाएं सिर्फ तब दी जाती हैं जब सिर की त्वचा में सूजन व जलन होने लगी हो। आमतौर पर इन क्रीम व दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है। डॉक्टर से पूछे बगैर स्टेरॉयड या अन्य किसी भी प्रकार की दवा या क्रीम को शिशु की खोपड़ी में ना लगाएं।

शिशु के सिर पर पपड़ी बनने से क्या जटिलताएं होती हैं?

वैसे तो क्रेडल कैप बहुत ही कम मामलों में कोई गंभीर समस्या बन पाता है, लेकिन अगर इसकी स्थिति बदतर होती जा रही है, तो इस पर नजर रखना बहुत जरूरी है।

क्रेडल कैप के कुछ गंभीर मामलों में निम्न जटिलताएं विकसित हो सकती हैं:

  • खोपड़ी का प्रभावित क्षेत्र लाल होने लग जाना
  • बने हुऐ पैच में खुजली या जलन महसूस होना
  • पपड़ीदार पैच फैल कर चेहरे या शरीर के किसी दूसरे हिस्से पर भी होने लगना
  • डायपर रैश होना
  • शिशु के कान में फंगल इन्फेक्शन हो जाना
  • थ्रश के संकेत दिखाई देना

यदि खोपड़ी पर फंगल इन्फेक्शन है तो यह बार-बार होने लग जाता है और शिशु के शरीर में बैक्टीरिया भी हो जाते हैं।

क्रेडल कैप के कारण खोपड़ी की त्वचा क्षतिग्रस्त होकर खून आ सकता है और इस क्षेत्र में बैक्टीरिया भी पैदा हो सकते हैं।

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