दुनियाभर में छोटे बच्चे के इम्यूनाइजेशन यानी प्रतिरक्षण के लिए टीकाकरण अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन अगर छोटी उम्र में ही बच्चों में आयरन की कमी हो तो इससे टीकाकरण से मिलने वाली सुरक्षा में कमी आ सकती है। शोधकर्ताओं ने केन्या में बच्चों के लिए चलाए जा रहे इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम से जुड़े दो अध्ययनों के आधार पर यह जानकारी दी है। पहला अध्ययन केन्या, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड और अमेरिका के वैज्ञानिकों के एक समूह ने किया। उन्होंने जन्म के बाद से 18 महीनों तक की उम्र के 303 केन्याई बच्चों के शरीर में आयरन और रोग प्रतिरोधकों के लेवल का पता लगाया। इसके लिए बच्चों के ब्लड सैंपल लिए गए।

रिपोर्टों के मुताबिक, सैंपल लिए जाने के बाद उनको अलग-अलग संक्रमणों और खूनी डायरिया से निकृष्ट किया गया। इस प्रयोग में पता चला कि बच्चों के शरीर के आयरन रिजर्व काफी कमजोर हैं। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और मानव पोषण के प्रोफेसर माइकल जिमरमैन ने बताया कि आयरन की यह कमी बच्चों में पैदा होने के दो से तीन महीनों में ही होने लगती है। उन्होंने कहा, 'स्विट्जरलैंड में बच्चे आयरन संग्रह के साथ पैदा होते हैं, जोकि उनके शुरुआती छह महीनों के जीवनकाल के लिए काफी होता है। लेकिन केन्या और सब-सहारा के अन्य देशों के बच्चों में आयरल की काफी ज्यादा कमी है। जिन गर्भवती महिलाओं में खून की कमी है या जो बच्चे कम वजन के साथ पैदा होते हैं, उनमें आयरन की कमी विशेष रूप से होती है।'

अध्ययन में यह भी पता चला कि शोध में शामिल किए गए बच्चों में से आधे से ज्यादा पहले से अनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित थे और उनमें यह समस्या पैदा होने के दस हफ्तों बाद ही विकसित हो गई थी। 24 हफ्ते पूरे होते-होते 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों में हीमोग्लोबिन की कमी हो गई थी और लाल रक्त कोशिकाएं भी कम होने लगी थीं। विश्लेषण के आधार पर प्रोफेसर माइकल और उनकी टीम ने निष्कर्ष निकाला कि आयरन की कमी के चलते कई प्रकार के वैक्सिनेशन के बाद भी 18 महीनों तक के बच्चों में डिप्थीरिया, न्यूमोकॉकल और अन्य कई प्रकार के रोगाणुओं के खिलाफ सुरक्षा देने वाले एंटीबॉडी की कमी है और ऐसा उन नवजातों में ज्यादा है, जिनमें खून की कमी नॉन-एनमिक (बिना खून की कमी वाले) बच्चों से ज्यादा है।

वहीं, दूसरे अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छह महीने से थोड़ा ज्यादा उम्र वाले 127 बच्चों को दिए जाने वाले एक पाउडर की जांच की, जिसमें कई प्रकार के पोषक तत्व मिले होते हैं। अध्ययन में पाया गया कि 85 बच्चों के पाउडर में आयरन भी मिलाया गया था। वहीं, 42 बच्चों को किसी भी तरह का आयरल युक्त सप्लिमेंट नहीं दिया गया था। इन बच्चों को नौ महीने पूरे होने पर जब खसरे के टीके लगे तो उनमें इम्यून रेस्पॉन्स उन बच्चों से काफी कम पाया गया, जिनके आहार में आयरन को शामिल किया गया था। यह अंतर दो प्रकार का था। आयरन प्राप्त बच्चों के शरीर में जन्म के 12 महीने पूरे होने पर खसरे के खिलाफ न सिर्फ ज्यादा रोग प्रतिरोधक पाए गए, बल्कि अन्य कई प्रकार के रोगाणुओं की पहचान करने के मामले में भी उनके एंटीबॉडी ज्यादा बेहतर साबित हुए।

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