रविवार की सुबह 61 वर्षीय सद्गुरु जग्‍गी वासुदेव ने बताया कि वो हे फीवर की वजह से अपनी ऑस्‍ट्रेलिया यात्रा को रद्द नहीं करने वाले हैं।

मेलबर्न में अपनी 3 मिनट की वीडियो में ‘ईशा फाउंडेशन’ के संस्‍थापक और धार्मिक वक्‍ता ने कहा कि आधुनिक दवाओं की मदद से जग्‍गी ऑस्‍ट्रेलियन हे फीवर के बावजूद परफॉर्म करने के लिए तैयार हैं।

हे फीवर को एलर्जिक राइनाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। हे फीवर एक प्रकार की एलर्जी है जो धूल के कण, पशु, परागकण, फफूंद, कॉकरोच, धुआं, वायु प्रदूषण, गंध, रंग-पेंट का धुआं, दवाओं आदि के कारण होता है। ये नाक की अंदरूनी परत को प्रभावित कर थकान, बहती या बंद नाक, बार-बार छींक आने, गले में खराश और आंखों से पानी आने जैसे लक्षण पैदा करता है।

इस समस्‍या से बचने का सबसे बेहतर तरीका है एलर्जी से दूर रहना। हालांकि, अगर आप भी सद्गुरु जग्‍गी की तरह बहुत व्‍यस्‍त रहते हैं तो मॉर्डन दवा की मदद से लक्षणों का इलाज हो सकता है। इसके लिए नेज़ल स्‍प्रे से लेकर एंटी-हिस्‍टामाइन (एलर्जी से लड़ने वाली) या एंटी-एलर्जी पिल तक उपलब्‍ध हैं।

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डॉ. अर्चना नरुला का कहना है कि “नेज़ल कोर्टिकोस्‍टेरॉएड से नाक में खुजली या सूजन एवं बहती नाक से राहत मिल सकती है। बहनी नाक और छींक के लिए आपको बिना पर्ची के एंटी-हिस्‍टामाइन दवा मिल सकते हैं। बंद नाक से परेशान मरीजों को सर्दी-खांसी की दवा से सांस लेने में आ रही दिक्‍कत से छुटकारा मिल सकता है।” डॉ. नरुला कहती हैं कि “किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें। आपको बीमार करने वाली एलर्जी का पता लगाने के लिए डॉक्‍टर आपको ब्लड टेस्ट और स्किन टेस्‍ट की सलाह भी दे सकते हैं।”

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परागकण जैसे हानिकारक तत्‍वों के संपर्क में आने पर शरीर द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को एलर्जी कहते हैं। दुनियाभर में एलर्जी के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है। जनवरी, 2017 में ओटोहिनोलैरिनगोलोजी एंड हैड एंड नैक सर्जरी के इंटरनेशन जरनल में प्रकाशित हुई स्‍टडी के अनुसार विश्‍व स्‍तर पर शीर्ष 10 बीमारियों में एलर्जी से होने वाली बीमारियां भी शामिल हैं। भारत में 20 से 30 फीसदी लोग कम से कम एक एलर्जी से संबंधित बीमारी से तो पीडित हैं। इसमें एलर्जिक राइनाइटिस सबसे आम बीमारी है। कुछ मामलों में अस्‍थमा, साइनोसाइटिस और नेज़ल पोलिप्‍स जैसी कुछ स्थितियों की वजह से एलर्जिक राइनाइटिस बिगड़ सकता है। इसका संबंध मध्‍य कान के संक्रमण से भी है।

आहार और व्यायाम से एलर्जी का इलाज संभव नहीं है। सेहत विशेषज्ञों की मानें तो स्‍वस्‍थ लोग एलर्जी से ज्‍यादा बेहतर तरीके से अपना बचाव कर सकते हैं। डॉक्‍टर अधिक मात्रा में तरल और विटामिंस, मिनरल्‍स एवं ओमेगा 3 फैटी एसिड से युक्‍त आहार लेने की सलाह देते हैं। इससे संक्रमण से लड़ने और इम्‍युनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है। वीडियो में सद्गुरु ने भी यही कहा है कि इन सब बातों का ध्‍यान रखकर एलर्जी से बचा जा सकता है।

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जग्‍गी कहते हैं कि “जब हमारे शरीर को कहीं बाहर से संक्रमण होता है तो हमे मेडिकल सहायता की जरूरत होती है। लेकिन दुनिया में लगभग 70 फीसदी बीमारियां हमारे शरीर में खुद उत्‍पन्‍न होती हैं। इनमें गंभीर बीमारियां शामिल हैं। इससे बचने के लिए हमें अपने उठने-बैठने, काम करने, सांस लेने और खाने के तरीके में बदलाव करने की जरूरत है। स्‍वस्‍थ रहने के लिए हमे हैल्‍थ कल्‍चर बनाने की आवश्‍यकता है।

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