मोटापे की वजह से कोविड-19 से मरने का खतरा 48 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाइना (यूएनसी), वर्ल्ड बैंक और सऊदी हेल्थ काउंसिल के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन के आधार पर यह जानकारी दी है। जानकारों के मुताबिक, इससे इस थ्योरी को और बल मिल गया है कि कोविड-19 की वैक्सीन का असर शायद मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए कम प्रभावी साबित हो। हाल के दिनों में इस विषय पर कुछ नए अध्ययन सामने आए हैं। इनमें बताया गया है कि मोटापा कोविड-19 की गंभीरता को बढ़ा सकता है और इस समस्या से पहले से पीड़ित लोगों के लिए कोविड-19 की कोई भी वैक्सीन संभावित रूप से कारगर साबित न हो।

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ताजा अध्ययन के परिणामों की खोज के लिए वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में हुई 75 से ज्यादा स्टडीज का डेटा इस्तेमाल किया। इनमें करीब चार लाख मरीजों की जानकारी थी। उनके विश्लेषण से शोधकर्ताओं ने जाना कि मोटापे से जूझ रहे लोगों के न सिर्फ कोविड-19 से मरने का खतरा 48 प्रतिशत ज्यादा है, बल्कि अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौतें होने की आशंका 113 प्रतिशत है। साथ ही, आईसीयू में जाने का जोखिम 74 प्रतिशत तक है।

ओबेसिटी रिव्यूज नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि मोटापे के चलते शरीर में इनफ्लेमेशन जैसे मेटाबॉलिक बदलाव आते हैं और इंसुलिन को इस्तेमाल करने वाली क्षमता प्रभावित होती है। इससे संक्रमणों के खिलाफ लड़ने की शरीर की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा, मोटापे से जूझ रहा व्यक्ति अगर डायबिटीज से भी पीड़ित है तो संक्रमण फैलने से उसका ब्लड ग्लूकोज का लेवल भी अनियंत्रित हो सकता है। इससे बीमारी के खिलाफ पैदा होने वाला इम्यून रेस्पॉन्स बिगड़ सकता है।

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इस बारे में यूएनसी की डॉ. मेलिंडा बेक का कहना है, 'मोटापे से परेशान लोगों को और शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं, जिससे इस बीमारी (कोविड-19) से लड़ना और मुश्किल हो सकता है। इनमें स्लीप एपनिया (सोते समय सांस रुकने और बार-बार करवटें बदलने से जुड़ा एक विकार) भी शामिल है, जो फेफड़ों से संबंधित हाइपरटेंशन को बढ़ाता है या बॉडी मास इंडेक्स की समस्या हो सकती है, जिससे अस्पताल में नली के जरिये सांस देने में ज्यादा परेशानी होती है।' ऐसे में इन शोधकर्ताओं ने सरकारों से अपील की है कि वे मोटापे को कम करने के मुद्दे पर ध्यान दें। मसलन, हाई शूगर, फैट और सॉल्ट वाले पैकेट बंद फूड आइटमों के लेबल पर चेतावनी जारी की जाए। इसके अलावा बच्चों के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग को भी सीमित किया जा सकता है।

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मोटापे की स्थिति में कोविड-19 होने से मरने की आशंका का बढ़ जाना हैरान करने वाली जानकारी नहीं है। कई वजह हैं जो बताती हैं कि अगर किसी मोटे व्यक्ति को नए कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए तो इससे उसकी मौत भी हो सकती है। मोटापे के चलते इससे पीड़ित लोगों में पहले से और भी कई शारीरिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। जैसे कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम जिसमें मोटापे के साथ, हाइपरटेंशन, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का असामान्य रूप से बढ़ना शामिल है। ये तमाम फैक्टर्स हृदय रोग के खतरे को बढ़ाने का काम करते हैं। जिस मरीज का मेटाबॉलिक सिंड्रोम जितना ज्यादा होगा, उसके कोविड-19 से मरने की आशंका उतनी ज्यादा होगी।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: मोटापे के चलते कोरोना वायरस से मौत का खतरा 48 प्रतिशत ज्यादा- अध्ययन है

संदर्भ

  1. Popkin BM et al. Individuals with obesity and COVID‐19: A global perspective on the epidemiology and biological relationships. Obesity Reviews. 2020 Aug; 1-17.
  2. The Lancet Diabetes & Endocrinology. Obesity and COVID-19: Blame isn't a strategy.. 2020 Sep; 8(9): 731.
  3. Xie J et al. Metabolic Syndrome and COVID-19 Mortality Among Adult Black Patients in New Orleans. Diabetes Care. 2020 Sep; 43(9): 1-6.
  4. Centers for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; People with certain medical conditions.
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