कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट दुनिया भर में लोगों को संक्रमित कर रहा है. इसी बीच एक और अधिक म्यूटेशन वाले नए वेरिएंट IHU के उभरने की खबर सामने आई है. इससे संक्रमण की एक और लहर की आशंका बढ़ गई है.
फिलहाल, कोविड-19 के इस नए प्रकार बी.1.640.2 के सबसे ज्यादा मामले फ्रांस में आए हैं, लेकिन ये धीरे-धीरे अन्य देशों में भी फैल रहा है. इस वेरिएंट में 46 म्यूटेशन होने की सूचना मिली है, जो ओमिक्रोन से भी ज्यादा हैं.
आज इस लेख में हम आईएचयू वेरिएंट के बारे में सभी बातें जानेंगे -
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- क्या है आईएचयू वेरिएंट?
- कब सामने आया आईएचयू वेरिएंट?
- कैसे बना आईएचयू वेरिएंट?
- कितना खतरनाक है आईएचयू वेरिएंट?
- किन-किन देशों में फैला आईएचयू?
- धीमी है इसके फैलने की रफ्तार
- सारांश
क्या है आईएचयू वेरिएंट?
दुनिया भर में कोरोना वायरस के अत्यधिक म्यूटेशन वाला वेरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से पैर पसार रहा है. इसी बीच वैज्ञानिकों ने एक और नए वेरिएंट आईएचयू की खोज की है, जिसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है. अब तक ये ज्यादातर फ्रांस में पाया गया है, लेकिन अन्य देशों में भी इसके फैलने की खबर सामने आ रही है.
बी.1.640.2 यानी आईएचयू वेरिएंट की खोज इंस्टिट्यूट्स हॉस्पिटलो-यूनिवर्सिटेयर्स मेडिटेरेनी इंफेक्शन (IHU Mediterranee Infection) के वैज्ञानिकों ने की. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस वेरिएंट में 46 म्यूटेशन हैं, जो ओमिक्रॉन से भी अधिक है. इसी कारण ये वैक्सीन और संक्रामक व्यक्ति के प्रति अधिक प्रतिरोधी है.
दरअसल, शोधकर्ताओं ने जिस आईएचयू वेरिएंट का उल्लेख किया है, वह बी.1.640 है, जो वैश्विक डेटाबेस के अनुसार, पिछले साल जनवरी में पहली बार खोजा गया था. फ्रांसीसी शोधकर्ताओं ने नवंबर में लोगों के बीच जो पाया, उसे अब उप-वंश बी.1.640.2 वेरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
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कब सामने आया आईएचयू वेरिएंट?
वैज्ञानिकों का मानना है कि B.1.640.2 वेरिएंट नया नहीं है. यह कम से कम तीन महीने के आसपास फैलना शुरू हुआ है. फ्रांस के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल इंस्टिट्यूट्स (IHU) के हिस्से मार्सिले में मेडिटेरैनी इंफेक्शन के शोधकर्ताओं द्वारा एक हफ्ते पुराने शोध के प्रसार से इसके चारों ओर अचानक चर्चा शुरू हो गई थी. वैज्ञानिकों ने दक्षिणी फ्रांस में वायरस पैदा करने वाले कोविड-19 के एक स्ट्रेन की पहचान की.
शोधकर्ताओं के अनुसार, पहला मामला एक लैब में किए गए RT-PCR द्वारा एक व्यस्क में 2021 नवंबर के मिड में कलेक्ट किए गए नासोफेरींजल सैंपल में पॉजिटिव डायग्नोज हुआ था. आईएचयू वेरिएंट के बारे में पहली बार तभी पता चला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बी.1.640.2 को वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत किया है. ये एक प्रकार की एंट्री-लेवल कैटेगिरी है, जिसे नजर रखने लायक माना जाता है.
शोधकर्ताओं ने दक्षिण-पूर्वी फ्रांस के मार्सिले में रहने वाले 12 लोगों के बीच इस नए आईएचयू वेरिएंट के होने की रिपोर्ट की, जिनमें से पहला कैमरून की यात्रा से लौटा था. शोधकर्ताओं ने कहा कि इन लोगों में पाया जाने वाला वेरिएंट बहुत कुछ वैसा ही था, जैसा उन्होंने पहले पाया था और जिसका नाम IHU रखा गया था.
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कैसे बना आईएचयू वेरिएंट?
29 दिसंबर को प्रीप्रिंट रिपोजिटरी मेडरिव पर पोस्ट किए गए पीयर-रिव्यू शोध से पता चला है कि IHU में 46 म्यूटेशन और 37 डिलीशंस हैं. इसके परिणामस्वरूप 30 अमीनो एसिड सब्स्टिटूशन और 12 डिलीशंस हैं. अमीनो एसिड ऐसे मोलिक्यूल होते हैं, जो आपस में जुड़कर प्रोटीन बनाते हैं. अमीनो एसिड और प्रोटीन दोनों ही शरीर के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं. N501Y और E484K सहित 14 अमीनो एसिड सब्स्टिटूशन और 9 डिलीशंस स्पाइक प्रोटीन में मौजूद हैं.
हाल ही में इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीनेशंस सार्स-कोविड-2 के स्पाइक प्रोटीन पर लक्षित हैं, जिसका उपयोग वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने के लिए करता है. N501Y और E484K म्यूटेशन पहले बीटा, गामा, थीटा और ओमिक्रॉन वेरिएंट में भी पाए गए थे. शोधकर्ताओं ने कहा कि इनमें मिले जीनोम के म्यूटेशन सेट और फाइलोजेनेटिक स्थिति आईएचयू नामक एक नए वेरिएंट की ओर संकेत देती है.
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कितना खतरनाक है आईएचयू वेरिएंट?
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन से सुरक्षा के संबंध में अभी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी. हालांकि, इसके खतरनाक होने के बारे में एपिडेमोलॉजिस्ट एरिक फीगल-डिंग ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि नए वेरिएंट सामने आते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अधिक खतरनाक होंगे. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि जो चीज किसी वेरिएंट को अधिक फेमस और खतरनाक बनाती है, वह मूल वायरस के होने वाले म्यूटेशन की संख्या को गुणा करने की क्षमता है.
आईएचयू वेरिएंट को अफ्रीकी देश कैमरून से लिंक किया जा रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस नए वेरिएंट के रिस्की होने के बारे में अभी कहना जल्दबाजी होगी. यह तब होता है, जब यह ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ बन जाता है - जैसे ओमिक्रॉन. यह देखना बाकी है कि यह नया वेरिएंट किस श्रेणी में आता है.
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किन-किन देशों में फैला आईएचयू?
जीनोम सीक्वेंसिंग डेटाबेस में अलग-अलग वेरिएंट की व्यापकता को ट्रैक करने वाली वेबसाइट आउटब्रेक डॉट इंफो के मुताबिक, अब तक आईएचयू वेरिएंट वाले कम से कम 400 संक्रमणों की पहचान की जा चुकी है. ये मामले तकरीबन 19 देशों से सामने आए हैं. इस वेरिएंट के सबसे ज्यादा सीक्वेंस फ्रांस से आए हैं, जहां अब तक 287 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
जर्मनी से 17 और यूनाइटेड किंगडम से 16 मामले हैं, लेकिन जिस देश में यह प्रकार सबसे अधिक प्रसारित हो रहा है वह कांगो है. वहां अब तक किए गए 454 जीनोम सीक्वेंस में से 39 बी.1.640 वंश के हैं. हैरानी की बात ये है कि भारत ने कोविड के जिन 90,000 जीनोम सीक्वेंस की डिटेल्स वैश्विक डेटाबेस में दर्ज की है, उनमें से एक सीक्वेंस आईएचयू वेरिएंट में भी मौजूद है.
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धीमी है इसके फैलने की रफ्तार
आईएचयू वेरिएंट में मौजूद बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण म्यूटेशन ने शोधकर्ताओं को इस ओर अधिक रिसर्च करने पर जागरूक किया है और जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है, लेकिन आईएचयू उस दर से नहीं फैल रहा है, जो परेशान करने वाली हो. ऐसे में यह निश्चित रूप से उतना खतरनाक नहीं है, जितना कि ओमिक्रॉन का फैलाव है.
वेबसाइट प्रकोप डॉट इंफो के मुताबिक, इस वेरिएंट का आखिरी मामला 25 दिसंबर को सामने आया था. उसके बाद ग्लोबल डेटाबेस में कोई नया मामला सामने नहीं आया है. एक ट्वीट में दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने कहा है कि सबूतों को देखते हुए इस समय घबराने या बहुत ज्यादा चिंता करने की कोई बात नहीं है. फिर भी सावधान रहने और अधिक रिसर्च की जरूरत है.
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सारांश
आईएचयू वेरिएंट बी.1.640 फैमिली से है, जिसकी खोज पिछले साल जनवरी में की गई थी. इस नए वेरिएंट को बी.1.640.2 वेरिएंट का नाम दिया गया है, क्योंकि इसमें बी.1.640 के कई स्पाइक प्रोटीन सहित 46 म्यूटेशंस मौजूद हैं. इसका पहला केस फ्रांस के मार्सिले में आया. अब ये तकरीबन 19 देशों में फैल चुका है. ये कितना खतरनाक है, इस बारे में कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इसको लेबल देने के लिए डब्ल्यूएचओ ने अभी इसे अंडर मॉनिटरिंग रखा है. फिलहाल, इस वेरिएंट पर रिसर्च जारी है.
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अस्वीकरण - इस लेख में दी गई जानकारी प्रकाशन के समय सटीक है। हालांकि, जैसे-जैसे COVID-19 की स्थिति विकसित हो रही है, यह संभव है कि प्रकाशन के बाद से कुछ जानकारी और डेटा बदल गए हों। इसलिए, यदि आप इस लेख को इसके प्रकाशन के लंबे समय बाद पढ़ रहे हैं, तो हम आपको लेटेस्ट समाचार और जानकारी WHO और MoHFW से पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
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