अभी हाल ही में इस बात का वर्णन किया गया है कि कुछ एंटरोवायरस- वायरस की एक ऐसी प्रजाति जो अलग-अलग गंभीरता वाले रोगों का कारण बनती है- ऐसे हैं जिनके कारण होने वाला संक्रमण संभावित रूप से डायबिटीज का भी कारण बन सकता है (डायबिटीज को ट्रिगर कर सकता है)। हालांकि इसका सीधा प्रभाव क्या है या फिर आण्विक स्तर पर यह किस तरह से काम करता है इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।

  1. एंटरोवायरस सीवीबी 4 डायबिटीज को ट्रिगर करता है
  2. सीवीबी 4 की तरह सार्स-सीओवी-2 भी डायबिटीज का कारण बन सकता है
  3. एंटरोवायरस फ्लू समेत कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है
  4. पहले के अध्ययन में भी सामने आ चुके हैं ऐसे दावे

स्पैनिश नैशनल कैंसर रिसर्च सेंटर (CNIO) के नबील जौडर की अगुवाई में ग्रोथ फैक्टर्स, न्यूट्रिएंट्स एंड कैंसर ग्रुप के शोधकर्ताओं ने यह दिखाया कि कैसे एंटरोवायरस कॉक्ससैकीवायरस टाइप बी 4 (सीवीबी 4) डायबिटीज को ट्रिगर कर सकता है। उनके इस अध्ययन को सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं की टीम का मानना ​​है कि यह डायबिटीज के इलाज में सहायक हो सकता है। 

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इस बारे में अनुमान लगाते हुए शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के लिए भी प्रासंगिक हो सकती है क्योंकि यह वायरस जिसकी वजह से कोविड-19 बीमारी हो रही है वह डायबिटीज के मरीजों के लिए घातक साबित हो रहा है। अध्ययन के नेतृत्वकर्ता जौडर और उनकी टीम ने सुझाव दिया कि चूंकि सार्स-सीओवी-2 वायरस का रिसेप्टर इंडोक्राइन (अंतःस्रावी) अग्नाशय में होता है इसलिए यह सीवीबी 4 वायरस की ही तरह डायबिटीज का कारण बन सकता है। लेकिन इसमें इम्यून प्रतिक्रिया का कोई रोल नहीं होता क्योंकि यह उससे स्वतंत्र होता है।

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कॉक्ससैकीवायरस, एंटरोवायरस के परिवार से संबंधित है, जिसमें पोलियोवायरस और इकोवायरस भी शामिल है और जो हल्की फ्लू जैसी बीमारियों के साथ ही कई गंभीर बीमारियों जैसे- मायोकार्डिटिसपेरिकार्डिटिसमेनिनजाइटिस या अग्नाशयशोथ (पैनक्रियाटिटिस) का कारण बन सकता है। ऐसे में यह संदेह था कि ये वायरस मनुष्यों में डायबिटीज का कारण बन सकते हैं, लेकिन इनकी आण्विक (मॉलिक्यूलर) प्रक्रिया क्या है, यह अज्ञात है।

इन प्रक्रियाओं को खोजने और उनका वर्णन करने के उद्देश्य से, CNIO के शोधकर्ताओं ने जानवरों के उन मॉडल्स के साथ काम किया जिनमें मनुष्य की उन अग्नाशय कोशिकाओं को आरोपित किया गया था जो CVB4 द्वारा संक्रमित थीं। साथ ही उन्होंने इंसान और चूहों के साथ भी काम किया जिनमें इंसुलिन उत्पादक कोशिकाएं इस वायरस से संक्रमित थीं। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने देखा कि CVB4 संक्रमण यूआरआई, एक प्रोटीन को निष्क्रिय करता है जो कई कोशिकीय गतिविधियों के सामान्य कार्यों को नियंत्रित करता है।

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स्टडी के लीड ऑथर जौडर ने कहा, "एंटरोवायरस पर हमारी जांच के समान, कुछ हालिया क्लिनिकल ​​टिप्पणियों में कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस को संक्रमित मरीजों में डायबिटीज के लिए जिम्मेदार माना गया है। चूंकि सार्स-सीओवी-2 का रिसेप्टर बीटा कोशिकाओं में मौजूद है, इसलिए यह अध्ययन करना दिलचस्प होगा कि क्या यह वायरस URI फ़ंक्शन को भी बदल देता है और PDX1 (इंसुलिन प्रमोटर फैक्टर 1) की अभिव्यक्ति को शांत करता है- पीडीएक्स1, पैनक्रियाज यानी अग्नाशय के विकास के लिए एक आवश्यक यौगिक है- ताकि बीटा-सेल फंक्शन प्रभावित हो जिससे डायबिटीज को बढ़ावा मिलता है।"

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बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मामले और स्टडीज सामने आयी हैं जिसमें यह देखने को मिला कि कोविड-19 होने के बाद वैसे मरीज जिन्हें पहले से डायबिटीज नहीं था उनमें भी डायबिटीज की समस्या विकसित हो गई। 37 साल के एक व्यक्ति की केस स्टडी भी सामने आयी थी जिसमें कोविड-19 होने के तुरंत बाद उस व्यक्ति में डायबिटिक कीटोएसिडोसिस और टाइप 1 डायबिटीज के संकेत विकसित होने लगे। स्टेम सेल नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में इसका कारण यह बताया गया है कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस, इंसान के शरीर में मौजूद अग्नाशय की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार होती हैं। 

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें सार्स-सीओवी-2 वायरल संक्रमण और डायबिटीज के बीच है संबंध, अध्ययन का दावा है

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