ब्राउन और सफेद चीनी के बारे में कई तरह की धारणाएं प्रचलित हैं। इन दोनों को समान स्रोतों से बनाया जाता है। अक्सर ब्राउन शुगर को सफेद चीनी के एक बेहतरीन और सेहतमंद विकल्प के रूप में देखा जाता है। यदि आपको डायबिटीज है तो आपके लिए इन दोनों के बीच के अंतर और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इनके प्रभावों को समझना जरूरी है। इसके अतिरिक्त आपको यह भी पता होना चाहिए कि क्या डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों के लिए ब्राउन शुगर फायदेमंद होती है या नहीं।

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ब्राउन और व्हाइट शुगर का उत्पादन गन्ने से होता है। इन दोनों में ही लगभग समान रूप से पोषण होता है। आमतौर पर रिफाइन की गई सफेद चीनी में मोलास्सेस यानि गुड़रस मिलाकर ब्राउन शुगर बनाई जाती है, गुड़रस मिलाने से ही इसका रंग ब्राउन हो जाता है और इससे कुछ मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं। इसके अलावा, ब्राउन शुगर में कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम भी अधिक होता है।

आइए, विस्ताार से जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्राउन शुगर क्या महत्व रखती है -

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  1. ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है
  2. व्हाइट और ब्राउन शुगर में से क्या है बेहतर?
  3. सारांश

व्हाइट और ब्राउन शुगर दोनों ही ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाती हैं। ब्राउन और व्हाइट शुगर मुख्यतः सुक्रोज (जो ग्लूकोज और फ्रुक्टोज से बनी है) से बनती हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक सूचकांक (index) है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि किसी विशिष्ट खाद्य पदार्थ से शरीर में ग्लूकोज की कितनी मात्रा आती है। इसके तहत विशिष्ट खाद्य पदार्थ को 0 से 100 के बीच रेटिंग दी जाती है। यदि सुक्रोज की बात करें तो इसे जीआई इंडेक्स में 65 स्कोर मिला है। इसका मतलब है कि ब्राउन और व्हाइट शुगर दोनों ही फ्रेंच फ्राइज़, शकरकंद और पॉपकॉर्न की तरह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाती हैं।

डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में आपको कार्ब और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों में थोड़ा-बहुत बदलाव करके उनका सेवन करना चाहिए। इससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है और डायबिटीज से होने वाली परेशानियों के दीर्घकालिक जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

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यदि आपको डायबिटीज है और आप सोचते हैं कि सफेद चीनी की तुलना में ब्राउन शुगर ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है, तो यहां आपको इस बात को समझने की जरूरत है कि किसी भी खाद्य पदार्थ में मौजूद शुगर का सीमित मात्रा में ही सेवन करना बेहतर होता है। अत्यधिक चीनी का सेवन करने से हृदय रोगटाइप 2 डायबिटीजमोटापा और फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।

कुछ अध्ययनों में सामने आया है कि अत्यधिक शुगर की वजह से इंसुलिन सेंसिटिविटी प्रभावित हो सकती है, इंसुलिन सेंसिटिविटी से यह पता चलता है कि आपका शरीर इंसुलिन के प्रति कितना संवेदनशील है। वास्तव में, यह हार्मोन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। इस प्रकार, डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को चीनी के सेवन को लेकर विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है फिर चाहे वो ब्राउन शुगर हो या व्हाइट शुगर।

इस लेख से यह तो स्पष्ट होता है कि व्हाइट और ब्राउन शुगर दोनों ही डायबिटीज के मरीज के लिए ठीक नहीं हैं। बेशक, ब्राउन शुगर में व्हाइट शुगर के मुकाबले विटामिन और मिनरल ज्यादा होते हैं, लेकिन इसे भी डाइट में शामिल करने से ब्लड शुगर लेवर बढ़ सकता है। इसलिए, डायबिटीज के मरीज को कोशिश यही करनी चाहिए कि वह व्हाइट और ब्राउन दोनों ही तरह की चीनी से पूरी तरह परहेज करे।

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