इस व्यस्त जीवनशैली में अक्सर अपनी सेहत की ओर ध्यान देने तक फुर्सत किसी के पास नहीं होती है. कभी-कभी हल्का-फुल्का हाथ दर्द, सीने में दर्द, पसीना आना जैसे लक्षणों को लोग मांसपेशियों की परेशानी, गैस या बदलते मौसम का प्रभाव मानने लगते हैं. वहीं, इसके विपरीत ये लक्षण माइनर अटैक या माइल्ड हार्ट अटैक के हो सकते हैं. ऐसे में समय रहते इन लक्षणों को पहचानना और इस स्थिति से उबरना जरूरी है.

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आज इस विशेष आर्टिकल में हम माइनर अटैक या माइल्ड हार्ट अटैक के लक्षण, कारण व उपचार के बारे में विस्तार से बताएंगे -

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  1. माइनर अटैक क्या है?
  2. माइनर अटैक के लक्षण
  3. माइनर अटैक के कारण और जोखिम कारक
  4. माइनर अटैक का निदान
  5. माइनर अटैक का इलाज
  6. माइनर अटैक से बचाव
  7. सारांश
माइनर अटैक के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

'माइनर अटैक' या 'माइल्ड हार्ट अटैक' को मेडिकल भाषा में नॉन एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्क्शन (NSTEMI) कहते हैं. NSTEMI हृदय की कोरोनरी धमनियों में से किसी एक में आंशिक रूप से रुकावट का कारण बन सकता है. इससे हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है. ऐसी अवस्था में हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है और पूरे शरीर में रक्त पंप करने की हृदय की क्षमता को बाधित कर सकता है.

एनएसटीईएमआई से हृदय को होने वाली क्षति स्टेमी (STEMI- एक प्रकार का हार्ट अटैक) की तुलना में कम गंभीर होती है. फिर भी दिल का दौरा चाहे छोटा हो या बड़ा गंभीर रूप ले सकता है. ये हृदय को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं और बाद में हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.

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माइनर अटैक के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं -

इन लक्षणों को गंभीरता से लेना आवश्यक है. यदि कोई भी इस तरह के कुछ लक्षणों का अनुभव करता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

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यहां नीचे बताए गए कारण या जोखिम कारक सिर्फ माइनर ही नहीं, बल्कि किसी भी प्रकार का हार्ट अटैक आने की आशंका को बढ़ा सकते हैं. खासकर, पुरुषों को इस तरह के अटैक आने की आशंका सबसे ज्यादा होती है -

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अब सवाल यह उठता है कि कैसे पता कर सकते हैं कि व्यक्ति को माइनर अटैक आया है. इसके लिए ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ-साथ इन निम्न तरीकों से भी जांच की जा सकती है -

  • एनएसटीईएमआई का निदान ब्लड टेस्ट और ईसीजी के माध्यम से किया जाता है.
  • ब्लड टेस्ट से ट्रोपोनिन I और ट्रोपोनिन टी के ऊंचे स्तर का पता किया जा सकता है.
  • ब्लड टेस्ट से ये तो पता किया जा सकता है कि दिल का दौरे पड़ा है, लेकिन ईसीजी से ये स्पष्ट हो सकता है कि ये हार्ट अटैक माइनर है या मेजर.

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इसका उपचार ब्लॉकेज की मात्रा व एनएसटीईएमआई की गंभीरता पर निर्भर करेगा. इसके लिए ग्लोबल रजिस्ट्री ऑफ एक्यूट कोरोनरी इवेंट्स (GRACE) के स्कोर यह निर्धारित करेगा कि हृदय संबंधी समस्या कम है, मध्यम है या उच्च जोखिम वाली है. इस स्कोर के जानने के लिए डॉक्टर इन आठ मापदंडों का उपयोग करते हैं -

  • आयु
  • हृदय दर
  • सिस्टोलिक रक्तचाप
  • हार्टबीट
  • सीरम क्रिएटिनिन स्तर
  • अस्पताल में भर्ती होने पर कार्डियक अरेस्ट
  • ईसीजी में एसटी खंड विचलन
  • ऊंचा कार्डियक मार्कर

दवाओं का उपयोग उन लोगों के लिए किया जाता है, जिन्हें एनएसटीईएमआई का जोखिम कम होता है. जो दवाएं दी जा सकती हैं, उनमें एंटीकोआगुलंट्स, एंटीप्लेटलेट्स, बीटा-ब्लॉकर्स, नाइट्रेट्स, स्टैटिन, एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग-एंजाइम (एसीई) इनहिबिटर या एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (एआरबी) शामिल हैं.

मध्यम से उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए या तो एक परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (पीसीआई -एक तरह का सर्जिकल प्रोसेस) या एक कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट (सीएबीजी-एक तरह का सर्जिकल प्रॉसेस) किया जाता है.

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यहां माइनर या माइल्ड हार्ट अटैक से बचाव के कुछ टिप्स दिए गए हैं -

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हार्ट अटैक माइनर हो या मेजर, इसे हल्के में न लें. लक्षणों को वक्त रहते पहचानें और अपने आपको स्वस्थ रखें. अपनी जरूरत की दवाइयों को हमेशा अपने पास रखें व मोबाइल पर महत्वपूर्ण नम्बर को सबसे ऊपर रखें. स्वस्थ डाइट लें और अपने आपको सेहतमंद रखें. ध्यान रहे कि अपने शरीर में महसूस होने वाले किसी भी लक्षण व बदलाव को अनदेखा न करें.

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