छोटा सिर (माइक्रोसेफली) - Microcephaly in Hindi

written_by_editorial

September 10, 2020

November 05, 2020

छोटा सिर
छोटा सिर

माइक्रोसेफली एक दुर्लभ प्रकार की न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शिशु का सिर उसी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में काफी छोटा होता है। माइक्रोसेफली यानी बच्चों के छोटे सिर की यह स्थिति गर्भ में मस्तिष्क के असामान्य रूप से विकसित होने अथवा जन्म के बाद मस्तिष्क का विकास सही से न हो पाने के कारण होती है। कई बार बच्चे के जन्म के समय ही सिर के छोटे होने की स्थिति का पता चल जाता है, वहीं कुछ बच्चों में जन्म के बाद मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता है।

माइक्रोसेफली विभिन्न प्रकार के आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान ड्रग्स, शराब, कुछ वायरस और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है। यह सारे पदार्थ विकासशील मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है। इस समस्या से ग्रसित बच्चों को अक्सर विकास संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैसे तो इस विकार का कोई इलाज नहीं है लेकिन अगर समय रहते डॉक्टरी सहायता ली जाए तो इससे बच्चे के विकास के साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। दुनियाभर के कई सारे बच्चे इस समस्या से प्रभावित रह चुके हैं। अकेले अमेरिका में हर साल जन्म लेने वाले 1000 में से 12 बच्चों को यह शिकायत होती है। चूंकि, यह एक दुर्लभ स्थिति है ऐसे में अब तक इसको लेकर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुए हैं। अब तक हुए शोध के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया है कि माइक्रोसेफली के कारण लोगों में दौरा पड़ने की समस्या को एमिनो एसिड थेरेपी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

इस लेख में हम बच्चों में सामान्य से छोटे सिर यानी माइक्रोसेफली के लक्षण, कारण और इसके इलाज के तरीकों के बारे में जानेंगे।

माइक्रोसेफली का कारण - Microcephaly cause in hindi

माइक्रोसेफली आमतौर पर असामान्य मस्तिष्क विकास के कारण होने वाली स्थिति है, जो गर्भ में (जन्मजात) या बचपन के दौरान हो सकती है। कई मामलों में माइक्रोसेफली आनुवंशिक भी हो सकती है। इसके अलावा निम्नलिखित स्थितियां भी माइक्रोसेफली का कारण हो सकती हैं।

उपरोक्त कारणों के अलावा कई पर्यावरणीय कारक भी माइक्रोसेफली के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यदि गर्भ में रहते हुए भ्रूण, कई प्रकार की दवाइयों, शराब या विषाक्त पदार्थों के संपर्क आ जाता है तो भी उसमें मस्तिष्क के विकास की क्षमता प्रभावित हो सकती है। शिशु के जन्म के समय अथवा नियमित देखभाल के दौरान डॉक्टर इस प्रकार की स्थिति का पता लगा लेते हैं। इसके अलावा यदि आपको लगता है कि अन्य बच्चों की तुलना में आपके बच्चे का सिर छोटा है या सामान्य रूप से इसका विकास नहीं हो रहा है तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

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माइक्रोसेफली के लक्षण - Microcephaly symptoms in hindi

माइक्रोसेफली मुख्य रूप से सिर के छोटे होने की स्थिति को कहा जाता है। हालांकि, इसका प्रभाव अन्य अंगों पर भी पड़ सकता है। इससे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होने के साथ कई तरह की अन्य समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों पर मध्यम से गंभीर स्तर तक माइक्रोसेफली का प्रभाव हो सकता है जिससे उनको शारीरिक विकास संबंधी तमाम प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। माइक्रोसेफली के निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं। कुछ स्थितियों में माइक्रोसेफली की स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

  • विकास में देरी से संबंधित समस्याएं। इसी उम्र के दूसरे बच्चों की तुलना में प्रभावित बच्चे को बोलने, चलने, बैठने और चीजों को सीखने से संबंधित तमाम प्रकार की दिक्क्तें हो सकती हैं।
  • बच्चे को सीखने और चीजों को समझने में कई प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं।
  • कार्य करने और संतुलन बनाने में दिक्कत हो सकती है।
  • बच्चों का बहुत ऊंचे स्वर में रोना।
  • डिस्पैगिया यानी खाने या निगलने में कठिनाई।
  • बालों का झड़ना
  • चेहरे में विकृति और चीजों को सही से व्यक्त न कर पाना।
  • हाइपरएक्टिविटी।
  • कद का सामान्य से छोटा होना। 

माइक्रोसेफली की जटिलताएं और बचाव - complications of Microcephaly in hindi

माइक्रोसेफली से पीड़ित कई बच्चे सिर के छोटे होने के बावजूद सामान्य बौद्धिक स्तर के हो सकते हैं। लेकिन कई प्रकार के लक्षणों और कारणों के आधार पर बच्चों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों में विकासात्मक देरी, जैसे अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की तरह प्रभावित बच्चों को बोलने और अन्य कार्यों को करने में समस्या हो सकती है।

  • शारीरिक समन्वय और संतुलन बनाने में कठिनाई
  • बौनापन अथवा सामान्य से छोटा कद
  • चेहरे की विकृति
  • हाइपरएक्टिविटी
  • बौद्धिक समस्याएं
  • दौरे पड़ना

माइक्रोसेफली से रोकथाम के तरीके

बच्चों में माइक्रोसेफली होने से रोका जा सकता है। यदि इसके आनुवंशिक कारणों का पता चलता है तो गर्भधारण के दौरान बच्चे को होने वाली परेशानियों को बचाया जा सकता है। जेनेटिक काउंसलर आपकी इसमें मदद कर सकते हैं।

माइक्रोसेफली का निदान - Diagnosis of Microcephaly in hindi

आमतौर पर गर्भधारण के दूसरे या तीसरे माह में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशुओं में माइक्रोसेफली की समस्या का पता लगाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में जन्म से पहले ही डॉक्टर के लिए विसंगति का निदान करना आसान हो जाता है। वहीं जन्म के बाद बच्चे में माइक्रोसेफली का निदान करने के लिए कई प्रकार के परीक्षणों की आवश्यकता होती है। इसके लिए डॉक्टर निम्न परीक्षण कर सकते हैं।

  • सिर के आकार के मूल्यांकन के साथ अन्य आवश्यक शारीरिक परीक्षण
  • परिवारिक इतिहास की जानकारी और माता-पिता के सिर के आकार का मूल्यांकन
  • समय के साथ सिर के विकास का मूल्यांकन

कई प्रकार के परीक्षणों और शारीरिक मूल्यांकन के आधार पर माइक्रोसेफली के निदान के बाद समस्या की गंभीरता और कारणों को जानने के लिए डॉक्टर सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन और ब्लड टेस्ट जैसे परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं। इनमें से कुछ परीक्षणों के आधार पर गर्भाशय में संक्रमण की उपस्थिति के बारे भी पता चल सकता है। कई बार इन संक्रमणों के कारण संरचनात्मक मस्तिष्क परिवर्तन की भी समस्या हो सकती है।

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माइक्रोसेफली का इलाज - Treatment of Microcephaly in hindi

वर्तमान समय में माइक्रोसेफली का कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है। ऐसी कोई भी उपचार की पद्धति नहीं है, जिसके माध्यम से बच्चे के छोटे सिर को बड़ा किया जा सके। हालांकि, माइक्रोसेफली के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे दौरे पड़ना आदि को इलाज के माध्यम से ठीक करने का प्रयास किया जाता है। यदि कुपोषण जैसी स्थितियों के कारण बच्चों में माइक्रोसेफली का पता चलता है तो डॉक्टरों की कोशिश कुपोषण को खत्म करने की होती है, जिससे लक्षणों को ठीक किया जा सके।

जिन शिशुओं को हल्के स्तर के माइक्रोसेफली की समस्या होती है आमतौर पर उन्हें केवल नियमित जांच की आवश्यकता होती है। हालांकि, गंभीर स्थिति वाले बच्चों में शारीरिक और बौद्धिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कई प्रकार की चिकित्सा कार्यक्रमों और थेरपी की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में उपचार के लिए स्पीच, ऑक्यूपेशनल और फिजिकल थेरपी को प्रयोग में लाया जाता है।

इन सबके अलावा क्रानियोसिनेस्टोसिस नाम की एक स्थिति भी माइक्रोसेफली का कारण बन सकती है। क्रानियोसिनेस्टोसिस के मामलों में, शिशु में खोपड़ी की हड्डियों के बीच का जोड़ समय से पहले ही एक साथ फ्यूज हो जाता है, जिससे मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं होने पाता है। इस स्थिति में डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से खोपड़ी को दोबारा आकार में लाने का प्रयास करते हैं।