यदि आपको किसी तंग स्थान पर जाने से परेशानी या डर महसूस होता है, तो हो सकता है आपको क्लौस्ट्रफोबिया हो। यह एक प्रकार का चिंता विकार होता है, जो किसी तंग जगह में जाने से विकसित होता है।

कुछ लोगों को सभी प्रकार के तंग स्थानों पर जाने से क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षण पैदा होते हैं, जबकि कुछ लोगों में कुछ विशेष तंग जगहों पर जाने से ही यह स्थिति पैदा होती है जैसे एमआरआई मशीन में जाना। आपको चाहे किसी भी प्रकार का क्लौस्ट्रफोबिया हो, उचित इलाज करके इसके लक्षणों को दूर किया जा सकता है।

(और पढ़ें - फोबिया क्या है)

  1. क्लौस्ट्रफोबिया क्या है - What is Claustrophobia in Hindi
  2. क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षण - Claustrophobia Symptoms in Hindi
  3. तंग स्थान से डर लगने का कारण - Claustrophobia Causes in Hindi
  4. क्लौस्ट्रफोबिया से बचाव - Prevention of Claustrophobia in Hindi
  5. क्लौस्ट्रफोबिया का परीक्षण - Diagnosis of Claustrophobia in Hindi
  6. क्लौस्ट्रफोबिया का इलाज - Claustrophobia Treatment in Hindi
  7. क्लौस्ट्रफोबिया की जटिलताएं - Claustrophobia Complications in Hindi
क्लौस्ट्रफोबिया के डॉक्टर

क्लौस्ट्रफोबिया क्या है?

क्लौस्ट्रफोबिया एक प्रकार का चिंता विकार है, जो किसी तंग या भीड़ वाले स्थान से महसूस होता है। इसमें व्यक्ति को मुख्य रूप से कुछ ऐसा महसूस होता है, कि वह इस तंग स्थान से निकल नहीं पाएगा, जिसके कारण उसे पैनिक अटैक हो जाता है।

क्लौस्ट्रफोबिया सामान्य प्रकार के फोबिया में से एक है। यदि आपको क्लौस्ट्रफोबिया है, तो आपको ऐसा महसूस होगा कि पैनिक अटैक होने वाला है, जबकि क्लौस्ट्रफोबिया कोई पैनिक विकार नहीं है। कुछ लोगों में क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ लोगों को इन लक्षणों को दूर करने के लिए विशेष उपचार थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है।

(और पढ़ें - एगोराफोबिया का इलाज)

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क्लौस्ट्रफोबिया क्या है?

क्लौस्ट्रफोबिया एक प्रकार का चिंता विकार है, जो विशेष रूप से तंग स्थान के फोबिया (डर) से विकसित होता है, जैसे लिफ्ट या किसी छोटे कमरे में बंद होना आदि। व्यक्ति कितनी जगह को एक तंग स्थान समझता है, यह क्लौस्ट्रफोबिया की गंभीरता पर निर्भर कर सकता है। क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षण महसूस होने के दौरान आपको पैनिक अटैक महसूस होता है। क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं, जैसे:

यह जरूरी नही हैं कि छोटी जगह के कारण आपको चिंता होती है, व्यक्ति को यह सोचकर भी चिंता व भय हो सकता है कि कहीं वह इसी जगह पर ना फंस जाए। इसी दौरान डर के साथ-साथ मरीज को ऑक्सीजन की कमी भी महसूस होने लगती है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको तंग स्थानों से अत्यधिक डर लगता है, जिससे कारण आपका रोजाना का जीवन प्रभावित हो रहा है, तो ऐसे में आपको किसी मानसिक विशेषज्ञ डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए। आप किसी साइकोलॉजिस्ट, थेरेपिस्ट या एंग्जायटी स्पेशलिस्ट से भी मिल सकते हैं। एक उचित उपचार की मदद से आपको सिखाया जाएगा कि कैसे आप इस डर को नियंत्रित कर सकते हैं और इसका सामना कर सकते हैं।

क्लौस्ट्रफोबिया क्यों होता है?

क्लौस्ट्रफोबिया क्यों विकसित होता है इस बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि कई वातावरणीय कारक इस स्थिति को पैदा करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्यादातर मामलों में क्लौस्ट्रफोबिया लोगों को बचपन या युवावस्था के दौरान ही विकसित होता है।

क्लौस्ट्रफोबिया प्रमस्तिष्कखंड (Amygdala) से संबंधित हो सकता है। प्रमस्तिष्कखंड मस्तिष्क का एक हिस्सा होता है, जो डर की प्रक्रिया को नियंत्रित करने का करता है। क्लौस्ट्रोफोबिया किसी आघात संबंधी दुर्घटना के कारण भी विकसित हो सकता है, जैसे:

  • किसी तंग या भीड़ वाली जगह पर फंस जाना या जबरदस्ती रखा जाना (अगवाह करना)
  • बचपन में किसी तंग या भीड़भाड़ वाली जगह पर दुर्व्यवहार होना या बच्चे को भयभीत किया जाना
  • किसी भीड़भाड़ वाली जगह से अपने माता-पिता या दोस्तों से अलग हो जाना

इसके अलावा यदि आपके परिवार में किसी व्यक्ति को क्लौस्ट्रफोबिया है और आप उसके साथ-साथ बड़े हुऐ हैं, तो आपको भी यह विकार होने की काफी संभावनाएं हो सकती हैं। यदि कोई बच्चा अपने परिवार के किसी सदस्य को तंग स्थान से डरते हुऐ देख लेता है, तो उसे भी ऐसी परिस्थितियों में डर लगने लग जाता है।

क्लौस्ट्रफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति के मस्तिष्क में छोटी व भीड़भाड़ वाली जगहों के प्रति डर बैठ जाता है और ऐसी स्थिति में खतरा महसूस होने लगता है। खतरे के अनुसार शरीर प्रतिक्रिया देने लग जाता है।

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क्लौस्ट्रफोबिया की रोकथाम कैसे की जाती है?

इस स्थिति की रोकथाम करने की कोई घरेलू विधि तो नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रख कर इस स्थिति की गंभीरता को कम किया जा सकता है:

  • पैनिक अटैक होने इधर-उधर भागने की बजाए शांति से खड़े रहना। यदि इस दौरान आप गाड़ी चला रहे हैं, तो गाड़ी को सड़क के किनारे खड़ी कर लें और लक्षणों के जाने का इंतजार करें।
  • खुद को याद दिलाते रहें कि ये लक्षण कुछ ही समय के लिए हैं और जल्द ही चले जाएंगे। इस दौरान किसी ऐसी चीज पर ध्यान लगाने की कोशिश करें जो डरावनी ना लगे जैसे आते जाते या बात करते हुऐ लोगों को देखना।
  • धीरे-धीरे और गहरी सांस लें, तेजी से सांस लेने से स्थिति बदतर हो सकती है। 
  • डर का मुकाबला करने की कोशिश करें और याद रखें कि यह वास्तव नहीं है, इस सकारात्मक चीजों के बारे में सोचने की कोशिश करें।
  • इसके अलावा योग, व्यायाम, मेडिटेशन (ध्यान) और अरोमाथेरेपी मसाज आदि जैसी दीर्घकालिक प्रक्रियाएं भी, क्लौस्ट्रफोबिया से ग्रस्त लोगों के लिए काफी मददगार हो सकती है।

क्लौस्ट्रफोबिया का परीक्षण कैसे किया जाता है?

कुछ मामलों में तनाव व चिंता विकार से संबंधित समस्याओं का परीक्षण करते समय क्लौस्ट्रफोबिया का पता भी लग जाता है। इस स्थिति का परीक्षण आमतौर पर साइकोलॉजिस्ट या साइकिएट्रिस्ट के द्वारा किया जाता है, जो इस दौरान सबसे पहले मरीज के लक्षणों के बारे में पूछते हैं।

लक्षणों की जांच करके डॉक्टर उनके अनुसार आपका शारीरिक परीक्षण शुरु करेंगे। साथ ही साथ वे निम्न सवाल पूछ कर मरीज के भय के पीछे का कारण जानने की कोशिश करेंगे:

  • क्या ये किसी अन्य विकार या रोग से संबंधित है
  • क्या यह किसी घटना के बारे में सोचकर होता है
  • क्या ये एक चिंता विकार है, जो वातावरणीय कारकों से उत्पन्न होता है
  • क्या इसके कारण रोजाना की सामान्य गतिविधि प्रभावित होती है

क्लौस्ट्रफोबिया का इलाज कैसे किया जाता है?

क्लौस्ट्रफोबिया के ज्यादातर मामलों का इलाज साइकोथेरेपी के द्वारा किया जाता है। विभिन्न प्रकार की काउन्सलिंग थेरेपी (परामर्श देना) भय का सामना करने में व्यक्ति की मदद कर सकती हैं और उसे बार-बार होने से रोकती हैं। आपको इस बारे में अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए, कि किस तरह की थेरेपी आपके लिए सबसे बेहतर रहेगी। इलाज में निम्न में से किसी भी थेरेपी या इलाज प्रक्रिया को शामिल किया जा सकता है:

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT):
इस प्रक्रिया में मरीज के दिमाग को फिर से प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि उन्हें तंग स्थानों से डर ना लगे। साथ ही साथ इस प्रक्रिया में धीरे-धीरे मरीज को तंग स्थानों में भेजा जाता है और उनके डर व चिंता से लड़ने में मदद की जाती है।

रिलेक्सेशन और विजुअलाइजेंशन एक्सरसाइज:
गहरी सांस लेना, ध्यान और मांसपेशियों को आराम प्रदान करने वाली रिलेक्सिंग तकनीक करना भी चिंता और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद कर सकती है।

ड्रग थेरेपी:
डिप्रेशनतनाव को कम करने वाली और आराम प्रदान करने वाली दवाएं भी क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। हालांकि इससे क्लौस्ट्रफोबिया के अंदरुनी कारण का इलाज नहीं हो पाएगा।

वैकल्पिक व पूरक दवाएं:
कुछ सप्लीमेंट्स और प्राकृतिक उत्पाद हैं, जो चिंता व अन्य पैनिक विकार को कम करने में मदद कर सकते हैं। कुछ प्रकार के मालिश करने के तेल भी मार्केट में उपलब्ध हैं, शरीर को आराम प्रदान करके क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षणों को कम करने में मदद ते करते हैं, जैसे लैवेंडर का तेल

क्लौस्ट्रफोबिया का इलाज आमतौर पर लगभग 10 हफ्तों तक चलता है, जिसे एक हफ्ते में दो बार किया जाता है। उचित इलाज के साथ, क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षणों को दूर करना संभव है।

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क्लौस्ट्रफोबिया से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

तंग स्थान से भय होने की स्थिति का इलाज संभव है और व्यक्ति इससे ठीक हो सकते हैं। कुछ लोगों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ क्लौस्ट्रफोबिया के लक्षण गायब होने लग जाते हैं। अगर इस स्थिति का इलाज न करवाया जाए और न ही यह अपने आप ठीक हो पाए, तो यह विकार मरीज के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

क्लौस्ट्रफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति रोजाना की ज्यादा गतिविधियां कर पाते हैं, जैसे बाथरूम में अकेले जाना, लिफ्ट में जाना आदि। यहां तक कि कुछ गंभीर मामलों में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ भी गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है।

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