महिलाओं के गर्भवती होने में परेशानी पैदा करने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) भी है। यह एक हार्मोन संबंधी समस्या होती है, जो प्रजनन प्रणाली के सामान्य रूप से काम करने की प्रक्रिया को प्रभावित कर देती है।
महिलाओं के गर्भवती होने में परेशानी पैदा करने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) भी है। यह एक हार्मोन संबंधी समस्या होती है, जो प्रजनन प्रणाली के सामान्य रूप से काम करने की प्रक्रिया को प्रभावित कर देती है।
पीसीओएस किसे कहा जाता है?
हार्मोन में असंतुलन संबंधी समस्या को पीसीओएस कहा जाता है, इसे “स्टीन लेवेंथल सिंड्रोम” नाम से भी जाना जाता है, यह रोग महिलाओं को होता है। इस रोग के कारण महिलाओं में अधिक मात्रा में एंड्रोजन हार्मोन (पुरुष हार्मोन) बनने लग जाता है।
पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर पर अनचाहे बाल अधिक बढ़ जाते हैं और अधिक दाने भी निकलने लग जाते हैं। इस के कारण ओवरी (अंडाशय) में सिस्ट भी विकसित हो जाती है, जो सामान्य मासिक धर्म चक्र के प्रभावित कर देती है।
पीसीओएस एक जटिल स्थिति होती है, क्योंकि इसका परीक्षण करने के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं है। इसकी बजाए डॉक्टर इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए अन्य शारीरिक संकेतों का सहारा लेते हैं। शरीर पर अधिक मात्रा में अनचाहे बाल आना या मासिक धर्म चक्र असामान्य हो जाना पीसीओएस का एक लक्षण हो सकता है।
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पीसीओएस के क्या लक्षण होते हैं?
कुछ महिलाओं में पीसीओएस का पता ही नहीं चल पाता है, क्योंकि इसका परीक्षण करने में कठिनाई होती है। इसके लक्षण अलग-अलग प्रकार की महिलाओं में अलग-अलग हो सकते है।
उदाहरण के लिए वजन बढ़ना या मोटापा भी अक्सर पीसीओएस से संबंधित समस्या हो सकती है। लेकिन ऐसा जरूरी भी नहीं है, क्योंकि पीसीओएस से ग्रस्त कई महिलाओं का शरीर पतला होता है।
दुर्भाग्यवश, पीसीओएस से ग्रस्त लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं का कभी परीक्षण ही नहीं हो पाता है। इसलिए इसे कभी-कभी “साइलेंट किलर” कहा जाता है।
पीसीओएस में होने वाले कुछ सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
पीसीओएस और गर्भावस्था का क्या संबंध है?
पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान निम्न स्थितियों का खतरा बढ़ सकता है:
पीसीओएस से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन डिलीवरी करवाने की आवश्यकता आमतौर पर अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन महिलाओं के गर्भ में शिशु अपनी उम्र के अनुसार थोड़े बड़े आकार का हो सकता है।
यदि आपको पीसीओएस है और आप गर्भवती भी हैं, तो आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। पीसीओएस के लक्षणों की जांच करके और गर्भावस्था के दौरान कुछ विशेष देखभाल करके पीसीओएस से होने वाली जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।
पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं को गर्भवती होने में कितना समय लगता है?
यदि आपकी उम्र 35 साल से कम है, आपकी डिंबोत्सर्जन प्रक्रिया नियमित रूप से काम कर रही है (पीसीओएस होने पर भी), आपको व आपके पार्टनर को कोई ऐसी समस्या नहीं है, जो प्रजनन शक्ति को प्रभावित करती है तो ऐसे में आप लगभग एक साल या उससे भी पहले गर्भवती हो सकती हैं।
लेकिन अगर आपको या आपके पार्टनर को कोई ऐसी समस्या है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रही है जैसे शुक्राणुओं की कमी या गर्भाशय में रसौली आदि, तो ऐसे में आपको गर्भवती होने में एक साल से अधिक समय लग सकता है। 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं की प्राकृतिक प्रजनन क्षमता कम होने लग जाती है और 40 साल की उम्र तक और भी कम हो जाती है। वैसे लगभग चालीस की उम्र में कुछ महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर लेती हैं, हालांकि इस उम्र में प्रजनन संबंधी दवाओं और अन्य तकनीकों की मदद लेने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
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पीसीओएस में गर्भधारण करना
कुछ महिलाओं को तब यह पता नहीं लग पाता है कि वे पीसीओएस से ग्रस्त हैं, जब तक वे गर्भधारण करने की कोशिश नहीं करती। पीसीओएस की ओर आमतौर पर ध्यान नहीं जाता है। लेकिन अगर आप प्राकृतिक रूप से कई सालों से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से जांच करवा लेनी चाहिए।
आपके डॉक्टर आपको गर्भधारण करने में मदद करने के लिए एक विशेष योजना तैयार कर सकते हैं। जीवनशैली में कुछ विशेष प्रकार के बदलाव और कुछ दवाएं हैं, जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण होने की संभावनाओं को बढ़ा देती है।
डिम्बोत्सर्जन में मदद वाली दवाएं
यदि आपको गर्भवती होने के लिए डिम्बोत्सर्जन की जरूरत है, तो ऐसे में डॉक्टर निम्न दवाएं लिख सकते हैं:
जीवनशैली के बदलाव
कुछ महिलाओं में अधिक वजन बढ़ने से उनके हार्मोन का स्तर प्रभावित हो जाता है। इसलिए यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे का शिकार हैं, तो वजन कम करने से आपके हार्मोन का स्तर वापस सामान्य हो सकता है। शरीर का 10 प्रतिशत वजन कम करने से भी मासिक धर्म सामान्य समय के अनुसार आने लग सकते हैं। ऐसे आप सफलतापूर्वक गर्भवती हो सकती हैं।
सामान्य तौर पर स्वस्थ आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना, धूम्रपान ना करना, तनाव मुक्त रहना और डायबिटीज को कंट्रोल करना आदि की मदद से एक स्वस्थ जीवनशैली अपना कर भी प्रजनन क्षमता में सुधार किया जा सकता है।
याद रखें कि यदि आपके पीरियड्स सामान्य समय के अनुसार नहीं हो रहे हैं या पहले ही आप में पीसीओएस का परीक्षण हो चुका है, तो ऐसे में डॉक्टर की मदद ले लेनी चाहिए। यदि आप गर्भवती होना चाहती हैं, तो किसी अच्छे फर्टीलिटी स्पेशलिस्ट (प्रजनन विशेषज्ञ) से बात करें।
पीसीओएस में प्रजनन क्षमता को कैसे बढ़ाएं?
प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के उपाय जैसे आहार में कुछ स्वस्थ बदलाव करना, पोषक तत्वों वाले सप्लीमेंट्स लेना और शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से आपका शरीर स्वस्थ होता है और आप स्वस्थ रूप से गर्भधारण कर पाती हैं। कुछ निश्चित मामलों में स्वस्थ आहार की मदद से शरीर का वजन कम करना, गर्भधारण करने में मदद करने वाला एक प्रभावी उपाय हो सकता है।
पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के लिए वजन घटाना और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, जल्दी गर्भवती होने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार जो महिलाएं स्वस्थ जीवनशैली के साथ जीती हैं, उनके गर्भधारण में काफी वृद्धि देखी गई है।