पॉलिसिस्टक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस महिलाओं में होने वाला बेहद सामान्य हार्मोनल विकार है जो आमतौर पर प्रजनन की आयु वाली महिलाओं (15 से 49 साल) में देखने को मिलता है। पीसीओएस, महिला के शरीर में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के स्तर में असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म और एक या दोनों अंडाशय में करीब 12 अपरिपक्व रोम या फॉलिकल्स की उपस्थिति के कारण होता है।

पीसीओएस के लक्षण और संकेतों की बात करें तो इसमें मोटापा, वयस्क होने के बाद भी चेहरे पर मुंहासे, एमेनोरिया या पीरियड्स का न आना, पीसीओएस के कारण शरीर पर अत्यधिक अनचाहे बालों का विकास, पीसीओएस से जुड़ी स्लीप ऐपनिया की समस्या और बांझपन आदि शामिल हैं। जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है, उनमें एक और शिकायत लगातार बनी रहती है और वह है ब्लोटिंग या पेट फूलने की।

(और पढ़ें - पेट फूलने का कारण और छुटकारा पाने के उपाय)

पेट फूलना एक लक्षण है जो कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों जैसे हाइपोथायरायडिज्म और गर्भावस्था से जुड़ा हुआ है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान भी पेट फूलने की समस्या का अनुभव हो सकता है। हालांकि, अभी तक पेट फूलने की समस्या का कोई सीधा इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन पेट फूलने की समस्या किन अंतर्निहित कारणों की वजह से हो रही है अगर इसका पता लगा लिया जाए तो पेट फूलने की समस्या को मैनेज करना आसान हो जाता है। पीसीओएस के कारण पेट फूलने की समस्या क्यों होती है और इससे कैसे छुटकारा पाएं, इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

(और पढ़ें - पीसीओएस के घरेलू उपाय)

  1. पीसीओएस में पेट फूलने की समस्या क्यों होती है?
  2. पीसीओएस में पेट फूलने की समस्या से छुटकारा कैसे पाएं?
पीसीओएस में पेट फूलने का कारण और उपाय के डॉक्टर

पेट फूलने की समस्या को मैनेज करना चाहती हैं तो इसके अंतर्निहित कारण का पता लगाना आवश्यक है। जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है उनमें पेट फूलने की दिक्कत देखने को क्यों मिलती है, इसके कुछ और सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • हार्मोनल असंतुलन : आमतौर पर, स्वस्थ रोम या फॉलिकल परिपक्व होकर ओव्यूलेशन के दौरान एक अंडा पैदा करते हैं। लेकिन पीसीओएस की समस्या होने पर कई फॉलिकल्स परिपक्व होने की बजाए एक या दोनों अंडाशय के अंदर एक साथ इकट्ठा होने लगते हैं। इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। उदाहरण के लिए, शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी होने लगती है। इससे उदर क्षेत्र में फ्लूइड रिटेंशन होने लगता है जिससे पेट फूलने या हर वक्त पेट भरा-भरा सा महसूस होने लगता है। (और पढ़ें- एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने या कम होने का कारण और उपचार)
  • अंडाशय में अतिउत्तेजना : पीसीओएस से पीड़ित बहुत सी महिलाओं को गर्भधारण करने में कठिनाई होती है। अगर इस तरह की महिलाएं बच्चे के लिए आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) का विकल्प चुनती हैं, तो ऐसी महिलाओं को फर्टिलिटी दवाइयां दी जाती हैं या विशेष उपचार पर रखा जाता है ताकि परिपक्व अंडे जारी करने के लिए अंडाशय को उत्तेजित किया जा सके। हालांकि कभी-कभी, इन फर्टिलिटी दवाइयों के कारण ओवरी हाइपरस्टीमुलेशन सिंड्रोम हो सकता है जिसके कारण पेट में दर्द और पेट फूलने की समस्या देखने को मिलती है।
  • भोजन असहनशीलता : अब तक जितने भी अध्ययन हुए हैं उनमें पीसीओएस और फूड एलर्जी के बीच की कड़ी को न तो साबित किया गया है और ना ही नामंजूर किया गया है। हालांकि, दूध और अन्य डेयरी उत्पाद (लैक्टोज इनटॉलरेंस), गेहूं (सीलिएक रोग) और ग्लूटेन असहिष्णुता जैसे खाद्य पदार्थों के कारण पेट फूलना, पेट में दर्द और त्वचा में रिऐक्शन जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं- इसके कारण पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में पेट फूलना और फूड एलर्जी दोनों ही समस्याएं बदतर हो सकती हैं।
  • पाचन तंत्र में रहने वाले अस्वास्थ्यकर सूक्ष्मजीव : गुड बैक्टीरिया हमारे आंत की सेहत को नियंत्रित करने और इसके रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर बहुत अधिक भोजन करने या अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतों के कारण आंत में इन गुड बैक्टीरिया की तादाद कम हो जाती है और हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है, तो इस कारण भी पेट फूलने लगता है। पीसीओएस से पीड़ित जो महिलाएं हेल्दी चीजों का सेवन करने की बजाए अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें अपनाती हैं उन्हें पेट फूलने की समस्या का अनुभव अधिक बार होता है। (और पढ़ें - पाचन तंत्र को मजबूत करने के उपाय)
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एक बार जब आप कारण का पता लगा लेते हैं, तो उसके बाद पीसीओएस से जुड़ी पेट फूलने की समस्या को मैनेज करना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है। बेहद जरूरी है कि पीसीओएस से पीड़ित महिला स्वस्थ डायट का सेवन करे और रोजाना नियमित रूप से एक्सरसाइज करे। ऐसा करने से पेट फूलने की समस्या के साथ ही बाकी के लक्षणों को भी दूर करने में मदद मिल सकती है। पीसीओएस से जुड़ी ब्लोटिंग की समस्या दूर करने के लिए आप इन उपायों को आजमा सकती हैं:

  • हार्मोन्स को संतुलित करना : पीसीओएस के उपचार के लिए कोई विशेष गाइडलाइन्स मौजूद नहीं हैं। हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए महिलाओं को अक्सर गर्भनिरोधक गोलियां दी जाती हैं। इसके साथ ही हार्मोनल संतुलन को हासिल करने के लिए जीवनशैली में बदलाव और योग भी काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। (और पढ़ें- गर्भनिरोधक गोलियों से बढ़ सकता है मानसिक रोग का जोखिम)
  • एक्सरसाइज : नियमित रूप से व्यायाम करने से स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद मिलती है- ऐसा देखने में आया है कि अगर महिलाएं अपना वजन कम कर लें तो पीसीओएस के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • डायट : कम FODMAPS डाइट पेट फूलने जैसे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। fodmap का अर्थ है- फर्मेंटेबल ओलिगो डी मोनोसैचराइड्स एंड पॉलिओल्स। डेयरी, फ्रक्टोज, फ्रक्टैन्स जैसे आसानी से फर्मेंट या किण्वित होने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें। ब्लोटिंग को कम करने के लिए आप चाहें तो अपने डॉक्टर से पीसीओएस डाइट चार्ट के बारे में भी पूछ सकते हैं।
  • प्रोबायोटिक्स : प्रोबायोटिक्स में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस और बिफीडोबैक्टीरियम लैक्टिस जैसे जीवित बैक्टीरिया के बीजाणु होते हैं। वे आंत की सेहत को सुधारने और बनाए रखने में मदद करते हैं। अपने आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल करने से पोषक तत्वों के बेहतर पाचन और अवशोषण को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। यह पीसीओएस से जुड़ी पेट फूलने की समस्या को भी कम कर सकता है।

ऊपर बताए गए ये सभी पीसीओएस के कारण होने वाली पेट फूलने की समस्या और सामान्य ब्लोटिंग की समस्या दोनों को मैनेज करने में मददगार हो सकते हैं। ऐसा नहीं है कि इन उपायों को आजमाते ही आपको तुरंत आराम मिल जाएगा लेकिन समय के साथ कुछ राहत जरूर मिलेगी। इन उपायों को आजमाने के बाद भी अगर पेट फूलने की समस्या बनी रहती है, तो आपको पूरी तरह से जांच के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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