फिश ऑयल (मछली का तेल) और प्रोस्टेट कैंसर (पुरुषों की पौरुष ग्रंथि में होने वाला एक कैंसर) पर कई शोध किए जा चुके हैं। अभी तक सभी का यही मानना था कि ओमेगा 3 फैटी एसिड के अधिक सेवन से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, 17 नवंबर 2019 को सामने आई एक नई स्टडी के अनुसार फिश ऑयल और प्रोस्टेट कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। इस स्टडी के मुताबिक अगर आप काफी समय से फैटी एसिड का सेवन कर रहे हैं तो घबराने की बात नहीं है। फिश ऑयल में मौजूद फैटी एसिड हमारे शरीर और मस्तिष्क को कई तरह से लाभ पहुंचाता है जैसे -  चिंता और डिप्रेशन को कम करना, इससे हृदय रोग होने का जोखिम भी कम हो जाता है।

इस स्टडी का खुलासा फिलाडेल्फिया के अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन साइंटिफिक सेशन में  इंटरमाउंटेन हेल्थकेयर हार्ट इंस्टिट्यूट द्वारा किया गया, जिसमें शोधकर्ताओं ने बताया कि ओमेगा 3 हृदय रोग से बचाने में मददगार होता है, वो भी बिना प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ाए।

स्टडी के परिणामों ने सबको चौंका दिया
इंटरमाउंटेन हेल्थकेयर हार्ट इंस्टीट्यूट ने इस बात की पुष्टि करने के लिए दो अलग-अलग शोध किए, पहले शोध में 87 मरीजों को शामिल किया गया जो इंटरमाउंटेन इंस्पायर रजिस्ट्री का हिस्सा थे और उनमें प्रोस्टेट कैंसर पहले से ही विकसित हो चुका था। इन मरीजों के डोकोसैक्सिनोइक एसिड (डीएचए) और इकोसापैनटोइनिक एसिड (ईपीए) के प्लाज्मा लेवल का भी परीक्षण किया गया, जो सबसे सामान्य ओमेगा 3 फैटी एसिड हैं।

जब इनकी तुलना कंट्रोल ग्रुप के 149 पुरुषों से की गई तो शोधकर्ताओं ने पाया कि ओमेगा 3 के अधिक सेवन से प्रोस्टेट कैंसर का कोई संबंध नहीं है।

इंटरमाउंटेन हेल्थकेयर हार्ट इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता और चिकित्सक सहायक, विएट टी. ली ने कहा, अगर मैं अपने किसी मरीज को हृदय के लिए ओमेगा 3 लेने की सलाह देता हूं तो इस बात को निश्चित करना चाहूंगा कि मैं कहीं उसे प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम में तो नहीं डाल रहा। इसके आगे डॉ ली ने कहा, हमारे शोध में ओमेगा 3 और प्रोस्टेट कैंसर के बीच किसी भी संबंध के सबूत नहीं पाए गए हैं।

2019 अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन साइंटिफिक सेशन में दूसरी स्टडी में इंटरमाउंटेन हेल्थकेयर हार्ट इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने 894 मरीजों पर नजर रखी, जिन पर कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई थी। डॉ ली ने बताया कि इन मरीजों को अतीत में हृदय रोग या कोरोनरी आर्टरी डिजीज की कोई शिकायत नहीं थी। हालांकि, ताजा एंजियोग्राम के मुताबिक 40 फीसदी मरीज गंभीर बीमारियों से और 10 प्रतिशत थ्री-वैसेल रोग से ग्रस्त थे।

शोधकर्ताओं ने मरीजों के ओमेगा 3 मेटाबोलाइट्स के साथ डीएचए और ईपीए के प्लाज्मा लेवल को भी मापा। आगे चलकर इन मरीजों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर से ग्रस्त होने एवं मृत्यु के खतरे पर नजर रखी गई।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों में ओमेगा 3 मेटाबोलाइट्स (मेटाबोलिज्म द्वारा निर्मित) का स्तर अधिक था, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर का खतरा कम था।

डॉ ली ने बताया कि यह शोध इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि इससे हमें पता चला कि कैसे ओमेगा 3 उन मरीजों की मदद करता है जिनमें पहले से ही रोग विकसित हो चुका हो और यह जीवन पर क्या प्रभाव डालता है।

अन्य शोध में भी पाए गए एक जैसे परिणाम
इसके अलावा बोस्टन के हावर्ड मेडिकल स्कूल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ फ्रांसिन वेल्टी और उनके साथी डॉ भव्य वेमुरी ने भी अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में 12 नवंबर 2019 को फिश ऑयल और प्रोस्टेट कैंसर के बीच का संबंध बताया। इस स्टडी में कोरोनरी आर्टरी रोग से ग्रस्त 250 लोगों को शामिल किया गया। 30 महीनों के लिए आधे लोगों ने ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स का सेवन किया तो अन्य लोगों को ऐसा करने से मना किया गया, जिसे कंट्रोल ग्रुप कहा गया। कंट्रोल ग्रुप के मुकाबले ओमेगा 3 का सेवन कर रहे लोगों में बेहतर सामंजस्य, फूर्ती और याददाश्त में सुधार देखा गया। इन्हें फॉलोअप के लिए 1 साल और 30 महीने बाद बुलाया गया था।

क्यों जरूरी है ओमेगा 3 फैटी एसिड
ओमेगा 3 फैटी एसिड पूरे शरीर में कोशिकाओं की झिल्लियां बनाने में मदद करते हैं और हृदय के कार्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शरीर को इनकी जरूरत तो होती है, लेकिन यह इन्हें खुद नहीं बना पाता है। शरीर में ओमेगा 3 की कमी को पूरा करने के लिए आपको अपने आहार में मछली, सब्जियां, तेल, बादाम, अलसी का तेल और हरी सब्जियां शामिल करनी चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञ इस बात की सलाह देते हैं कि इसका सेवन शुरू करने से पहले डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।

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