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वैजिनोप्लास्टी एक सर्जरी है जिसमें वैजाइना (प्रजनन नलिका) का निर्माण/पुनर्निर्माण किया जाता है। वैजाइना (योनि) न होने या इसमें कोई जन्‍मजात विकार होने, डिलीवरी के दौरान योनि में चोट लगने, ट्रामा, ट्यूमर, कैंसर के बाद टीट्रमेंट और लिंग बदलवाने पर यह सर्जरी की जाती है।

इस सर्जरी में अलग-अलग स्‍पेशियलिटी वाले डॉक्‍टर मिलकर काम करते हैं जिसमें गायनेकोलॉजिस्‍ट, प्‍लास्टिक सर्जरी और साइकेट्रिस्‍ट शामिल हैं।

सर्जरी से पहले पेल्विस का अल्‍ट्रासाउंड, सीटी स्‍कैन और एमआरआई, ब्‍लड टेस्‍ट और छाती का एक्‍स-रे किया जाता है।

सर्जरी के बाद दर्द को कम करने के लिए तेज दर्द निवारक दवाएं, घाव को भरने के लिए एंटीबायोटिक और सर्जरी वाली जगह को साफ रखने, मनोचिकित्‍सक के साथ काउंसलिंग और प्रमुख डॉक्‍टर के साथ फॉलो-अप लिया जाता है।

  1. क्‍या है वैजिनोप्‍लास्‍टी
  2. वैजिनोप्‍लास्‍टी कब और क्यों की जाती है
  3. वैजिनोप्‍लास्‍टी कब नहीं करनी चाहिए
  4. वैजिनोप्‍लास्‍टी से पहले की तैयारी
  5. वैजिनोप्‍लास्‍टी सर्जरी कैसे होती है
  6. वैजिनोप्‍लास्‍टी से जुड़ी संभावित जटिलताएं
  7. वैजिनोप्‍लास्‍टी के बाद देखभाल कैसे करें
  8. डिस्‍चार्ज और फॉलो-अप
  9. वैजिनोप्‍लास्‍टी के बाद जोखिम
  10. सारांश
वैजिनोप्लास्टी के डॉक्टर

यह योनि की कंस्‍ट्रक्‍शन या रिकंस्‍ट्रक्‍शन सर्जरी है। योनि, महिला प्रजनन तंत्र का एक हिस्‍सा है। यह दो हिस्‍सों में विभाजित है :

  • बाहरी अंग : यह अंग शरीर पर दिखता है। इसमें वल्‍वा, क्‍लिटोरिस, ग्रंथियां और वैजाइनल ओपनिंग होती है।
  • अंदरूनी अंग : यह हिस्‍सा शरीर के अंदर होता है। बाहर से अंदर की ओर आंतरिक संरचनाओं में योनि है और फिर गर्भाशय, फिर फैलोपियन ट्यूब और आखिर में ओवरी आती है।

योनि से मासिक चक्र का खून निकलता है, यह सेक्‍स के लिए होती है और लेबर के दौरान बच्‍चा इसी से बाहर आता है।

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निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी की सलाह दी जाती है :

  • जन्‍मजात विकार या योनि न होना : इसके लक्षण हैं प्‍यूबर्टी के बाद मासिक चक्र न होना, सेक्‍स के दौरान दर्द या दिक्‍कत आना।
  • डिलीवरी के बाद भी चोट ठीक न होना : इसके लक्षण हैं योनि में ढीलापन, मूत्राशय या गुदा स दबाव की वजह से योनि में मांस महसूस होना। इससे पेशाब और मल त्‍याग करने में दिक्‍कत हो सकती है।
  • योनि अपनी जगह से बाहर की ओर उभड़ रही हो जिसे वैजाइनल प्रोलैप्‍स कहते हैं।
  • ट्यूमर : इसके लक्षणों में ब्‍लीडिंग और बदबूदार डिस्‍चार्ज शामिल है।
  • यौन उत्‍पीड़न या ट्रामा।
  • ट्रांसजेंडर व्‍यक्‍ति की लिंग बदलने की सर्जरी जिसे सेक्‍स रिअसाइनमेंट सर्जरी भी कहा जाता है।

निम्‍न स्थितियों में वैजिनोप्‍लास्‍टी की सलाह नहीं दी जाती है :

  • कोई अन्‍य बीमारी जो कंट्रोल में न हो या जिसका ट्रीटमेंट शुरू न हुआ हो।
  • पहले से योनि में संक्रमण होना।
  • अगर ट्यूमर पेल्विस या पेट के बाकी अंगों तक पहुंच गया है तो सर्जरी जोखिमभरी हो सकती है। इससे मरीज की उम्र कम हो सकती है।

यह एक बड़ी प्रक्रिया है इसलिए इससे पहले कई विशेषज्ञों से बात की जाती है, इनमें से तीन प्रमुख हैं :

  • गायनेकोलॉजिस्‍ट : पेल्विस और पेट के अल्‍ट्रासाउंड, सीटी स्‍कैन और एमआरआई के बाद रूटीन ब्‍लड टेस्‍ट करवाए जाते हैं।
  • प्‍लास्टिक सर्जन : मरीज की कॉस्‍मेटिक और फंक्‍शनल जरूरतों के बारे में बात की जाएगी।
  • साइकेट्रिस्‍ट : सर्जरी से पहले से लेकर इसके बाद तक मरीज की काउंसलिंग करनी जरूरी है।

हर एक स्‍पेशलिस्‍ट मरीज की मेडिकल हिस्‍ट्री, कौन-सी दवाएं लेती है और माहवारी की जानकारी लेते हैं। इसके अलावा लिंग परिर्वतन की सर्जरी हो रही है तो द वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ के नियम अनुसार सर्जिकल क्‍लियरेंस के डॉक्‍यूमेंट की जरूरत होगी।

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सर्जरी से पहले डॉक्‍टर खून पतला करने वाली, हार्मोन रिप्‍लेसमेंट थेरेपी ले रहे लोगों में हार्मोंस, हार्ट और डायबिटीज की दवा बंद कर सकते हैं।

मरीज को सर्जरी से एक या दो दिन पहले अस्‍पताल में भर्ती करवाया जाता है। इस समय सारी जरूरी रिपोर्ट और दस्‍तावेज होने चाहिए। अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद मरीज को हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है और डॉक्‍टर देखने आते हैं।

डॉक्‍टर बताते हैं कि मरीज सर्जरी के लिए फिट है या नहीं और तरीज को प्रक्रिया, इसमें लगने वाले समय और संभावित जोखिमों, जटिलताओं और परिणाम के बारे में बताया जाता है।

सर्जरी से पहले के निर्देश

सर्जरी से पहले निम्‍न निर्देशों को मानना होता है :

  • पहले से हो रखी किसी बीमारी की डॉक्‍टर द्वारा लिखी गई दवा को ले सकते हैं। चूंकि, यह एक बड़ी सर्जरी है इसलिए ऑपरेशन के दौरान खून की जरूरत पड़ने की स्थिति से निपटने की तैयारी पहले से ही कर ली जाती है।
  • सर्जरी के जोखिम और परिणाम बताने के बाद मरीज और उसके रिश्‍तेदारों की अनुमति लेनी होती है।
  • सर्जरी वाली जगह यानि पेल्विस, पेट और टांगों से बाल हटाना।
  • सर्जरी से 8 से 10 घंटे पहले कुछ भी खाना-पीना बंद कर दें। ऑपरेशन से कुछ घंटे पहले हाथ ही नस में ड्रिप लगाकर जरूरी फ्लूड्स दिए जाते हैं।
  • पेट साफ करने के लिए रेचक दिए जाते हैं।
  • सर्जरी से पहले एंग्‍जायटी से बचने के लिए मरीज को बेहोशी की दवा दी जा सकती है।

सर्जरी वाले दिन

सर्जरी वाले दिन मरीज को ऑपरेशन थिएटर में लाया जाता है। मरीज को लिथोटोमी पोजीशन में लिटाया जाता है। इसमें मरीज पीठ के बल लेटता है और उसके पैर चौड़े होकर खुले होते हैं।

मरीज की धड़कन, बीपी, ऑक्‍सीजन सैचुरेशन, ब्रीदिंग आदि मॉनिटर करने के लिए मशीनें बॉडी से अटैच होती हैं। इंफेक्‍शन से बचने के लिए आईवी कैनुला से एंटीबायोटिक दी जाती हैं। सर्जरी के दौरान पेशाब करने के लिए कैथेटर लगाया जाता है। मरीज को बेहोश करने के लिए जनरल एनेस्‍थ‍ीसिया दिया जाता है।

एक मोल्‍ड बनाया जाता है जो तय की गई योनि जितनी लंबी और गहरी होती है। सर्जरी के दौरान और बाद में योनि की शेप और साइज को बनाए रखने के लिए मोल्‍ड होता है। यह तब तक रहता है जब तक कि आसपास के ऊतक ठीक न हो जाएं।

  • सर्जरी किस लिए की जा रही है, उसी के आधार पर सर्जरी का तरीका अपनाया जाता है।
    • योनि में ढीलपान होने
    • विकृत ऊतक हटाने के लिए
    • योनि की ओपनिंग छोटी होने
    • अन्‍य हिस्‍सों को लगी चोट को ठीक करने और मूत्राशय एवं गुदा जैसे अंगों को सपोर्ट देने
    • जन्‍म नलिका के छोटी या न होने वाले मरीजों में
    • मूत्रमार्ग और गुदा के बीच में फंक्‍शनल मार्ग बनाया जाता है
       
  • योनि की लाइनिंग बनाने के लिए ग्राफ्ट टिश्‍यू लगाना
    • ज्‍यादा ऊतकों को हटाने
    • कॉस्‍मेटिक लुक के लिए टिश्‍यू ग्राफ्टटिंग की जाती है।
       
  • लिंग बदलने के लिए
    • पुरुष के यौन अंग को आंशिक रूप से हटाकर, महिला के बाहरी यौन अंग बनाने
    • मूत्र मार्ग और गुदा के बीच में फंक्‍शनल मार्ग बनाना
    • योनि की लाइनिंग बनाने के लिए ग्राफ्ट टिश्‍यू लगाना

मरीज की जांघों या कूल्‍हों से स्किन लेकर ग्राफ्टिंग की जाती है। नए तरह के ग्राफ्टों में स्किन फ्लैप्‍स, एम्निओटिक झिल्लियां या बकल म्‍यूकोसा शामिल हैं। वैजिनोप्‍लास्‍ट, कॉस्‍मेटिक हो रही है या फंक्‍शनल, इसी के आधार पर सर्जरी में समय लगता है।

सर्जरी होने के बाद ऑपरेशन वाली जगह के आसपास खून जमने से रोकने के लिए पेल्विस में ड्रेंस लगाए जाते हैं। टांकों को बंद कर के मरीज को उसके कमरे में शिफ्ट किया जाता है।

वैजिनोप्‍लास्‍टी की वजह से निम्‍न जटिलताएं हो सकती हैं :

  • एनेस्‍थीसिया की वजह से प्रॉब्‍लम
  • बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना
  • आसपास की नसों या धमनियों को चोट लगना
  • मूत्राशय में चोट लगना
  • पहले से किसी हेल्‍थ प्रॉब्‍लम जैसे कि हार्ट की बीमारी, स्‍ट्रोक या दौरे पड़ने की परेशानी बढ़ जाना

चूंकि, यह एक बड़ी सर्जरी है इसलिए एक रात मरीज को ऑब्‍जर्वेशन के लिए आईसीयू में रखा जाता है। हालत ठीक होने के बाद मरीज को उसके कमरे में शिफ्ट कर दिया जाता है। ऑपरेशन के बाद देखभाल करना जरूरी है ताकि कोई जटिलता न आए।

  • सर्जरी वाली जगह को साफ रखें, इससे ग्राफ्ट रिजेक्‍शन का खतरा घट जाता है।
  • ऑपरेशन के बाद दर्द ज्‍यादा हो सकता है लेकिन इसे दवा से कंट्रोल कर सकते हैं।
  • इंफेक्‍शन से बचने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती हैं।
  • पेशाब और मल त्‍याग में दिक्‍कत आ सकती है जिसे ठीक करने पर काम किया जाएगा।
  • बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग, डिस्‍चार्ज या बुखार हुआ तो उसका इलाज किया जाएगा।
  • दर्द और रोजमर्रा के काम करने में आ रही दिक्‍कतों से होने वाले तनाव और एंग्‍जायटी को कम करने के लिए काउंसलिंग की जाएगी।

ऑपरेशन के एक हफ्ते के बाद मरीज हल्‍की एक्टिविटीज कर सकता है और 6 हफ्तों के बाद पहले की तरह ही नॉर्मल लाइफ जी सकता है।

जब मरीज हल्‍की एक्टिविटीज करना शुरू कर देता है, तब डिस्‍चार्ज बंद हो जाता है। ड्रेंस में थोड़ा फ्लूइड ही रहता है और शरीर के सभी कार्य पहले की तरह नॉर्मल हो जाते हैं।

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मरीज को दर्द की दवा और एंटीबायोटिक दवाओं की लिस्‍ट के साथ अस्‍पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इंफेक्‍शन और सूजन से बचने के लिए घाव की देखभाल करने की सलाह दी जाएगी। योनि को मजबूती देने के लिए फिजियोथेरेपी एक्‍सरसाइज लिखी जा सकती हैं।

फिजीशियन और काउंसलर के साथ आपका फॉलो-अप होगा। 6 हफ्ते के बाद जब मरीज डॉक्‍टर के पास फॉलो-अप के लिए जाएगा, तब मोल्‍ड निकाल लिया जाएगा।

योनि की शेप और साइज को बनाए रखने के लिए मरीज को वैजाइनल डाइलेटर्स दिए जाएंगे। हालांकि, पूरी तरह से घाव के भरने में समय लगेगा, यह समय 12 से 18 महीने का हो सकता है।

अस्‍पताल से छुट्टी मिलने के बाद डॉक्‍टर से कब बात करें :

  • घाव से बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने पर
  • घाव से बदबूदार डिस्‍चार्ज आने पर
  • दवा से भी तेज दर्द कम न हो
  • लगातार बुखार रहने पर

इस सर्जरी के बाद निम्‍न जोखिम हो सकते हैं :

  • वैजाइनल ओपनिंग बहुत टाइट हो
  • योनि की लंबाई अपर्याप्‍त हो
  • वैजाइनल स्‍टेनोसिस - फाइब्रोसिस की वजह से योनि का छोटा या सिकुड़ना
  • सेक्‍स करने में दर्द होना
  • वेसिकोवैजाइनल फिस्‍टुला - मूत्राशय और योनि के बीच में असामान्‍य संबंध
  • रेक्‍टोवैजाइनल फिस्‍टुला - गुदा और योनि के बीच में असामान्‍य संबंध
  • नस में चोट लगने की वजह से आसपास के हिस्‍से में कुछ महसूस न होना
  • कॉस्‍मेटिक परिणाम अच्‍छा न आना

वैजिनोप्‍लास्‍टी एक बड़ी सर्जरी है जिसके कुछ जोखिम हैं और इसमें पूरी तरह से ठीक होने में मरीज को लंबा समय लगता है। सर्जरी से पहले डॉक्‍टर से फंक्‍शनल और कॉस्‍मेटिक जरूरत के बारे में अच्‍छी तरह से बात कर लें।

सर्जरी से पहले मरीज फैसला लेने के लिए पर्याप्‍त समय ले। मरीज के लिए सर्जरी से पहले और बाद में काउंसलिंग लेना जरूरी है।

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