हेपेटाइटिस ई टेस्ट क्या है?

यह टेस्ट 'हेपेटाइटिस ई' नाम के वायरस द्वारा लिवर में हुए संक्रमण की जांच करने के लिए किया जाता है। एचईवी एक आरएनए वायरस है, जिससे लिवर में तीव्र सूजन हो जाती है और कुछ गंभीर मामलों में इससे एक्यूट लिवर फेलियर भी हो जाता है। यह रोग अस्वच्छ व बिना पका भोजन, दूषित पानी, अस्वस्थ वातावरण से होता है। कुछ मामलों में यह बीमारी संक्रमित खून चढ़ने से भी हो जाती है।

एचईवी वायरस अनुवांशिक तौर पर चार तरह के होते हैं लेकिन उनमें से केवल दो तरह के वायरस ही मनुष्यों में संक्रमण फैलाते हैं। हेपेटाइटिस ई टेस्ट, एचईवी के संक्रमण की जांच कुछ विशेष प्रोटीन (आईजीएम और आईजीजी एंटीबाडीज) की मदद से करता है। ये प्रोटीन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा संक्रमण से लड़ने के लिए बनाए जाते हैं। एचईवी वायरस भारत समेत पूरी दुनिया के अस्वच्छ और अस्वस्थ इलाकों में संक्रामक रोग (महामारी) फैलाने का कारण है। एक शोध के अनुसार 92% हेपेटाइटिस की महामारी हेपेटाइटिस ए या बी के कारण नहीं बल्कि हेपेटाइटिस ई के कारण होती हैं। एक दूसरे अध्ययन के अनुसार भारत में बच्चों के 70% एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस के मामले एचईवी वायरस के कारण आते हैं।

अधिकतर लोग एचईवी के संक्रमण से बिना कोई समस्या हुऐ स्वस्थ हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में एचईवी के तीव्र संक्रमण से लिवर फेलियर हो जाता हैं, जो कि गर्भवती महिलाओं और उन लोगों में अधिक आम देखा गया है जो पहले से लिवर डिजीज से ग्रस्त हैं। एक और शोध में यह बताया गया है कि एचईवी की महामारी के दौरान दूसरे लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाएं (20%) इस वायरस के तीव्र संक्रमण से अधिक ग्रस्त होती हैं। गर्भवती महिला में एचईवी इन्फेक्शन के कारण बच्चे का जन्म के समय कम वजन, समय से पहले डिलीवरी और बच्चे की गर्भ में मृत्यु जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

  1. हेपेटाइटिस ई टेस्ट क्यों किया जाता है - Hepatitis E Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. हेपेटाइटिस ई टेस्ट से पहले - Hepatitis E Test Se Pahle
  3. हेपेटाइटिस ई टेस्ट के दौरान - Hepatitis E Test Ke Dauran
  4. हेपेटाइटिस ई टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Hepatitis E Test Ke Parinaam Ka Kya Matlab Hai

हेपेटाइटिस ई टेस्ट क्यों किया जाता है?

हेपेटाइटिस ई टेस्ट की सलाह मरीजों, गर्भवती महिलाओं, यात्रियों, बच्चों को व उन लोगों को दी जाती है जिनकी रोग-प्रतिरोधी क्षमता कम होती है और उनमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

वायरस के शरीर में चले जाने के लगभग चालीस दिन बाद ये लक्षण शुरु होने लग जाते हैं।

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हेपेटाइटिस ई टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। हालांकि, मरीज को टेस्ट करवाने की वजह बता देनी चाहिए।

यदि मरीज ने हेपेटाइटिस ई टेस्ट से एक हफ्ते पहले कोई अन्य टेस्ट या कोई जांच करवाई है, जिसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ का उपयोग हुआ है तो उस के बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि ये टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते है जिससे रिजल्ट गलत आ सकते हैं।

हेपेटाइटिस ई टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए एक ब्लड सैंपल लिया जाता है। ब्लड सैंपल को एक लाल ढक्कन की ट्यूब में रखा जाता है।

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हेपेटाइटिस ई टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

हेपेटाइटिस ई टेस्ट शरीर में हुए एचईवी के संक्रमण का पता लगाने में मदद करता है। इस टेस्ट में शरीर द्वारा एचईवी एंटीजन के प्रतिरोध में बनाए गए एंटीबाडीज की जांच की जाती है।

सामान्य परिणाम:

आईजीजी और आईजीएम की नकारात्मक वैल्यू यह बताती है कि व्यक्ति को एचईवी संक्रमण नहीं हुआ है।

असामान्य परिणाम: 

पॉजिटिव वैल्यू निम्न के बारे में संकेत दे सकते हैं:

  • आईजीएम एंटीबॉडी का पॉजिटिव रिजल्ट बताता है कि शरीर में कोई संक्रमण है। 
    • आईजीएम एंटीबॉडी संक्रमण के बाद के 4 से 5 महीनों तक के लिए रहते हैं। 
    • जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है यदि परीक्षण के दौरान उनके शरीर में आईजीएम एंटीबाडी मिलें, तो इस बात की पुष्टि हो जाती है कि व्यक्ति को एचईवी संक्रमण हुआ है।
  • आईजीजी एंटीबाडी के पॉजिटिव रिजल्ट बताते हैं कि व्यक्ति को एक्यूट या गंभीर संक्रमण है।
  • एचईवी आरएनए के पॉजिटिव परिणाम यह दिखाते हैं कि व्यक्ति के स्टूल सैंपल में एचईवी के अनुवांशिक पदार्थ मौजूद हैं। यह रक्त में आईजीएम एंटीबाडी के नेगेटिव रिजल्ट के मामले में हेपेटाइटिस ई के परीक्षण की पुष्टि कर देता है।

संदर्भ

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