किडनी स्टोन एनालिसिस क्या है?

किडनी स्टोन को नेफ्रोलिथ या रीनल कैलकुलस भी कहा जाता है, हिन्दी भाषा में इसे गुर्दे या किडनी में पथरी कहा जाता है। यह पत्थर की तरह कठोर पदार्थ होता है। यदि आपके शरीर में कुछ खनिज अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, तो यह एक या दोनों किडनी में हो सकती है। रसायनिक मिश्रणों के अनुसार किडनी स्टोन पांच तरह का होता है:

  • कैल्शियम स्टोन :
    ये किडनी स्टोन का सबसे सामान्य प्रकार है और इसमें कैल्शियम ऑक्सलेट व कैल्शियम फॉस्फेट शामिल होते हैं। ये तब बनते हैं जब शरीर में हड्डियों व मांसपेशियों द्वारा इस्तेमाल होने के बाद अतिरिक्त कैल्शियम बच जाता है और न ही शरीर से निकलता है। 

  • सिस्टिक स्टोन :
    इससे सिस्टीनयूरिया नामक स्थिति पैदा हो जाती है, यह एक अनुवांशिक स्थिति है  जिसमें यूरिन में से एमिनो एसिड और सिस्टीन रिस जाता है।

  • यूरिक एसिड स्टोन :
    जब यूरिन में यूरिक एसिड का स्तर अधिक हो जाता है तो ये स्टोन बनते हैं। जो लोग बहुत अधिक मछली, शेलफिश और मीट खाते हैं उन्हें यूरिक एसिड स्टोन होने का अधिक खतरा होता है।

  • सट्रूवाइट स्टोन :
    ये स्टोन यूटीआई (मूत्र पथ में संक्रमण) के बाद बनते हैं। ये अपने आप बन जाते हैं और तेजी से बढ़ते हैं।

प्रकारों के अलावा भी किडनी स्टोन बार-बार हो सकता है इसीलिए यदि आपको एक बार स्टोन हुआ है तो यह जानना जरूरी है कि स्टोन किस तरह का था ताकि भविष्य में इसे दोबारा होने से रोका जा सके।

इसीलिए किडनी स्टोन को उसमें मौजूद केमिकल के आधार पर जांचा जाता है। यह टेस्ट तब किया जाता है जब स्टोन यूरिन में निकल गया हो (छोटे स्टोन के लिए) या उसे सर्जरी द्वारा निकाल दिया गया हो (बड़े स्टोन के लिए)।

किडनी स्टोन या पथरी के मामले महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाए जाते हैं। कुछ कारक हैं, जो किडनी स्टोन होने के खतरे को विशेष रूप से बढ़ा देते हैं:

  • यदि पहले कभी पथरी हुई है
  • लंबे समय से इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज
  • मूत्र पथ अवरुद्ध होना
  • पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना
  • मोटापा
  • बार-बार मूत्र पथ में संक्रमण होना
  • किडनी के विकार जैसे सिस्टिक किडनी डिजीज और रीनल ट्यूबलर एसिडोसिस
  • गाउट (जोड़ों में गंभीर दर्द व सूजन)
  • हाइपरकैल्सियूरिया (यूरिन में अधिक मात्रा में कैल्शियम)
  1. किडनी स्टोन एनालिसिस क्यों किया जाता है - Kidney Stone Analysis Kyu Kiya Jata Hai
  2. किडनी स्टोन एनालिसिस से पहले - Kidney Stone Analysis Se Pahle
  3. किडनी स्टोन एनालिसिस के दौरान - Kidney Stone Analysis Ke Dauran
  4. किडनी स्टोन एनालिसिस के परिणाम का क्या मतलब है - Kidney Stone Analysis Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

किडनी स्टोन एनालिसिस किसलिए किया जाता है?

यदि आपको निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इस टेस्ट को करवाने की सलाह दे सकते हैं :

यह टेस्ट मुख्य रूप से यह जानने लिए किया जाता है कि स्टोन किन केमिकल मिश्रणों से मिलकर बना है और भविष्य में ये स्टोन बनने से कैसे रोका जाए। यदि स्टोन यूरिन में निकल आया है और आपने इसे रखा हुआ है तो डॉक्टर स्टोन को परीक्षण के लिए उसे मांग सकते हैं। स्टोन को किस तरह रखना और ले कर आना है इसके बारे में डॉक्टर आपको बता देंगे।

बड़े स्टोन जो कि यूरिन में नहीं निकल पाते उसके लिए आपको सर्जरी करवानी पड़ सकती है।

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किडनी स्टोन एनालिसिस की तैयारी कैसे करें?

यदि आपको किडनी स्टोन के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर आपको एक छलनी देंगे जिससे आप यूरिन छान सके और स्टोन इकठ्ठा कर सके (यदि एक से ज्यादा छोटे स्टोन निकले हैं)। स्टोन की टेस्टिंग के लिए निम्न चरणों का पालन किया जाना चाहिए :

  • हर बार जब भी आप पेशाब जाएं तो यूरिन को स्ट्रेनर या छलनी से छान लें
  • छोटे स्टोन को देखने के लिए स्ट्रेनर को ठीक तरह से देखें
  • यदि आपको कोई स्टोन दिखाई देता है तो इसे एक साफ कंटेनर में रखें जब तक कि यह सूख न जाए
  • यूरिन या कोई अन्य पदार्थ कंटेनर में डाल कर स्टोन को संक्रमित न करें
  • स्टोन को टिशू या टेप से न ढकें इससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं
  • इसे डॉक्टर के पास एनालिसिस के लिए ले जाएं

यदि स्टोन यूरिन में नहीं निकलता है तो सर्जरी के लिए तैयार रहें।

किडनी स्टोन एनालिसिस कैसे किया जाता है?

फिजिकल और केमिकल दोनों ही तरह से किडनी स्टोन का परीक्षण किया जाता है। ज्यादातर लैबों में फिजिकल ऐनालैटिक मेथड का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें विभिन्न तत्वों की ठीक प्रकार से जांच हो जाती है। केमिकल मेथड का आमतौर पर कम ही प्रयोग किया जाता है क्योंकि वे स्टोन का ठीक तरह से परीक्षण नहीं कर पाते हैं। किडनी स्टोन का परीक्षण करने के लिए निम्न तरीकों का प्रयोग किया जाता है :

  • एक्स-रे डिफ्रैक्शन और फॉरिएर ट्रांसफॉर्म इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी :
    ये तरीका अधिकतर प्रयोग में लाया जाता है इससे स्टोन के हर तत्व का पता लगाने में मदद मिलती है और उसके बारे में विस्तार से पता चल जाता है। इस मेथड में नॉन-कैल्शियम स्टोन का पता लगाता है, जिसमें प्रोटीन, यूरिक एसिड, सिस्टीन, लिपिड और सट्रूवाइट स्टोन आदि शामिल हैं।

  • एनर्जी डिस्पर्सिव एक्स-रे एनालिसिस :
    इसकी मदद से यह जानकारी मिलती है कि स्टोन में विभिन्न तत्वों की कितनी मात्रा मिली हुई है। इस तरीके से स्टोन की शुरुआत और बनावट के बारे में पता चल जाता है।

  • थर्मोग्रेवीमेट्रिक एनालिसिस :
    यह एक सामान्य और जल्दी हो जाने वाली प्रक्रिया है जिसमें तापमान बढ़ा कर किसी भी पदार्थ के घनत्व के बारे में पता लगाया जाता है।

  • वेट केमिकल एनालिसिस :
    यह प्रक्रिया भी काफी प्रयोग में लाई जाती है लेकिन यह तभी काम करती है जब स्टोन किसी एक तरह के खनिज से बना हो। इस प्रक्रिया में उन स्टोन के लिए सही परिणाम नहीं आते जो विभिन्न तत्वों के मिश्रण से बने होते हैं।

  • स्कैनिंग इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी :
    इस प्रक्रिया का प्रयोग उन स्टोन के आकार और प्रकार के बारे में पढ़ने के लिए किया जाता है जिनका आकार 1-5 नैनोमीटर होता है।

  • पाउडर एक्स-रे डिफ्रैक्शन :
    इस प्रक्रिया में स्टोन के तत्वों की पहचान की जा सकती है। यह प्रक्रिया स्टोन में मौजूद सभी क्रिस्टल में अंतर बता देती है।

किडनी स्टोन एनालिसिस के परिणाम क्या बताते हैं?

किडनी स्टोन एनालिसिस के परिणाम आपको किस तरह का स्टोन था इसके बारे में बताते हैं। स्टोन के केमिकल मेकअप (रसायनिक मिश्रण) के आधार पर डॉक्टर आपको कुछ विशेष दवाएं व दिशानिर्देश देंगे। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि भविष्य में स्टोन विकसित होने से रोकथाम की जा सके और अगर किडनी में और भी स्टोन हैं तो उसका उचित तरीके से इलाज किया जा सके।

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