लिवर-किडनी माइक्रोसोम (एलकेएम)-1 एंटीबॉडी टेस्ट क्या है?
एलकेएम-1 एंटीबॉडी वे ऑटोएंटीबॉडी हैं जो कि लिवर कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं, जिससे संबंधित अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है।
एंटीबॉडीज हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए जाने वाले विशेष प्रोटीन हैं जिनका निर्माण बाहरी पदार्थों से लड़ने के लिए किया जाता है। दूसरी तरफ ऑटोएंटीबॉडीज ऐसे एंटीबॉडी हैं जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा गलती से अपने शरीर के स्वस्थ ऊतकों व कोशिकाओं के विरुद्ध बनाए जाते हैं जिनके कारण ऑटोइम्यून रोग होते हैं।
एलकेएम-1 ऑटोएंटीबॉडीज लिवर में पाए जाने वाले साइटोक्रोम P450 2D6 (CYP2D6) नाम के एक विशेष प्रोटीन की प्रतिक्रिया के रूप में बनाए जाते हैं। जिन लोगों के रक्त में ये ऑटोएंटीबॉडीज पाए जाते हैं वे टाइप 2 ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस नामक स्थिति से गंभीर रूप से ग्रस्त होते हैं।
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस लिवर में लंबे समय से हो रही सूजन से जुड़ा रोग है, जिसमें मांसपेशियों में दर्द, पेट में तकलीफ, पीलिया और लिवर बढ़ने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जिस तरह के ऑटोएंटीबॉडी बनते हैं उनके अनुसार दो तरह के ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस होते हैं- टाइप1 और टाइप 2।
जिस व्यक्ति को टाइप 1 ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस होता है उनके खून में स्मूथ मसल एंटीबॉडीज (एसएमए) होते हैं, ये वो एंटीबॉडीज हैं जो नरम मांसपेशियों को क्षति पहुंचाते हैं। ये किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन इसके अधिकतर मामले महिलाओं में देखे जाते हैं। अधिकतर व्यक्ति जिन्हें टाइप 1 ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस होता है उन्हें अन्य कोई ऑटोइम्यून स्थिति भी हो सकती है जैसे टाइप 1 डायबिटीज या अल्सरेटिव कोलाइटिस।
टाइप 2 ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस एलकेएम-1 ऑटोएंटीबॉडीज की मौजूदगी से जुड़ी होती है। ये रोग वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है लेकिन अधिकतर यह स्थिति दो से चौदह वर्ष की लड़कियों में देखी जाती है।
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस से लिवर सिरोसिस और लिवर फेलियर जैसी स्थितियां हो सकती हैं।